आजकल वायरल होने / हो जाने का चलन इतना बढ़ गया है कि साधारण इंसान से लेकर बड़ी बड़ी हस्तियां तक वायरल हो जाने की ललक में तैयार रहती हैं | बड़े लोगों का तो खैर कुछ करना और कुछ न करना भी वायरल हो ही जाता है | कुछ वर्षों पूर्व दक्षिण की एक अभिनेत्री प्रिया वारियर द्वारा किसी सिनेमा के लिए दर्शाए गए एक छोटे से वीडियो क्लिप जो आँख मारने का वीडियो था रातों रात लाखों करोड़ों लोगों द्वारा देखा गया और वायरल से वायरल बुखार जैसा सबके मन मस्तिष्क पर चढ़ गया |

हाल ही में भारत सरकार द्वारा बैन किए गए चीनी एप्प टिक टॉक से लोगों का आकर्षण और मोह इसलिए इतना ज्यादा हो गया था क्यूंकि कुछ भी बेसिर पैर का निरर्थक भी उन्हें रातों रात वो पहचान दिला रहा था जो इस रास्ते के अलावा बहुत कठिन होता |

दूसरी गौर करने वाली बात ये भी देखने को आ रही हैं इन दिनों की चूंकि नकारात्मकता जल्दी आकर्षित करती है तो लोग बाग़ जानबूझ कर ऐसी बातें , वीडियो क्लिप्स ,ऑडियो क्लिप्स आदि बना कर उसका दुरूपयोग करके उसे प्रसारित कर अपना नाम जल्दी जल्दी सबकी जुबां पर देखना सुनना चाहते हैं | ये अलग बात है कि मूत्र के झाग की तरह ये सस्ती लोकप्रियता जितनी जल्दी उफान पर जाती है उतनी ही जल्दी फुस्स भी हो जाती है |

अपने ट्विट्टर हैंडल से बार बार ये पोस्ट कर सस्ती लोकप्रियता हासिल करने की कोशिश

किन्तु इस सबके बीच जो ज्यादा चिंताजनक व खतरनाक प्रवृत्ति पिछले दिनों पनप कर सामने आई है वो है , सरकारी सेवा और यहां तक की पुलिस और फ़ौज में कार्यरत लोग भी , गैर जिम्मेदाराना तरीके से अनेक तरह की बातें (कई बार बहुत अधिक आपत्तिजनक और अपमानजनक भी ) , फोटो और वीडियो बना कर साझा करने लगे हैं | ये न सिर्फ नियमानुसार सर्वथा अवैध है बल्कि उस संस्था (जिसमें वो कार्यरत है ) की छवि को भी ठेस पहुंचाने वाला साबित होता है |

सेना में ख़राब भोजन की शिकायत का वीडियो बना कर रातों रात सुर्ख़ियों में आने वाला जवान तेज बहादुर , दिल्ली पुलिस की वर्दी में ही राष्ट्रपति भवन की सुरक्षा में लगी हुई तो महिला कांस्टेबल , और अब तुरंत ही घटा हुआ ये गुजरात की महिला कांस्टेबल सुनीता यादव का प्रकरण |

गुजरात में शराब बंदी के बीच दारु पार्टी करती लेडी कांस्टेबल सुनीता सिंघम

इन सभी में जो बात सबसे ज्यादा घातक सिद्ध हुई कि उसने न सिर्फ सरकार ,प्रशासन , सेना पुलिस की छवि को धूमिल किया बल्कि आम लोगों में इन संस्थाओं के प्रति भ्रम और द्वेष की भावना को भी जाग्रत किया |

सेना से जुड़े बहुत से हालिया प्रकरण को हवा देकर उसे समाचारों की सुर्ख़ियों में खींच लाने के कारण ही अन्ततः सेना को विवश होकर अपने यहां तमाम सोशल नेट्वर्किंग साइट्स को प्रतिबंधित करना पड़ा | जो सेना और सैनिकों की सुरक्षा के मद्देनज़र भी जरूरी हो गया था ||

जहां तक गुजरात के मंत्री के पुत्र और कांस्टेबल सुनीता यादव वाले इस हालिया प्रकरण की बात है तो , सुनीता यादव ने ,
कार को रोका      वो दायित्व था
पूछताछ की        दायित्व निभाया
उन्हें डाँट लगाई    ये भी दायित्व का ही भाग था
जिम्मेदार पिता (आरोग्य मंत्री ) के पुत्र से अपेक्षित आचरण न किए जाने को लेकर खरी खोटी सुनाना : बिलकुल उचित किया

किन्तु , सार्वजनिक रूप से , मंत्री से फोन पर बात कर ये कहना कि , आपके पुत्र ने ये गलती की अपराध किया है , इस घटना का न सिर्फ वीडियो बनाया बल्कि उसे जानबूझ कर सोशल नेट्वर्किंग साइट्स पर डालना , बार बार मंत्री के बेटे को गाली देकर धमकाना , असभ्य और अश्लील भाषा का प्रयोग करना। …….उनकी वो गलितयाँ थीं जिसके लिए उन पर प्रशासनिक गाज़ गिरनी तय थी | अब चूंकि मामला सीधे प्रदेश के आरोग्य मंत्री से जुड़ा हुआ था तो जैसा की होना स्वाभाविक था ,मामले ने तेज़ी से तूल पकड़ा और वो रातों रात देश भर में राजनेताओं द्वारा पुलिसकर्मियों को अपमानित एक पीड़ित के रूप में जानी जाने लगीं | 

ज़ाहिर सी बात है कि , पहले से ही अपने महकमे और अपने सहकर्मियों के बीच गुस्सैल और गाली गलौज करने वाली तेज़ तर्रार महिला कॉन्स्टेबल सुनीता यादव ने  पुलिस प्रशासन को न सिर्फ अपना इस्तीफा सौंप दिया बल्कि इस घटना को और तूल देकर अपनी छवि चमकाने का प्रयास किया |

ट्विट्टर ,फेसबुक आदि पर लोग बाग बिना कुछ सोचे समझे उस दो मिनट की वीडियो क्लिप (जिसके आगे कांस्टेबल ने मंत्री के पुत्र को खूब जम के भला बुरा कहा बल्कि गाली गलौज़ तक कर दी ) देख कर ,मंत्री ,गुजरात सरकार को खूब कोसते रहे और कोस रहे हैं | यहाँ तक कि सपा नेता अखिलेश यादव सहित बहुत से नेता और पत्रकार भी उसी के सुर में सुर मिलाने लगे |

सरकारी सेवा की नियमावली ये स्पष्ट कह देती है कि आपका , कोई भी कथ्य कृत्य दृश्य रूपण आदि कभी भी किसी भी  परिस्थिति में ऐसा नहीं होना चाहिए/ नहीं हो सकता ,जिससे संस्थान , प्रशासन और संरक्षक सरकार के विरुद्ध कोई अपमानजनक, भ्रामक व संस्थान  की छवि को चोट पहुंचने वाला सन्देश जाए क्यूंकि वो हर हाल में उस संस्थान के प्रतिनिधि के तौर पर आम जनमानस में देखा व समझा जाता है |

इसे कहते हैं भसड़ चालू आहे

आज सुनीता यादव बेशक अपने सोशल नेटवर्क हैंडल से I am with Sunita yadav जैसी कैम्पेन चला कर खुद को लेडी सिंघम के रूप में देखना व दिखाना चाह रही हैं किन्तु शायद वे यह भूल रही हैं कि समय के साथ बहुत जल्दी ही वो न सिर्फ इन सब बातों के लिए बिसरा दी जाएंगी बल्कि सच सामने आने पर उनके पक्ष में दिख रहे बहुत सारे लोग उनका साथ छोड़ देंगे |

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