अर्नब गोस्वामी : सिर्फ नाम नही विचारधारा है भारत के जनता की
कही पत्रकार आए कही गये, नेता आए गये, कही सेलिब्रिटीज आए गये लेकिन विश्व में ईतना अफाट समर्थन पाने वाले एक ही पत्रकार है ओर वो है 'अर्नब गोस्वामी।'
कही पत्रकार आए कही गये, नेता आए गये, कही सेलिब्रिटीज आए गये लेकिन विश्व में ईतना अफाट समर्थन पाने वाले एक ही पत्रकार है ओर वो है 'अर्नब गोस्वामी।'
तीन दिन पहिले यानी 11 नवंबर, बुधवार को रिपब्लिक मिडिया नेटवर्क के मुख्य संपादक अर्नब गोस्वामी को देश की सर्वोच्च न्यायालय ने जमानत दि। दरअसल मुंबई हाईकोर्ट ने सोमवार को अर्नब गोस्वामी की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। उसके अगले दिन मंगलवार को अर्नब गोस्वामी ने मुंबई हाईकोर्ट के निर्णय को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। बिते 8 दिनो से देश की जनता जिस खबर का इंतजार कर रही थी, वो खबर देश की सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को करिबन 4 बजे देश की जनता के सामने रख दी। 8 दिनो से मायुस बने चेहरे को खुशी से चमकाने का कारन बना सर्वोच्च न्यायालय। खबर मिलते ही जनता ने अपने शेर को जमानत मिलने की खुशी में मिठाईया बाटी, जगाजगाह दिये जलाये गये, ढोल बजाये गये, आतिशबाजी की गयी। अर्नब गोस्वामी के स्वागत के लिए तलोजा जेल के बाहर भारी मात्रा में भीड एकठ्ठा हो गयी थी। तलोजा के बाहर लोगो ने रंगोली बनायी। फुलो, हारो , फटाको का इंत्तजाम किया। अपने ही गढ़ मे अर्नब के समर्थन में उतरी अफाट भीड को देखकर महाराष्ट्र के सत्ताधारी वो के भी रोगंटे खडे हुए होंगे। कही पत्रकार आए कही गये, नेता आए गये, कही सेलिब्रिटीज आए गये लेकिन विश्व में ईतना अफाट समर्थन पाने वाला एक ही पत्रकार है ओर वो है अर्नब गोस्वामी।
पिछले कही महिनो से महाराष्ट्र के सत्ता में बैठी तिहाडी सरकार जनता की सेवा छोडकर रिपब्लिक मिडिया नेटवर्क के पिछे पड गयी है। सत्ता के नशे में चूर हो चुकी सरकार अपने अधिकारो का गलत इस्तेमाल कर रही है। रिपब्लिक को बंद करना महाराष्ट्र सरकार का मुख्य उद्देश्य बन चुका है। और इसी बदले की कारवाई में महाराष्ट्र सरकार के कहने पर रायगढ और मुंबई पुलीस ने अर्नब गोस्वामी को उनके आवास से गिरफ्तार किया।
ईसकी शुरवात होती है पालघर में हुए हिन्दू साधु वो की हत्या से। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने हत्या को गलतफैमीसे हुई मौत केहकर केस की दिशा बदल दि। CBI जाँच से भी इनकार कर दिया। लाॅकडाउन में अचानक जुटी भीड और पुलिस मौजुदगी में हुई हिन्दू साधु वो की हत्या कही सवाल खडे करती है। लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने इसपर कोई कारवाई नही की। रिपब्लिक मिडिया नेटवर्क ने दिखाये हिन्दू साधू वो की हत्या के सच से महाराष्ट्र की सरकार काप उठी। पालघर पर सोनिया गांधी की चुप्पी पर अर्नब गोस्वामी द्वारा पुछे गये सवाल महाराष्ट्र की सरकार को ईतने बुरे लगे की देड रात 12 बजे अर्नब गोस्वामी और उनके पत्नी के उपर दो काॅग्रेसी कार्यकरता वो ने जानलेवा हमला किया। लेकिन मुंबई पुलिस ने FIR में कॉग्रेस का उल्लेख करने से साफ मना कर दिया। महाराष्ट्र सरकार यही पर नही रूकी। हमला करने वाले काॅग्रेसी कार्यकरता वो को पुलिस ने छोड दिया तो वही अर्नब गोस्वामी से करिबन 12 घंटे पुछताछ की। उसके बाद भी कही बार उनको बुलाकर मुंबई पुलिस ने उनसे पुछताछ की। लेकिन सच कभी हारता नही। अर्नब गोस्वामी ने पालघर का एक एक सच जनता के सामने रखा। महाराष्ट्र की उद्धव सरकार घबरा गयी। उसने रिपब्लिक के अलग अलग पत्रकारो के उपर FIR दर्ज की। उनकी कही घंटो तक पुछचाछ की। लेकिन रिपब्लिक कभी झुका नही,अपने सवालो का वाॅर उन्होने जारी रखा।
सुशांत सिंग राजपूत मर्डर केस को महाराष्ट्र सरकार ने सुसाइड केस करार दिया। लेकिन रिपब्लिक ने सुशांत केस को बेनकाब कर के जनता के सामने रख दिया। सुशांत केस मे महाराष्ट्र की सरकार पुरी तरह से बेनकाब हो गयी। अर्नब गोस्वामी के सुशांत और दिशा सालियान केस को लेकर महाराष्ट्र सरकार से किए गये सवाल महाराष्ट्र सरकार को पसंद नही आए। वो घबरा गयी। सरकार के ईशारे पर मुंबई पुलीस ने एक ही दिन में रिपब्लिक के 1000 कर्मचारियो के उपर FIR जर्द करा दि। मुंबई पुलिस कमिशनर परमबीर सिंग ने प्रेस कॉन्फरन्स के जरिए फेक TRP स्कॅम में रिपब्लिक को फसाना चाहा। हालांकी TRP केस में कही भी रिपब्लिक का नाम नही था। India Today को क्लीन चीट देकर रिपब्लिक को केस में फसाने की योजना बनायी, झुठे गवाह खडे करने की कोशीश की। लेकिन हर बार रिपब्लिक ने उन्हे बेनकाब कर दिया। रिपब्लिक के पत्रकारो के उपर अंग्रेजो के जमाने के कानुन के तहत FIR जर्द कराई। हर दिन पत्रकारो को बुलाकर कही घंटो तक उनसे पुछताछ की। उनके कंस्लटिंग एडिटर प्रदिप भंडारी को समन के नाम पर बुलाकर उनकी अवैध गिरफ्तारी की,उनके साथ मारपीठ की,उनके मोबाईल फोन्स छिन लिए गये। मुंबई कमिशनर ने रिपब्लिक से 4 सालो तक का हिसाब मांगा। कार्यालय में इस्तेमाल किए जाने वाले सॉफ्टवेअर से लेकर झेरॉक्स कॉपी तक, चाय-काॅफी से लेकर मेकवोअर के सामान तक, टिशु पेपर से लेकर टॉयलेट पेपर तक का पुरा हिसाब मांगा। महाराष्ट्र सरकार ने हर वो संभव प्रयास कीए जिससे रिपब्लिक का हौसला तुट जाए। लेकिन अर्नब गोस्वामी हर साजीश को नाकाम कर देते और अपने सवाल, बेबाक पत्रकारिता उन्होने जारी रखी।
उन्होने बॉलीवूड के ड्रग्स गॅग का भांडा फोड किया।
बॉलीवूड पर पुछे गये उनके सवाल बॉलीवूड को रास नही आए। बॉलीवूड की बडी हस्तीयो ने रिपब्लिक को बंद कराने की अपील की। रिपब्लिक के द्वारा किए गये स्टिंग ऑपरेशन में कही बाते सामने आयी। स्टिंग ऑपरेशन में NCP के नेता एव महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक ने काहा, की ये तो बस शुरवात है, अभी और होना बाकी है। हम अर्नब को ईतना परेशान करेंगे की वो खुद आत्महत्या कर लेगा। इससे साफ पता चलता है कि महाराष्ट्र सरकार ने कितनी गहरी साजीश बनायी थी।
4 नवंबर को महाराष्ट्र सरकार ने अपनी सारी सिमाए तोड दि। सरकार के ईशारे पर मुंबई और रायगढ पुलिस ने 2018 की एक क्लोजर फाईल को खोलकर आत्महत्या को उकसाने के केस मे अर्नब गोस्वामी को उनके आवास सें उन्हे गिरफ्तार किया। अर्नब गोस्वामी को बिना किसी जानकारी देते हुए बुधवार की सुबह के करिबन 6 बजे पुलिस उनके आवास में पहुंची। घर के अंदर उनके साथ मारपीट की। उनके परिवार के साथ भी मारपीट की। उनके घर के सामने AK-47 असाॅल्ट रायफल लेकर कंमान्डो को तैनात कर दिया गया जो की आतंगवादी यो से लडने के लिए होते है। उस गाडी में बिठाया गया जिस गाडी में बडे बडे अपराधी योको ले जाया जाता है। उपर सें गाडी पर काला कपडा भी डाला गया। कोर्ट ने पुलिस कस्टडी देने से मना कर दिया, तो वही 14 दिन की न्यायीक हिरासत में भेजा गया। कोर्ट ने साफ काहा की क्लोजर केस को बिना मजिस्ट्रेट के आदेश के नही खोला जा सकता। पैसो की लेन देन आत्महत्या का एक मात्र कारन नही बन सकती। अगले दिन से मुंबई हाईकोर्ट में अर्नब गोस्वामी के अंतरिम जमानत याचिका पर सुनवाई शुरू हुई। तीन दिन लगातार सुनवाई के बाद हायकोर्ट ने फैसले को सुरक्षित रख दिया। अगले दिन रवीवार को अर्नब गोस्वामी को अलीबाग पुलीस स्टेशन से तलोजा जेल शिफ्ट किया गया। तलोजा जेल जाते समय उन्होने जनता से काहा की उनके जान को खतरा है। उनके एक बात से देश की जनता के आखो में आसू आ गये। उन्हे ऐसी जेल में भेजा गया जाहा बडे बडे अपराधी सजा काट रहे थे, जहा दाऊद के सखे-संबंधी कही सालो से सजा काट रहे थे। ऐसे में देश की जनता को उनके स्वास्थ की चिंता होने लगी। सोमवार को मुंबई हाईकोर्ट ने जमानत याचिका को खारीज कर दिया। अगले दिन अर्नब गोस्वामी ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। उसके अगले दिन यानी बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत याचिका पर सुबह साडे दस बजे सूनवाई शुरू की। और 4 बजे वो निर्णय दिया जिसका देश कही दिनो से इंतजार कर राहा था। अर्नब गोस्वामी का पक्ष रख रहे देश के सबसे बडे वकील हरिश साल्वे ने न्यायालय में बेहतरिन दलिले पेश कि। इस बीच सर्वाच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार को कही महत्वपूर्ण बाते कही। अंतरिम जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार पर सवाल उठाए। कोर्ट ने कहा कि ‘इस तरह से किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत आजादी पर बंदिश लगाया जाना न्याय का मखौल होगा।’ जस्टिस धनंजय वाई.चंद्रचूड और जस्टिस इन्दिरा बॅनर्जी की बेंच ने कहा कि,’अगर राज्य सरकारें लोगों को निशाना बनाती हैं तो उन्हें इस बात का अहसास होना चाहिए कि नागरिकों की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट है।’ शीर्ष अदालत ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि ‘राज्य सरकारें कुछ लोगों को विचारधारा और मत भिन्नता के आधार पर निशाना बना रही हैं। हम देख रहे हैं कि एक के बाद एक ऐसे मामले हैं जिसमें हाई कोर्ट जमानत नहीं दे रहे हैं और वे लोगों की स्वतंत्रता, निजी स्वतंत्रता की रक्षा करने में नाकाम हो रहे हैं।’ कोर्ट ने राज्य सरकार से जानना चाहा कि ‘क्या गोस्वामी को हिरासत में लेकर उनसे पूछताछ की कोई जरूरत थी। क्योंकि यह व्यक्तिगत आजादी से संबंधित मामला है।’
बेंच ने टिप्पणी की कि ‘भारतीय लोकतंत्र असाधारण तरीके से लचीला है और महाराष्ट्र सरकार को इन सबको नजरअंदाज करना चाहिए।’ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा,’उनकी जो भी विचारधारा हो, कम से कम मैं तो उनका चैनल नहीं देखता। लेकिन अगर सांविधानिक न्यायालय आज इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगा तो हम निर्विवाद रूप से विनाश की ओर बढ़ रहे होंगे।’ बेंच ने कहा ‘सवाल यह है कि क्या आप इन आरोपों के कारण व्यक्ति को उसकी व्यक्तिगत आजादी से वंचित कर देंगे?’
अर्नब गोस्वामी इस देश के एक वरिष्ठ पत्रकार के साथ देश के नंबर वन न्युज नेटवर्क रिपब्लिक के ओनर तथा मुख्य संपादक है। रिपब्लिक भारत पर शाम 7 बजे उनका डिबेट शो ‘पुछता है भारत -अर्नब के साथ’ देश का सबसे ज्यादा देखा जाने वाला शो है।
ईन 8 दिनो में, उनके गिरफ्तारी के खिलाफ जनता सडको पर आ गयी थी। देश का ऐसा कोई कोना नही था, जहा अर्नब के समर्थन में आवाज ना उठी हो। सोशल मीडिया से लेकर गावो तक जनता अर्नब गोस्वामी के समर्थन में थी। ईन 8 दिनो में जनता ने दिखा दिया की वो राष्ट्रवाद के साथ खडी है, सत्य के साथ है। साधु संतो से लेकर रिटायर्ड आर्मी ऑफिसर तक सब सडको पर थे। महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ नारे बाजी की जा रही थी। देश ही नही विदेशो में भी अर्नब के समर्थन में जनता ने सडको पर मोर्चे निकाले। लोग ‘अर्नब गोस्वामी जिंदाबाद’ के नारे लगा रहे थे। उसीके साथ ‘देखो देखो कोन आया शेर आया शेर आया’ ‘देश का मिडिया कैसा हो रिपब्लिक जैसा हो’ जैसे ओर भी नारे लग रहे थे। उनके स्वास्थ के लिए, उनके रिहाई के लिए जिससे जो हो पाए उन्होने वो किया। कही जगावो पर होम हवन हुए, पुजा अर्चना हुई, दिये जलाए गये, किसी ने व्रत किए तो किसी ने भगवान से प्राथनाए की, तो किसी ने राष्ट्रपती, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री को अपील की। अर्नब गोस्वामी विश्व के एकमेव पत्रकार है जिन्हे ईतना अफाट समर्थन प्राप्त है। जनता के मन मे उनके प्रति प्यार, आदर इन 8 दिनो में खुलकर सामने आया। तलोजा जेल के बाहर हर दिन लोगो की भीड इसी आस में रेहती थी कि कब हमारा शेर वापस आऐगा। बच्चो से लेकर बुडी माओ तक हर कोई अपने भाई, बेटे अर्नब गोस्वामी का इंतजार कर रहे थे। ईतना अफाट समर्थन देखकर महाराष्ट्र सरकार के रोंगटे खडे हुये होंगे। उनको जमानत मिलने के दिन तलोजा जेल के बाहर लोगो की भारी भीड देखने को मीली। तलोजा के बाहर, देश भर में, देश के बाहर अर्नब के समर्थन में खडे लोगो को देखकर महाराष्ट्र सरकार तिलमिला गयी होगी। जनता ने कभी ईतना प्यार किसी राजनेता, किसी पत्रकार, किसी सेलिब्रिटी के लिए पहिले नही दिखाया। अर्नब गोस्वामी इस देश की आवाज है। जनता जानती है कि वो सच के साथ है। अर्नब सिर्फ एक नाम नही केवल एक पत्रकार नही वो एक विचारधारा है इस देश की, आने वाले भारत कि, जनता के आवाज की। जनता ने दिखा दिया की, वो असत्य को बर्दाश नही करेंगी। वो हमेशा राष्ट्रवाद के साथ खडी रहेंगी। इस बिच रिपब्लिक के पुरे टिम ने साहस से काम लिया, उनकी हिम्मत, एकता और दृढ संकल्प ने रिपब्लिक को एक नयी उचाई तक पहुंचाया। ईन 8 दिनो में उन्ह सब ने अपनी जरा सी भी हिम्मत नही हारी और सच के साथ साहस से खडे रहे।
अर्नब गोस्वामी तलोजा जेल के बाहर आते ही पुरा देश खुशी से झुम उठा। 8 दिनो के बाद अपने हिरो को देखकर जनता के आखो में खुशी के आसु बहे। उनके बाहर आते ही, तलोजा के बाहर एक ही आवाज गुंज रही थी, भारत माता की जय, वंदे मातरम्। बाहर आते ही उन्होने देश की जनता का, सर्वोच्च न्यायालय का धन्यवाद किया। काहा की ये भारत की जीत है, ये हमारी जीत है। कुछ ही समय के बाद अर्नब गोस्वामी अपने स्टुडिओ में महाराष्ट्र सरकार पर जोरदार बरसे। उन्होने काहा, ‘जितना आर्थिक खर्चा महाराष्ट्र सरकार ने रिपब्लिक को फसाने में इस्तेमाल किया अगर उसका 1 प्रतिशत भी महाराष्ट्र की जनता के लिए इस्तेमाल करते तो बेहतर होता।’ उन्होने काहा की ‘ये पत्रकारिता मुझे मेरे कठिण परीश्रम से मिली है, मेरे लिए राष्ट्रहित सर्वोपरी है, रिपब्लिक कभी समझौता नही करेगा। हमारी आवाज पहिले से भी ज्यादा बुलंद है।’ अर्नब को तोडने, फसाने में असफल रही महाराष्ट्र सरकार को अर्नब ने साफ काहा की ‘में आने वाले 11 महिनो में हर राज्य के प्रादेशिक भाषा में रिपब्लिक मिडिया को लॉन्च करूंगा रोक सको तो रोक लो।’
उनके आवाज में राष्ट्र के प्रती उनका प्यार, सत्य की महागाथा, और असत्य के आगे न झुकने का प्रण था। ये बुलंद आवाज हमेशा ऐसी ही रहेगी। क्यौंकी अर्नब सिर्फ नाम नही विचारधारा है इस राष्ट्र की,भारत के जनता की।
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