पूरे देश में एक तो कोरोना दोबारा कहर बरपा रहा है, क्या अमीर क्या गरीब सभी डरे हुए हैं लेकिन जिन पर दोहरी मार पड़ी है वो हैं प्रवासी मजदूर जो अपना घरबार छोड़कर बड़े महानगरों में दो वक्त की रोटी की जुगाड़ में आते हैं. क्या दिल्ली क्या मुंबई जहां भी प्रवासी मजदूर हैं इस वक्त सभी किसी तरह से अपने घर लौट जाना चाह रहे हैं.

दरअसल दिल्ली में 6 दिनों के लॉकडाउन के बाद एक बार फिर प्रवासी मजदूरों ने बड़े पैमाने पर दिल्ली से वापस लौटना शुरू कर दिया है. सोमवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने लॉकडाउन का जैसे ही ऐलान किया, ठीक उसके बाद आनंद विहार बस अड्डे से अपने-अपने शहरों की ओर लौटने वाले मजदूरों का रेला लग गया. दिल्ली बॉर्डर पर बसों में यात्रियों को ठूंसा जा रहा है. सोशल डिस्टेंसिंग तो दूर की बात है, कईयों के चेहरे पर तो मास्क भी नहीं है. अरविंद केजरीवाल ने प्रवासी मजदूरों से अपील की है कि वो दिल्ली ना छोड़ें, लेकिन दिल्ली से जा रहे हजारों मजदूरों पर कोई असर नहीं दिख रहा है.

दरअसल प्रवासी मजदूरों को डर है कि लॉकडाउन की अवधि पहले की तरह ही इस बार भी बढ़ सकती है, मजदूरों को भरोसा नहीं है कि इतनी जल्दी दिल्ली में सब कुछ सामान्य हो जाएगा, सबको लॉकडाउन के लंबा चलने का डर सता रहा है. लॉकडाउन की वजह से काम बंद हो गए हैं और एक बार फिर यहां फंस गए तो परिवार चलाना मुश्किल साबित हो सकता है.

दरअसल 2020 में कोरोना की वजह से जो हालात बने थे वो मंजर हर किसी के जेहन में जिंदा है किस तरह से मजदूर बसों में, मोटरसाइकिलों पर और तो और साइकिल के सहारे अपने घर लौटे थे, शायद यही वजह है कि वो समय से पहले अपने घर अपनों के पास पहुंचना चाह रहे हैं। एक और सच्चाई ये भी है कि सरकार ने पिछले साल भी कई वादे किये थे लेकिन केजरीवाल जी आपकी कथनी और करनी में बहुत अंतर है जिसके बहकावे में अब ये मजदूर शायद नहीं आने वाले हैं।

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