• कुंडली में गुरु ही है कामयाबी कि वजह:-
•बृहस्पति अर्थात गुरु कहते है कि जिस भी जातक पर स्वयं गुरु कि कृपा हों उसे भला सफलता प्राप्त करने से कौन रोक सकता है?
• वैदिक ज्योतिष में गुरु ग्रह सबसे शुभ ग्रह माने जाते हैं। नैसर्गिक रूप से शुभ होने के कारण इनकी दृष्टि अमृत समान मानी गई है। यह जिस भाव में बैठते हैं, उस भाव से पाँचवें, सातवें और नौवें भाव पर पूर्ण दृष्टि देते हैं, जिससे इन भावों की वृद्धि होती है।
• बृहस्पति की दृष्टि जिस भी जातक पर होती है वह सदैव उन्नति के मार्ग पर अग्रसर रहता है।
• इनकी अच्छी से दृष्टि जातक को शुभ फलो कि प्राप्ति होती है। जिससे मान-सम्मान, पद प्रतिष्ठा, धन-संपत्ति इत्यादि में वृद्धि होती है। इसके विपरीत अगर इनकी दशा विपरीत भावो में है तो जातक को विभिन्न प्रकार की बीमारियां घेर लेती है।
• ज्योतिष के नजरिए से देखा जाए तो बृहस्पति को सभी ग्रहो में उच्च स्थान प्राप्त है यह 2 राशियों धनु तथा मीन के स्वामी साथ ही 3 नक्षत्रों के पुनर्वसु, विशाखा और पूर्वाभाद्रपद के अधिपति के रूप में भी विख्यात हैं। जहां एक ओर यह कर्क राशि में उच्च के मानें जाते है तो वहीँ मकर राशि में नीच के माने जाते हैं।
• बृहस्पति के प्रभाव से व्यक्ति शिक्षित बनता है और संस्कारी बनता है क्योंकि बृहस्पति ज्ञान का कारक ग्रह है। यह शिक्षा देता है, संतान देता है, धन देता है, धार्मिक कार्यों में मन लगाता है, पवित्र स्थलों की सैर कराता है।
• बृहस्पति के प्रभाव से व्यक्ति तीर्थाटन करता है और समय समय पर दान पुण्य करता है। बृहस्पति के प्रभाव से व्यक्ति जीवन में पुण्य कमाता है और वृद्धि को प्राप्त करता है। यह सात्विक प्रकृति का ग्रह है और आकाश तत्व का प्रतिनिधित्व करता है।
• गुरु ग्रह के शुभ परिणाम:- बृहस्पति यदि आपकी कुंडली मे अच्छे भाव में बैठा है तो आपके अंदर सोच ,विचार ,समझ ,ज्ञान की कोई कमी नहीं आएगी। ऐसे व्यक्ति शिक्षा में बिना अवरोधों के अपने क्षेत्र में अग्रणी रहता है। उसे जीवन में उत्तम संतान का सुख मिलता है। ऐसे व्यक्ति को जीवन साथी का सुख और धन का सुख भी सहज रूप से प्राप्त होता है। अर्थात ऐसे जातक आर्थिक रूप से बहुत मजबूत होते हैं।
• गुरु ग्रह के प्रभाव वाला व्यक्ति आध्यात्मिक दृष्टिकोण रखता है। और उसे गुरु या गुरु तुल्य लोगों से आशीर्वाद मिलता है। और वह उनका आदर करता है। वह ईमानदारी को महत्व देता है किसी से झूठ नहीं बोलता।
• सत्य को ही अपने जीवन का एकमात्र उद्देश्य समझता है। वह न्याय प्रिय होता है तथा जीवन में उत्तरोत्तर वृद्धि को प्राप्त होता है। न्याय प्रिय और सत्य के प्रति इनकी निष्ठा ही इन्हें चारित्रिक रूप से धनवान बनाती है।
• गुरु ग्रह चंद्रमा के साथ मिलकर गजकेसरी योग बनाते हैं तथा कुंडली में केंद्र भावों में यदि अपनी स्वराशि अथवा उच्च राशि में स्थित हों तो हंस नामक पंच महापुरुष योग का निर्माण करते हैं। ये योग व्यक्ति के जीवन में किसी भी चीज की कमी नहीं होने देते और उसे उन्नति के पथ पर आगे बढ़ाते हैं।
• अतः संपूर्ण रूप से यह कहा जा सकता है कि जिस किसी भी जातक की कुंडली में गुरु ग्रह की कृपा दृष्टि बनी रहती है । जीवन में उसे किसी भी प्रकार की तकलीफों का सामना नही करना पड़ता है।
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