साँस लेनें में तकलीफ़ होने की वजह से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को aiims में भर्ती कराया गया है ।अमित शाह पिछले २ अगस्त को कोरोना पॉज़िटिव पाए गए थे ।मेदांता में इलाज के बाद उनकी जाँच रिपोर्ट नेगेटिव आ गयी थी, पूरी तरह स्वस्थ होने के बाद १४ ऑगस्त को उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया था । लेकिन १८ ऑगस्त को उन्हें शरीर में थकान और दर्द के वजह से दोबारा aiims में भर्ती कराया गया था , जहाँ से ३१ अगस्त को स्वस्थ् हो के लौटे थे ।

वही दूसरी तरफ़ कोंग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी रूटीन स्वास्थ्य जाँच के लिए पूर्व पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ दो सप्ताह के लिए विदेश गयी हैं।एवं वापस आने के बाद संसद सत्र में शामिल होंगी।

प्रश्न उठता है , क्या देश के सबसे बड़ी स्वास्थ्य संस्था aiims (जिसे बनबाने का क्रेडिट कोंग्रेस हमेशा नेहरू जी को देती है ।जो बहुत हद्द तक सही भी है , सरकार ही उनकी थी तो क्रेडिट भी उन्ही को जाएगा ) इस लायक़ नहीं की सोनिया गांधी को उचित स्वास्थ्य सेवा प्रदान कर सके ?

और अगर aiims इस लायक़ नहीं तो फिर देश की बाक़ी स्वास्थ्य संस्थाओ का क्या हाल होगा ? गरीब नागरिकों को क्या स्वास्थ्य सुबिधा मिलती होगी ? भारतीय डाक्टर् की क़ाबिलियत पे प्रश्न उठता है । आख़िर ये सब भी तो कोंग्रेस व नेहरू जी की ही देन है ।

फ़िलहाल भारत की स्वास्थ्य संस्थानो और उनके गुणवत्ता पे संदेह ज़रूर उत्पन्न होता है ।जो इन संस्थानो को खड़ा करने का दम भरते है वो खुद अमेरिका जाते है इलाज करवाने । जिन गरीब के पास खाने को पी नहीं उनके पास मौत को क़रीब आते देखने का कोई और विकल्प नहीं ।

इसी संदर्भ में कुछ टवीटराती ने यही सवाल खड़ा किया है ।एक ट्विटर यूज़र अंश लिखते है :

वही एक ट्विटर यूज़र अश्विनी कुमार भगत को लगता है वो चीनी राजदूत से मिलने जा रही हैं : क्या ये सत्य है ?

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