राजस्थान के उदयपुर में जिस तरह से नूपुर शर्मा का समर्थन करने के चलते हिंदू शख्स कन्हैया लाल की बेरहमी से हत्या की गई है उसे देखते हुए पूरे देश में गुस्से की लहर है।

बड़ा सवाल यह उठता है कि फर्जी फैक्ट चेकर जुबेर की गिरफ्तारी पर पूरी कौम एक होकर इसका विरोध कर रही है उनके साथ में सेक्युलर गैंग भी हुआ हुआ कर रहा है। मगर एक हिंदू की जघन्य हत्या पर इन लोगों ने चुप्पी की चादर ओढ़ ली है।

सोशल मीडिया साइट्स पर इस घटना की निंदा की जा रही है, मगर सवाल यह उठता है कि क्या हम लोग इस्लामिक मध्यकाल में जी रहे हैं? सवाल उन राजनेताओं और उन बौद्धिक तबके के लोगों पर उठना चाहिए जो इस मध्यकाल की विचारधारा को पालन पोषण करते हैं… हत्या करने वाले दोनों दाढ़ी टोपी वालों ने सिर्फ एक टूल की तरह काम किया है उनके पीछे दिमाग तो इस देश के उन बौद्धिक लोगों का हैं और उन तमाम मौलाना मुफ्ती का है जो राजनेताओं से आश्रय पाकर इस देश में बड़बोला पन करते हैं।

आखिर क्यों संप्रदाय विशेष में इतनी ज्यादा और असहिष्णुता है कि महज नूपुर शर्मा की पोस्ट का समर्थन करने के चलते एक शख्स की इतनी बेरहमी से हत्या कर दी गई? आखिर कब तक घटना की निंदा करके खाना पूर्ति होती रहेगी? सनातन राष्ट्र को एक सतत युद्ध इस तरह की विचारधारा और इस तरह की मजहबी कट्टरता के खिलाफ लड़ना होगा जो इस राष्ट्र और इस संस्कृति को खंडित करने की बात करती है।

 

 

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