लावण्या? याद है या भूल गये?

क्या फर्क पड़ता है, ठीक इसी तरह हम उषा को भी भूल जाएंगे

कईयों ने तो ये नाम सुना भी नहीं होगा

क्या फर्क पड़ता है? फर्क पड़ता है तो उषा की मां को, उसके भाई को, जिसकी बेटी, जिसकी बहन अब इस दुनिया में नहीं है. क्योंकि उषा की टीचर को उसका बिंदी लगाकर क्लास में जाना नागवार गुजरा. जिसके बाद उषा ने अपनी जिंदगी खत्म कर ली. किसी भी अभिभावक को सन्न कर देने वाली ये खबर झारखंड के धनबाद के तेतुलमारी के सेंट जेवियर्स स्कूल की है। जहां बिंदी लगाकर आने पर एक छात्रा को उसकी टीचर ने सरेआम थप्पड़ मारे। रिपोर्ट के मुताबिक उसकी माँ को भी बेइज्जत कर स्कूल से निकाल दिया। इस घटना ने उषा को अंदर तक झकझोर कर रख दिया जिससे आहत होकर छात्रा ने 10 जुलाई को स्कूल से घर लौटने के बाद फाँसी लगाकर आत्महत्या कर ली। उसके पास से सुसाइड नोट भी मिला है।

सौजन्य- सोशल मीडिया

विडंबना देखिए इस देश में स्कूल में हिजाब पहनकर जाने में किसी को कई आपत्ति नहीं होती. अल्लाहु अकबर वाली हिजाब गर्ल मुस्कान याद है आपको जिसकी शान में कसीदे पढ़े गए थे.  भारत की महान महिला बता दिया जाता है हिजाब के हक में बोलने पर उसके लिए तारीफों के पुल बांध गए थे लेकिन एक हिंदू लड़की जो बिंदी लगाकर स्कूल जाती है तो उसे और उसके परिवार को इस हद तक बेइज्जत किया जाता है कि वो अपनी जिंदगी खत्म कर लेती है.

झारखंड में हेमंत सोरेन के शासन में हिंदुओं को न्याय मिलने की उम्मीद बहुत ज्यादा नहीं की जा सकती. हिंदुओं के साथ हो रही घटनाओं को दबाने की कोशिश की जाती है. याद कीजिए तमिलनाडु में 12वीं की छात्रा पर धर्मांतरण के लिए दबाव डाला गया और उसे प्रताड़ित भी किया गया जिससे परेशान होकर छात्रा ने की आत्महत्या कर ली थी. इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि मिशनरी स्कूलों में हिंदुओं को उनके अनुष्ठानों का पालन करने के लिए प्रताड़ित किया जाता है। उस मां के बारे में सोचिए जिसने अपनी बेटी को अच्छी अंग्रेजी शिक्षा के लिए मिशनरी स्कूल भेजा लेकिन इसी स्कूल के कारण अपने बच्चे को खो दिया। ये वाकई शर्मनाक है, ये मिशनरी स्कूल ईसाई चीजों की इजाजत देते है, यहां तक कि ईसाई प्रार्थनाएं भी बच्चों से करवाते हैं लेकिन हिंदू धर्म से जुड़े किसी भी प्रतीक को बर्दाश्त नहीं कर सकते.

हमारी माता-पिता से विनती है कि सरकारी या पास के किसी स्कूल में बच्चों को पढ़ाये क्योंकि कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ने से ज्यादा आपके बच्चे का जिंदा रहना जरुरी है.

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