तो आखिरकार वही सब हो रहा है जिसकी आशंका जताई जा रही थी और आशंका ही क्यों ममता के पिछले दस सालों में जिस तरह से बांग्लादेशी रोहिंग्यों की घुसपैठ करवा कर स्थानीय मज़लिमों के साथ एक जेहादी गठजोड़ तैयार किया गया था और उसे तरह तरह के (क्लब परिपाटी – पश्चिम बंगाल सरकार की एक योजना जिसके तहत स्थानीय युवाओं को मनोरंजन करने के नाम पर प्रति माह 5000 रुपए दिए जाते हैं और इन क्लबों में जुएबाजी , नशाखोरी से लेकर तमाम तरह के अपराधों की साजिश रचने का काम किया जाता है ) प्रलोभनों से तथा शासकीय संरक्षण में उन्हें इसी सब के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा था उसकी परिणति यही होनी थी।

बस थोड़ा सा पीछे जाकर एक मिनट को देखिये , सड़क पर चलते हुए मुख्यमंत्री ममता के कान में “जय श्री राम ” का नारा सुनाई देता है और वो सारी मर्यादा , नैतिकता , प्रशासनिक प्रमुख के पद की गरिमा को भूल कर किसी छुटभैये और टटपुँजिये नेता की तरह वहीँ अपना लाव लश्कर रोक न सिर्फ उनसे उलझ जाती हैं बल्कि उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी देती हैं।

दुर्गा पूजा में हज़ारों तरह के विघ्न और माँ भवानी की प्रतिमा विसर्जन पर भी सैकड़ों प्रशानिक बंदिशों का लगाया जाना , सिर्फ पिछले एक वर्ष में सैकड़ों हिन्दुओं का सरे आम क़त्ल , भाजपा राजनेताओं  से लेकर निरीह समर्थकों तक पर भयंकर अत्याचार , हिन्दुओं की संपत्ति , सम्मान को लूटा जाना आदि जैसी तमाम घटनाएं ये बताने के काफी हैं कि अब जबकि इस बार ममता ने इस चुनाव में अपनी जीत और हार को अपने अहं का प्रश्न बना लिया था तो फिर उनके जीतने के बाद , उनके विरोधियों से प्रतिशोध लेने और तृणमूल के अपने समर्थकों को बदला लेने की छूट देने का ही अंजाम है जो आज भारत के ये चरमपंथ से ग्रस्त होता राज्य हिन्दुओं के लिए नर्क सामान हो गया है।

भारतीय जनता पार्टी जो दूसरी बार देश में प्रचंड बहुमत से सरकार बनाने के बावजूद भी न तो दिल्ली और देश में मुजलिमों , कांग्रेसियों , वामपंथियों द्वारा किए गए बहुत बड़े षड्यंत्र से भड़के दंगों पर   सख्ती दिखा सकी और न ही पिछले एक साल से साजिशन दिल्ली और आसपास के राज्यों को बंधक बना कर उनमें अव्यवस्था और अराजकता फैलाते आढ़तियों को ही खदेड़ सकी।

और ऐसा सिर्फ इसलिए हुआ क्यूंकि शासन और सत्ता में होते हुए भी एक नैतिकता के बोध का लबादा ओढ़े हुए “सबका साथ सबका विकास ” की अपनी नीति पर चलती रही।  और कई बार कमोबेश खुद भी उन्हीं सब तुष्टिकरण वाली राजनीतिक का शिकार हुई जो सालों से कांग्रेसी सरकारें करती चली आ रही थीं।

भारतीय जनता पार्टी को दो दो बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने के बावजूद भी जिस तरह से अधिकाँश गैर भाजपाई सरकार वाले राज्यों ने केंद्र सरकार , संघीय ढाँचे , संविधान में प्रदत्त व्यवस्थाओं को अपने ठेंगे पर रख दिया उसने निश्चित रूप से एक बहुत भद्दी और खतरनाक परिपाटी को जन्म दे दिया है।

दिल्ली , महाराष्ट्र , केरल , पश्चिम बंगाल अब धीरे धीरे ऐसे राज्यों की संख्या बढ़ती जा रही है जहां भाजपा सरकार , मोदी , योगी के विरोध को हिन्दुओं के प्रति नफरत फैला कर , उनका दमन शोषण करके अपना वोटबैंक पक्का करने के अचूक और आजमाए फार्मूले को अपनाया और बार बार आजमाया जा रहा है और वर्तमान हालातों में वे इसमें सफल भी हो रहे हैं।

आज फिर ममता बनर्जी एक मुख्यमंत्री होते हुए , केंद्रीय जाँच एजेंसी -CBI द्वारा नारदा घोटाले में लिप्त आरोपियों और अपने मंत्रियों की गिरफ्तारी के बाद जिस तरह से छ घंटे तक उन्हें घेर कर बैठ गईं वो अपने आप में एक बहुत बड़ा अपराध है और ये और भी संगीन हो जाता है जब हज़ारों उपद्रवियों की भीड़ , जाँच अधिकारियों और पुलिस वालों पर उसी तरह से पथराव करती जैसे जम्मू कश्मीर में आतंकियों को बचाने के लिए वहाँ उनके समर्थक स्थानीय लोग किया करते थे।

इस पूरे परिदृश्य में , केंद्र सरकार का दृढ़ और सख्त रवैया न अपनाया जाना सबसे हताश कर भयभीत करने वाला रहा है।  और तो और शीर्ष नेतृत्व द्वारा दृढ़ता से इसका प्रतिरोध भी नहीं किया जाना बहुत ही दुखद है और ये आने वाले समय में अधिक हाहाकारी और विनाशकारी साबित होने वाला है।

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