भारत एक विविधताओं से संपूर्ण राष्ट्र है जहां ईश्वर कण-कण में वास करते हैं जहां की संस्कृति ही पूर्ण जीवन दर्शन का अहसास करवाती हो वह सनातन ध्वज की अगुआ भूमि हमेशा से ही अधर्म के निशाने पर रही है. 
पौराणिक इतिहास में रामायण काल के रावण से लेकर महाभारत काल के दुर्योधन और आधुनिक भारत में मोहम्मद गौरी, गजनवी से लेकर मुगल और आज के वामपंथी अधर्म की ध्वजा के ध्वजवाहक हैं.
 पर इतिहास गवाह है श्री राम, श्री कृष्ण से लेकर पृथ्वीराज चौहान, शेरशाह सूरी, महाराणा प्रताप, बाजीराव पेशवा, महाराजा छत्रसाल, शिवाजी महाराज, रानी देवी अहिल्या बाई जैसे कई योद्धाओं ने धर्म ध्वजा को अधर्म के सामने झुकने नहीं दिया और आधुनिक काल में महारानी लक्ष्मीबाई, सुभाष चंद्र बोस, श्यामा प्रसाद मुखर्जी और अटल बिहारी वाजपेई जैसे कई योद्धाओं ने धर्म ध्वजा की आन बान शान की बखूबी रक्षा की और आज के समय में धर्म ध्वजा के वाहक प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी भी सनातनी संस्कृति के वह अगुआ हैं,  जिनका नाम सुनते ही अधर्मी कांप उठते हैं.

अब आते हैं उस समय में जहां से सनातनी भारतवर्ष या आर्यावर्त ( जिसका हिस्सा आज के अफगानिस्तान और ईरान तक थे) पर इस्लामिक विचारधारा का आक्रमण शुरू हुआ.
 कई जगह उपलब्ध जानकारी के अनुसार इस्लाम की स्थापना पैगंबर मोहम्मद ने सातवीं शताब्दी के शुरुआत में मक्का मदीना (सऊदी अरब) में की.भारत की पवित्र भूमि सनातनी संस्कृति पर इस्लामिक दस्तक सातवीं शताब्दी में ही पैगंबर मोहम्मद के मित्र मलिक बिन दीनार द्वारा भारत के पश्चिमी तट पर 629 CE में एक मस्जिद की स्थापना के साथ शुरू हुई.  और इसी के साथ शुरू हुई एक ऐसी साजिश जिसमे इस्लामिक विचारधारा आज तक सफल नहीं हुई  वह साजिश है सनातनी धर्म ध्वजा के वाहक  भारतवर्ष की पवित्र भूमि को इस्लामिक रंग में रंगने की जिसे गजवा ए हिंद का नाम दिया गया, इस साजिश ने सनातनी संस्कृति का कितना नुकसान किया इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं इस्लाम की स्थापना तक भारतवर्ष का हिस्सा रहे ईरान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश आज  पूर्णत:  इस्लामिक है जहां सनातनी संस्कृति को  पूरी तरह समाप्त कर दिया गया है. 
भारत के पूर्वी, पश्चिमी और दक्षिणी तट समुद्र से घिरे होने के कारण इस्लामिक विचारधारा ने भारत में आक्रमण करने के लिए निशाना बनाया उत्तर भारत को.

 इस्लामिक आक्रमणों की शुरुआत हुई 11 वीं 12 वीं शताब्दी में जब गजनी वंश के महमूद ने अफगानिस्तान के घोर वंश पर आक्रमण कर उन्हें बौद्ध से सुन्नी इस्लाम में परिवर्तित कराया, यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि गजनी वंश तुर्की से शुरू होकर इरान (जिस पर पारसियों का शासन था) पर आक्रमण करते हुए अफगानिस्तान तक पहुंचा गजनी वंश के सम्राट को महमूद कहा जाता था, इस तरह  इस्लाम  अफगानिस्तान के बौद्ध शासन को इस्लाम की के सुन्नी विचारधारा में परिवर्तित करते हुए उत्तर भारत में अपनी दस्तक देने तैयार हुआ, सन 1186 में गजनवी साम्राज्य की राजधानी लाहौर को बनाया गया और यहीं से शुरुआत हुई भारतवर्ष और सनातनी विचारधारा को कुचलने की साजिश, भारत में इस्लामिक साम्राज्य की स्थापना का श्रेय मोहम्मद बिन कासिम ( सिंध और मुल्तान)  गजनी वंश (पंजाब) और घोर वंश  (जिसके गुलाम कुतुबुद्दीन ऐबक  ने गुलाम वंश की स्थापना की) को जाता है 12 वीं शताब्दी में गुलाम वंश की स्थापना से लेकर 18 वीं शताब्दी तक मुगल वंश जैसे कई इस्लामिक वंश ने दिल्ली सल्तनत पर शरिया कानून के मुताबिक राज किया इस दौरान बड़ी संख्या में धर्म परिवर्तन और सनातनी संस्कृति का हिस्सा रहे खूबसूरत मंदिरों को अभियान चलाकर तोड़ा गया, मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई और इस्लामिक विचारधारा को सनातनी समाज में जहर की तरह  धीरे धीरे घोला गया |,
24 अगस्त 1608 की तारीख पर अंग्रेजों की ईस्ट इंडिया कंपनी के भारत में कदम रखते साथ  ही मुस्लिम शासन का अंत शुरू हुआ पर यह सिर्फ शासन का अंत था विचारधारा का नहीं,

अंग्रेजी शासन की बात ना करते हुए यहां बात करते हैं किस तरह हमारी सनातनी संस्कृति और हमारे युवाओं को हमारे धर्म, हमारे वेदों और हमारे गर्व करने योग्य इतिहास से एक साजिश के तहत धीरे-धीरे दूर किया गया,   किस तरह आधुनिक भारत में वामपंथ के कीड़ों ने इस्लामिक विचारधारा को भ्रम फैलाकर महान बताया  और  हमारी अपनी सनातनी संस्कृति का नुकसान किया और हमें उससे दूर किया गया,
 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजी शासन से आजाद होते साथ ही वामपंथी इतिहासकारों ने भारत पर शासन कर रही राजनीतिक पार्टी कांग्रेस का समर्थन हासिल करते हुए किस तरह इतिहास को स्कूली किताबों में तोड़ मरोड़ कर पेश किया  इसकी एक छोटी सी बानगी यह है की स्कूली किताबों में वर्णित पूरा इतिहास सिर्फ मुगलों के गुणगान से भरा हुआ है सिर्फ इस्लाम के गुणगान से भरा हुआ है, स्कूली किताबों को निशाना इसलिए बनाया गया कि बच्चों को जो पढ़ाया जाएगा वही मानेंगे इस तरह पूरी की पूरी जनरेशन को ही गलत इतिहास पढ़ा कर इस्लामिक विचारधारा की तरफ मोड़ दी जाए.

सनातनी शिक्षा धर्म वेद पुराण  सबसे दूर कर समाज में वामपंथ और इस्लाम का जो जहर घोला गया है  उसके जिम्मेदार हम खुद भी हैं.
 आज सनातनी युवा अपने ही देवी-देवताओं अपनी ही संस्कृति का मजाक उड़ाते हुए गर्व महसूस करते हैं उन्हें यह तो पता है कि ताजमहल खूबसूरत है, पर यह नहीं पता कि  इस्लाम की स्थापना से भी पहले, 2000 साल पुराना कावेरी नदी पर चोल साम्राज्य द्वारा बनाया गया कलानी बांध आज भी पूर्ण तरह सुचारू रूप से चलता है, सदियों पुरानी हंपी नगरी आज भी हमारे वैभव पूर्ण इतिहास की गाथा गाती है अजंता में बना कैलाश मंदिर एक चट्टान को ऊपर से नीचे की ओर काटकर कैसे बनाया गया होगा यह हमारे किताबों में नहीं बताया गया, इतिहास को तोड़ मरोड़  कर इस्लाम का गुणगान कर सनातनी  सभ्यता को नुकसान पहुंचाना ही, गजवा ए हिंद है.
 आपको हर मुस्लिम वेदों का झूठा ज्ञान देने की कोशिश  करते हैं, की वेदों में लिखा हुआ है ईश्वर का कोई रूप नहीं होता मूर्ति पूजा वर्जित है और कई तरह से,  और हमारे पश्चिमी सभ्यता से प्रभावित सनातनी युवा एक मुस्लिम से वेदों का ज्ञान लेते हुए अपनी नास्तिकता का प्रदर्शन करते हैं और अपने आप को समझदार मानते हैं, यही गजवा ए हिंद है,

हर मुस्लिम उर्दू का जानकार मिलेगा हर मुस्लिम कुरान का जानकार मिलेगा पर सनातनी संस्कृति अपने वेदो अपनी देव भाषा संस्कृत को लगभग भूल चुके हैं, यही गजवा ए हिंद है, 
यहां एक शब्द लाया गया “secularism”  जिसका सीधा अर्थ सिर्फ एक है सनातनी  संस्कृति का अपमान देवी देवताओं का अपमान.  यही गजवा ए हिंद है.
कश्मीर बंगाल और देश के कई हिस्सों में आज सनातन धर्म मिटने की कगार पर है, यही गजवा ए हिंद है.
आज पाकिस्तान बांग्लादेश हैं, यही गजवा ए हिंद है.
 सनातनी सभ्यता और सनातन धर्म के ध्वजवाहक भगवान श्री राम के मंदिर के लिए 500 वर्ष तक इंतजार करना पड़ा, यही गजवा ए हिंद है.

मथुरा काशी और हर बड़े सनातनी धर्म स्थल के नजदीक मस्जिदों का निर्माण है, यही गजवा ए हिंद है. 
और इसी तरह से अगर हमारे युवाओं को सनातनी संस्कृति सनातनी सभ्यता से दूर रखा जाएगा तो वह दिन दूर नहीं जिस दिन इस्लामिक आक्रांताओं का सपना गजवा ए हिंद पूरा हो जाएगा.
 हमारी आने वाली पीढ़ियों को हमें अपनी संस्कृति अपनी सभ्यता की विरासत की जानकारी देनी होगी योग ध्यान वेद पुराण हमारी भाषा संस्कृत इनकी ओर युवाओं को आकर्षित करना होगा, सनातन का अर्थ है सदा सत्य और सत्य कभी मिटता नहीं.
आखिरी में कहना चाहूंगा “क्षमाशील हो रिपु समक्ष तुम हुए विनत जितना ही दुष्ट कौरवों ने तुमको कायर समझा उतना ही”.
वामपंथ और इस्लामिक विचारधारा के खिलाफ खड़े होना शुरू कीजिए यही समय की मांग है यही सत्य की मांग है.  जय हिंद जय हिंदू. 

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