बदलते भारत की बदलती तस्वीर : जब जेएनयु में गुँजा भारत माता की जय!
जब वामपंथी गढ़ में गुँजा 'भारत माता की जय' !!
जब वामपंथी गढ़ में गुँजा 'भारत माता की जय' !!
१२ नवंबर का दिन, भारत के इतिहास का खास दिन है। जिस विश्वविद्यालय में से देश के विरूध आवाज निकलती है उसी विश्वविद्यालय में से १२ तारीख को भारत ‘माता की जय के नारे लगे’। १२ नवंबर करिबन शाम साडे छे बजे माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी के हाथो जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में स्थित स्वामी विवेकानंद की मानवाकार प्रतिमा का व्हिडिओ काॅन्फरन्सिंग के जरिए अनावरण हुवा। इस बीच शिक्षण मंत्री माननीय रमेश पोखरियाल जी भी उपस्थित रहे।
वामपंथी विचारधारावो का गढ़ माने जाने वाली जेएनयु में शिकागो के धर्म संसद में हिंदू धर्म का परचम लहराने वाले स्वामी विवेकानंद के मुर्ती का अनावरण बदलते भारत की बदलती तस्वीर है। दिपावली के दिन स्वामी जी के प्रतिमा के सामने जलाए गये दिपो की रोशनी नये भारत के उज्ज्वल भविष्य को दर्शाती है। जब प्रधानमंत्री जी प्रतिमा का अनावरण कर रहे थे तो, जेएनयु में गूँज रहे ‘भारत माता की जय’ के नारे कान को सुकुन पहुचाने वाले थे। लेकिन जैसे ही छात्र संघ वहा पहुंचा तो अनावरण के खिलाफ नारे बाजी होने लगी। जिस व्यक्ति ने भारतीय संस्कृति को पुरे विश्व में फैलाया,उसी व्यक्ति के प्रतिमा का अनावरण कर रहे प्रधानमंत्री जी के खिलाफ जेएनयु के कुछ मुठ्ठी भर छात्र नारे बाजी करने लगे और ये अनावरण के वक्त ही नही बल्कि प्रतिमा बनाने के खिलाफ भी जेएनयु काफी चर्चा में राहा।
वैसे दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय देशभर के प्रख्यात विश्वविद्यालयो में से एक है। लेकिन ये पढा़ई से ज्यादा अपने देशविरोधी प्रचार को लेकर काफी चर्चा में रहता है। स्वामी विवेकानंद कि प्रतिमा बनाने के शुरवात से ही वामपंथी मानसिकता और जेहादी सोच वाले छात्र इसके विरोध में थे। ऐसी ही एक खबर 2019 में सामने आयी थी, जब कपडे से ढकी विवेकानंद कि प्रतिमा के साथ छेडछाड की गई थी। प्रतिमा के चबुतरे पर हिंदू धर्म और भाजपा के खिलाफ अपशब्द लिखे गये। भगवा जलेगा, Fasciam will die जैसे अपशब्द लिखे गये। हालांकि लिखने वाले वामपंथी कोन थे इसकी पुष्टि नही हो पायी। लेकिन सोचने की बात है कि,अपने हि देश में अपने ही देश के खिलाफ नारे बाजी करने कि हिम्मत काहा से आ जाती है। स्कुल, काॅलेजेस बच्चो को अच्छी शिक्षा देने के लिए होते है, लेकिन जिस प्रकार जेएनयु में होता है, तो समज आता है की ये किस तरह की पढा़ई है जो अपने ही देश के खिलाफ खडा रहना सिकाती है।
देश-विदेशो में जिस व्यक्ति के 15 मिनीट का भाषन सुनने के लिए सेकडो लोग कही घंटे तक उनके बारी का इंतजार करते थे। उनके महानता के चर्चे अपने देश में ही नही बल्की विदेशो में भी होते थे। अजीब लगता है कि उनके ही मातृभूमि में उनके लिए अपनास्पद भाष्य हो रहे है। स्वामी विवेकानंद युवा शक्ति को पेहचानते थे। उनका कहना था की, शिक्षा के जरिए किसी भी व्यक्ति के गुनो को बाहर लाया जा सकता है। लेकिन आज उनके ही देश में स्थित जेएनयु विश्वविद्यालय में किस तरह की शिक्षा दि जाती है ये सब जानते है। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में पढ़ रहे मुठ्ठी भर छात्र पढा़ई के नाम पर देशविरोधी एजेंडा चला रहे है। इन्हे पढाई में जरासी भी रूची नही है। वामपंथी, देशविरोधी मानसिकता वाले छात्र देशविरोधी प्रचारो में जुटे है। देश में हुए दंगे हो, दिल्ली का शाहीनबाग हो या देश विरोधी आंदोलन या फिर आतंकीयो का समर्थन हर जगह जेएनयु का संबंध होता है। वाहा के वामपंथी छात्र इन के पीछे होते है। इस विश्वविद्यालय ने हमेशा देशविरोधी ताकतो को मंच दिया है। यही से उमर खालीद ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे इंशाअल्लाह! इंशाअल्लाह!’ जैसे भाष्य देता है। यही से आसाम को भारत से अलग करने के बयान निकलते है। यही के छात्रा राष्ट्रविरोधी विचारधाराए पेश करते है। ‘भारत के बर्बादी तक जंग रहेगी’ ऐसे नारे देते है। यही विश्वविद्यालय संसद हमले का दोशी अफजल गुरू के समर्थन में आंदोलन निकालता है। ‘अफजल हम शर्मिंदा है, तेरे कातील जिंदा है’ नारे लगाकर आंतकी यो के समर्थन में सडको पर उतर जाते है। इनके मुताबिक बुरहान वानी भटका हुवा युवा है। समज सकते है की यहा किस तरह की पढा़ई होती है। केहने वाले तो केहते है कि, जेएनयु कोई विश्वविद्यालय नही बल्कि वामपंथी और जेहादी सोच का जिता जागता अड्डा बन गया है। भारतीय संस्कृति के मुल्यो का अपमान करना इन छात्रो के लिए आम बात बन गई है। लेकिन जैसे ही खुद पर आए तो ये छात्र खुदको गरिब और वंचित साबित कराने में जुट जाते है।
आतंकवादी यो का समर्थन हो या देशविरोधी प्रचार टुकड़े टुकड़े गँग हमेशा समर्थन में रही है। शिक्षा का मंदिर जहा से देश का सुवर्ण भविष्य निकलता है, आज वहा से जेहादी सोच निकल रही है। आतंकी बनना और समर्थन करना दोनो बात अलग कैसे हो सकती है। आतंकी गद्दार है तो समर्थन करने वाले भी गद्दार है। अपनी विचारधारो वो पर गर्व करना स्वाभाविक बात है। लेकिन विचारधारावो की दिशा क्या है ये सुनिश्चत करना होगा। हमे जिन्ह माता पिता ने जन्म दिया है हम उनके खिलाफ नही बोल सकते, तो जिस देश में हमने साँस ली, जिससे हमारी पेहचान जुडी है, जिस देश का खाते है, हम उस देश के खिलाफ कैसे बोल सकते है। इसीलिए विचारधावो पर गर्व करना बेहतर नही बल्कि अपनी विचारधारायें देशहित में होनी चाहिए। जेएनयु के छात्र भुल गये है की वो इस देश में खाते पिते है। उन्हें उनकी विचारधारायें जानकर देशहीत में बदलने की जरूरत है वरना समय के साथ उनपर भी ठोस कारवाही की जायेंगी।
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