कंगना रनौत, इस महिला की जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है। कहावत है कि “अकेला चना भाड़ नही फोड़ सकता” लेकिन कंगना ने इस बात को गलत सिद्ध कर दिया।
सुशांत राजपूत का मामला हो, उद्धव सरकार का विरोध हो, बॉलीवुड नेपोटिस्म की पोल खोलना हो या अभी किसान आंदोलन में बेबाक तरीके से अपना मत रखना हो, कंगना ने हमेशा राष्ट्रविरोधी तत्वों और लिबरलों को मुँहतोड़ जवाब दिया है।
बिना अपने भविष्य की चिंता किए हुए, राजनीति और बॉलीवुड में दुश्मन होते हुए भी कंगना ने ये सिद्ध कर दिया कि “आज की नारी सब पर भारी”।
अपना बनाया हुआ घर सब लोगों को अच्छा लगता है लेकिन जरा कंगना का सोचिए, जिसे सच बोलने की सजा उसके सपनों के घर की कीमत पर चुकानी पड़ी।
लेकिन कंगना से भी बड़ी कीमत आखिर उद्धव को ही भुगतनी पड़ी, पहले पूरे देश के सामने छवि खराब होना और फिर कोर्ट से भी बेइज्जती।।
इस घटना के बाद भी कंगना की ना तो हिम्मत टूटी, ना ही उसके सच बोलने का साहस कम हुआ अपितु कंगना तो अब हर राष्ट्रविरोधी मुद्दे पर विरोधियों को ऐसा जवाब देती है कि विरोधी बगलें झांकने लगते है।।
कंगना के इस कदम से आज बॉलीवुड के अधिकांश लोग कंगना के दुश्मन बन चुके है फिर भी कंगना ने सच का साथ नही छोड़ा।
दिलजीत दोसांझ जैसे खालिस्तान और करण जौहर समर्थक को करारा जवाब सिर्फ कंगना ही दे सकती है क्योंकि कंगना सच बोलने से नही डरती।।
आज यदि वास्तव में देखे तो कंगना ने स्वयं को अपनी फिल्म के किरदार “रानी लक्ष्मीबाई” के रूप में स्थापित कर लिया है, रानी लक्ष्मीबाई की तरह ही कंगना भी अपने विरोधियों और राष्ट्रविरोधी तत्वों पर पूरी तरह से आक्रमक है और आज इसी आक्रमकता की जरूरत हर एक राष्ट्रभक्त को है ताकि कोई भी इस महान राष्ट्र पर गलत तरीके से उंगली ना उठा सके, कोई भी इस राष्ट्र पर बुरी नज़र ना डाल सके। हम सभी को जरूरत है कंगना जैसे राष्ट्रवादियों का समर्थन करने की ताकि कोई भी राष्ट्रवादी स्वयं को कमजोर ना समझें।।
जय हिंद
वंदेमातरम
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