भारत के कोने-कोने में लाखों मंदिर हैं। मंदिरों ने हमारी संस्कृति को संरक्षित रखा है; लेकिन वर्तमान समय में मंदिरों में भक्ति कार्यों के लिए भक्तों से प्राप्त दान को एफ.डी. के रूप में बैंक में रखा जाता है। पूजा-पाठ के लिए प्राप्त धन बैंक में चला जाता है और धर्म के काम नहीं आता। वहीं दूसरी ओर जर्जर हो चुके जीर्ण मंदिरों की ओर किसी का ध्यान नहीं है। अत: भक्तों द्वारा दान किए गए धन का उपयोग बैंक में पड़े रहने के बजाय जीर्ण-शीर्ण मंदिरों के पुनर्निर्माण में किया जाना चाहिए। समस्त महाजन संघ के कार्यकारी ट्रस्टी श्री. गिरीश शाह ने कहा इस पुनर्निर्माण कार्य को करते समय प्राचीन मंदिरों की संरचना को संरक्षित करना आवश्यक है ।’वैश्विक हिंदू राष्ट्र महोत्सव’ के पांचवें दिन वे ‘मंदिरों के उचित प्रबंधन’ पर बोल रहे थे ।
– पू. प्रा. पवन सिन्हा गुरुजी, पावन चिंतन धारा आश्रम
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