NDA की ओर से राष्ट्रपति पद के लिए द्रौपदी मुर्मू के नाम के एलान के साथ ही सोशल मीडिया पर उन्हें शुभकामनाएं देने वालों का तांता लग गया. वहीं उनके सामने विपक्ष के उम्मीदवार यशंवत सिन्हा होंगे. लेकिन इस बीच जहां द्रौपदी मुर्मू के अबतक किये गये कार्यो की सराहना की जा रही है , आदिवासी समाज के विकास के लिए उनके योगदान और महिला सशक्तिकरण में उनकी भूमिका के लिए तारीफ की जा रही है वहीं 84 साल की उम्र में यशवंत सिन्हा अपनी भद्द पिटवाते नजर आ रहे हैं.

लेकिन अब सवाल ये कि घर पर आराम करने की उम्र में यशवंत सिन्हा को नौकरी मिल पाएगी ? क्योंकि विपक्षी दलों ने मिलकर यशवंत सिन्हा को उम्मीदवार तो बना लिया लेकिन राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की हालत डांवाडोल ही नजर आ रही है ऐसे में NDA के उम्मीदवार के सामने यशवंत सिन्हा का टिक पाना बहुत मुश्किल लग रहा है .

देखा जाए तो यशवंत सिन्हा सक्रीय राजनीति के लिए सक्षम नहीं थे, उन्होंने अपनी ओर सभी का ध्यान खींचने के लिए पीएम मोदी पर हमले करने शुरू कर दिए बावजूद इसके पीएम मोदी ने उनपर ध्यान नहीं दिया। लेकिन बीजेपी की तरफ से उनपर कोई कार्रवाई नहीं की गई . इसका नतीजा ये रहा कि यशवंत सिन्हा जो जनता की सहानुभूति के भूखे थे वो विक्टिम कार्ड खेलने में पूरी तरफ फ्लॉप साबित हुए। विपक्षी खेमे से समर्थन लेने और बीजेपी के दुश्मनों से हाथ मिलाने की कोशिश में वे अपना ही नुकसान कर बैठे। अवसरवादी गद्दार होने के लिए उन्हें जनता की नफरतों का जरुर सामना करना पड़ा। जिसका उदाहरण उनकी उम्मीदवारी के बाद सोशल मीडिया पर दिख रहा है. बीजेपी से बागी होने के बाद सिन्हा ने TMC को अपना अगला ठिकाना बनाया था, और अब वहां से भी कुछ हासिल न होने पर सिन्हा बड़ी राजनीति और राष्ट्रीय उपयोगिता के लिए टीएमसी छोड़ चुके हैं। आखिरकार काफी माथापच्ची के बाद विपक्ष ने अपना राष्ट्रपति उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को चुन लिया। लेकिन सियासी हालात जिस तरह के दिख रहे हैं वो यशवंत सिन्हा के सपने को ध्वस्त करने वाला लग रहा है !

इतना तो तय माना जा रहा था कि विपक्षी खेमे की तरफ से राष्ट्रपति का उम्मीदवार वही हो सकता था जो अपनी राजनीतिक हत्या के लिए तैयार हो और यशवंत सिन्हा इसमें फिट दिखें. इस बीच परिस्थितियां साफ दिख रही है कि यशवंत सिन्हा का सपना कहीं सपना ही रह जाए !

 

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