देश में धर्मांतरण की आंधी इस कदर चल रही है कि देश की जनता दूसरे सम्प्रदायों के बहकावे में आकर अपनी ही जड़ों से कटती जा रही है। मध्य प्रदेश के ग्वालियर से चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां सात समंदर पार से श्वेता नाम की लड़की अपने नानी का अंतिम संस्कार करने के लिए ग्वालियर वापस आई। ग्वालियर की सरोज देवी नाम की महिला का निधन हो गया और ईसाई धर्म अपना चुके उसके बेटे ने हिंदू रीति रिवाज से उसका अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया। यह बात जब सरोज बीवी की नातिन श्वेता को पता चली तो वह झारखंड से 1100 किलोमीटर का सफर तय करके ग्वालियर आई और उसने अपनी नानी का अंतिम संस्कार किया।
दरअसल ग्वालियर के धीरेंद्र प्रताप सिंह ईसाई धर्म अपनाकर डेविड बन गए और जब 2 दिन पहले उनकी मां की मृत्यु हुई तब उन्होंने अपनी मां को मुखाग्नि देने से इंकार कर दिया और कहा कि वह किसी भी हिंदू रीति रिवाज को नहीं मनाएंगे। इसके बाद झारखंड से 1100 किलोमीटर का सफर तय कर उनकी नातिन वहां आई और उन्होंने अपनी नानी को मुखाग्नि दी।
हैरानी की बात यह है कि ईसाई धर्म अपनाकर कट्टर हो चुके धीरेंद्र प्रताप को यह सोचना चाहिए कि जब वह अपनी मां के नहीं हो पाए तो वह फिर मरियम के कैसे हो पाएंगे आखिर अपनी सगी मां को मुखाग्नि ना देना किस धर्म की सोच को दर्शाता है?
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