इन दिनों ना सिर्फ हिंदुओं पर हमले हो रहे हैं बल्कि हमारे आराध्या देवी-देवताओं को भी निशाना बनाया जा रहा है. हमारे मंदिरों पर हमले हो रहे हैं, भगवान की मूर्तियों को तोड़ा जा रहा है. बीते दिनों देश के अलग-अलग जगहों पर ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं. लेकिन इन सबमें हैरान करने वाली बात ये है कि मंदिरों में तोड़फोड़ करने वालों को हर बार हर जगह मानसिक रूप से बीमार बता देने का नया ट्रेंड सामने आया है.

हाल ही में झारखंड की राजधानी रांची में रमीज अहमद नाम के एक मुस्लिम युवक ने मंदिर का ताला तोड़कर हनुमान जी की मूर्ति को खंडित कर दिया. पुलिस ने उसे ‘मानसिक रोगी’ बता डाला । लेकिन स्थानीय लोगों का दावा है आरोपी को भले ही पुलिस मानसिक रोगी बता रही है लेकिन उसने चांदी के मुकुट और दानपेटी के पैसे को छोड़ कर सिर्फ मूर्ति को ही क्यों खंडित किया . बता दें आपको हिंदपीढ़ी के SHO ने रमीज अहमद को मानसिक रोगी बताया है।

वहीं इसी नवरात्रि हैदराबाद में बुर्का पहने 2 मुस्लिम महिलाओं ने एक पंडाल में घुस कर मां दुर्गा की मूर्तियों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की थी. मौके पर मौजूद श्रद्धालुओं ने दोनों को पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दिया था। गिरफ्तारी के बाद इन दोनों महिलाओं को भी मानसिक रोगी बताया जाने लगा था।

इतना ही नहीं इसी साल अप्रैल के महीने में उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में भी गोरखनाथ मंदिर में ‘अल्लाह-हू-अकबर’ के नारे लगाकर धारदार हथियार से पुलिस वालों पर हमला करने वाले अहमद मुर्तजा अब्बासी को भी उसके पिता ने मानसिक रोगी ही बताया था. ऐसे में ये सवाल उठना लाजिमी है कि मंदिरों को नुकसान पहुंचाने वाले हमेशा मानसिक रूप से बीमार क्यों घोषित कर दिये जाते हैं?

इस तरह के ज्यादातर मामलों में परिवार वाले आरोपी को बचाने के लिए मानसिक रोगी साबित करने में जुट जाते हैं और तो और विपक्षी दलों की तरफ से भी कोई कमी नहीं छोड़ी जाती है उसे बचाने में. जबकि ये जांच ही नहीं की जाती इन लोगों को मंदिरों में तोड़फोड़ करने के लिए किसने और क्यों भड़काया.

इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि हमारे देश में अगर किसी मस्जिद के बाहर से या किसी मुस्लिम इलाके से रामनवमी या कोई हिंदू धार्मिक यात्राएं निकलते समय वहां कुछ देर के लिए रुक जाए. तो इसे हिंदुओं द्वारा माहौल बिगाड़ना बता दिया जाता है. इतना ही नहीं अगर कोई मानसिक विक्षिप्त हिंदू ये हरकत कर दे, तो पूरे में दंगे हो जाएंगे. सियासत गर्म हो जाएगी. सड़कों पर धरने-प्रदर्शन शुरू हो जाएंगे. लेकिन, मंदिरों में रात के अंधेरे में घुसकर हमारे भगवान की मूर्तियां तोड़ने वालों को मानसिक बीमार बता कर बचाने की कोशिश की जाती है. क्योंकि ये वो लोग हैं जो भारत में खुद को डरा हुआ बताते हैं!

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