दिल्ली के दंगे याद हैं आपको जहाँ नागरिकता संशोधन कानून के विरोध की आड़ में मुज्लिमों ने हिंसा कर पाशविकता का नंगा नाच करते हुए हिन्दुओं की बस्तियों की बस्तियां ख़ाक कर दी थीं , या फिर महाराष्ट्र का पालघर जहाँ सैकड़ों लोगों की भीड़ ने पुलिस की मौजूदगी में दो वृद्ध साधुओं का निर्ममता से क़त्ल कर दिया था , कोलकाता से लेकर असम तक रेलों और पटरियों , प्लेटफार्मों को फूँक डाला गया वही कानून के विरोध के नाम पर -क्या किसी एक में भी अब तक किसी को सज़ा मिली , गुनाहगारों को उनके किए का दंड दिया जा सका या आपको उम्मीद है कि देर सवेर ऐसा हो सकेगा ??
यदि नहीं तो फिर -हाल ही में पश्चिम बंगाल के उन हिस्सों में जहाँ जेहादियों की पूरी फ़ौज अपनी सनकी शासक और हिन्दुओं से क्या प्रभु श्री राम के नाम /जयघोष से भी नफरत करने वाली ममता बनर्जी की सरपरस्ती में चुनाव हारने नहीं बल्कि जीतने के बाद अपने ही राज्य के उन निर्दोष , गरीब , मजदूरों , कृषकों आदि पर बर्बरतापूर्ण आक्रमण करके उस पूरे क्षेत्र से हज़ारों हिन्दू परिवारों को पलायन के लिए मजबूर कर दिया। रातों रात मर्दों बच्चों का क़त्ल कर दिया और बेबस महिलाओं , युवतियों और बच्चियों का यौन शोषण किया गया।
सिलसिला यहीं तक नहीं रुका है , अपने भ्रष्ट मंत्रियों की गिरफ्तारी का विरोध करने के लिए ममता की सरपरस्ती में केंद्रीय जांच एजेंसी और सुरक्षा बलों को घेरकर ठीक वैसी ही पत्थरबाजी की गई जैसी कश्मीर में किसी आतंकी को घिरा देख कर वहां के स्थानीय लोग उसे बचाने के लिए सेना के जवानों को निशाना बनाते थे। आज भी इस पोस्ट के लिखे जाने तक हिन्दुओं कर भाजपा समर्थकों पर राज्य सरकार पुलिस और प्रशासन की मदद से लगातार अत्याचार कर रही है।
सुवेंदु अधिकारी समेत उनके राजनेताओं पर चोरी जैसे अपराध के लिए प्राथमिकी दर्ज़ करवाना , स्थानीय भाजपा समर्थकों की सूची जारी करके सार्वजनिक घोषणा करना कि स्थानीय दुकानदार उन्हें अपनी दुकानों से सामान न दें जैसे घृणित और खतरनाक , जाने कितने ही षड्यंत्र अब खुलेआम अंजाम दिए जा रहे हैं।
मन ही मन खुद को तीसरे मोर्चे का अगुआ मानने और प्रधानमंत्री बनने का ख़्वाब देखने वाली ममता बनर्जी ने अपने पैर में आई मोच हौवा बनाकर और इसे लगभग राष्ट्रीय संकट जैसा दिखा दिखा कर कई दिनों तक पूरे बंगाल में भाजपा और हिन्दुओं को कोसती रहीं उनके विरूद्ध अपने समर्थकों के अंदर नफरत का जहर भर कर उकसाती रहीं जिसका परिणाम ये निकला कि इतिहास में पहली बार किसी पार्टी ने चुनाव जीतने के बाद भी , अपने विरोधियों से इतना भयंकर प्रतिकार लिया।
अब सबसे जरूरी बात , जरा इस स्थति से ठीक उलट स्थिति की कल्पना करके देखिये। यदि ऐसा ही कुछ -(हालाँकि हिन्दू समाज कभी भी इतना क्रूर , हिंसक और पाश्विक नहीं हो सकता /तब भी नहीं हो पाता जब दंगे फसादों में उन्हें मार काट कर फेंक दिया जाता है ) कहीं किसी भी प्रदेश में मुगलिया लोगों के साथ हुआ होता तो यकीन मानिये , वो क्षेत्र , शहर , मुहल्ला ही नहीं देश के कई प्रदेशों और स्थानों पर मज़हबी उन्माद का वो हिंसक तूफ़ान खड़ा कर दिया जाता कि पुलिस कर प्रशासन भी मूक बेबस हो जाता।
आज बंगाल के हिन्दू समाज को दिए गए दर्द से सबक लेने , उसका जोरदार प्रतिकार करने और सबसे अधिक उनके घावों पर मरहम लगाने की जरूरत है मगर ऐसे में केंद्र सरकार और सम्बंधित संस्थाओं की चुप्पी , उपेक्षा अधिक पीड़ादायक साबित हो रही है। चलते चलते एक और बात पश्चिम बंगाल में हालात वही बनाए और बना दिए गए हैं जो आगे चलकर किसी पाकिस्तान बांग्लादेश के जन्म का कारण बनते हैं।
DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.