एक समय था जब उत्तर प्रदेश की पुलिस तत्कालीन सर्वेसर्वा जनाब आजम खान की इधर उधर निकल गई भैसों को तलाश निकालने की घनघोर जिम्मेदारी दिए जाने जाने की खबर , चर्चा का विषय हुआ करती थी।  वरिष्ठ पुलिस अधिकारी तक , सार्वजनिक रूप से अपमानित और जलील किए जाते थे।  फिर देखते ही देखते एक समय ऐसा आ गया कि अपराधी यूपी से भागकर एम पी में छिपे हों या पंजाब की किसी जेल में बंद हो गए हों , किसी को भी नहीं छोड़ा गया और सबको बराबर से तोड़ा गया।

समाज के साथ साथ , प्रशासन और कानून व्यवस्था को भी बंधक बना कर रखने वाली सरकारों के विपरीत पहली बार योगी आदित्यनाथ की सरकार ने जिम्मा संभालते ही प्रदेश को अपराध और अपराधमुक्त करने के अपने संकल्प पर काम करना शुरू कर दिया।  योगी की खुली चेतावनी कि अपराधी या तो स्वयं ही स्वयं को क़ानून के आगे नतमस्तक हो जाएं अन्यथा प्रदेश को खुद से मुक्त कर दें।

योगी बाबा की पुलिस,  शासन की ताकत और अपराध के जड़ से खात्मे के इरादे जानकर प्रदेश के हर छोटे बड़े अपराधी और भ्रष्टाचारी पर टूट पड़ी।  वो कहते हैं न -चुन चुन कर , तो चुन चुन कर ख़त्म किया गया।  पुलिस ने निडर होकर वही किया जो किसी भी  अपराध के खात्मे के लिए बहुत जरूरी होता है।  इधर पुलिस पेशेवर अपराधियों के घुटने और मनोबल दोनों तोड़ रही थी।  उधर प्रशासन  इन तमाम भेड़ियों द्वारा देश और समाज का हक़ उनका पैसा मारकर खड़ी की अवैध इमारतों , आलिशान कोठियों , दफ्तरों पर बुलडोज़र चला कर मटियामेट कर रही थी।

प्रदेश में पिछले 5 वर्षों में पुलिस व प्रशासन ने योगी  सरकार के राज  और व्यवस्था  का जो संतुलन बनाया है उसे सब भविष्य में कायम रखना चाहते हैं।  सपा -बसपा सरकारों में राजनेताओं व इनकी शह पाए अपराधियों ने पुलिस/प्रशासन सबको मजाक बना कर रख दिया था। इसलिए राज्य की पुलिस व प्रशासन में नियुक्त सभी यही चाहते हैं कि कभी भी उस जंगलराज की वापसी न हो।

 

उत्तर प्रदेश की जनता अब स्वयं ये निर्णय ले कि आज उत्तर प्रदेश  बंद तमाम पराधी , बाहुबली राजनेता  उन्हें फिर से अपने परिवार , समाज , प्रदेश के बीच चाहियें या क़ानून , व्यवस्था , निर्माण , विकास और सुरक्षा सुनिश्चित करने वाली।

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