इस देश की मिटटी ही कुछ ऐसी है की समय पड़ने पर कोई भी अपनी तरफ से कम से कम भागदौड़ में कोई कमी नहीं रखता | जैसे आजकल एक किताब में लिखे सच को बाहर नहीं आने देने के लिए कई लुक्खे अपनी तरफ से भागदौड़ में कमी नहीं किये हुए हैं | ये अलग बात है कि उन्हें अब तक भी अंदाज़ा नहीं हुआ कि मात्र एक भृकुटि तान देने भर से अभी कुछ दिन पहले ही इस पब्लिक ने बड़े बड़ों को चुटकी में ही सड़क पर ला दिया था | और अब जब भारत ने तय किया है कि हम तो जरूर पढ़ेंगे ये सच ,बस उसके बाद से हाउ इज़ द जोश वाली फीलींग हिलकोर मार रही है सबमें |

तो इस कोरोना काल में भी सबकी अपनी अपनी भाग दौड़ चल रही है , देश ,समाज लोग कोरोना से लड़ रहे हैं और इन कोरोनाओं से भी अधिक लाईलाज कुछ आपस में ही लड़ रहे हैं , लड़े चले जा रहे हैं | बात बिना बात ,बात बार पर लड़ने को आमदा हो गए हैं | जी हाँ बिलकुल ठीक समझ रहे हैं आप ,मुझे पता है कि कुछ लोगों के बारे में बताने के लिए आपको उनका नाम लेने की जरूरत बिलकुल भी नहीं पड़ती है | बशर्ते आप कांग्रेसी न हों , “नाम नहीं लिया ,नाम नहीं लिया ” वाली भजनमंडली के सदस्य | 

इस लड़ाई के नए एपिसोड में ,बोले तो राजस्थान वाले से भी लेटेस्ट में हुआ ये कि 22 बड़े कांग्रेसी लीडरान ने ,सबसे बड़ी लीडरान से एकदम लास्ट वाली इल्तज़ा कर दी कि , नहीं बस ,अब और नहीं -इस पार्टी को अब नो मोर गाँधी मांगता , पार्टी के चौधरी के रूप में , कुछ नया ट्राई करने का मैन ” | फुल स्टॉप | और जुलुम की इंतहा देखिये की व्हाट्सएप ग्रुप के जमाने में ई बैरन चिट्ठी पहले मीडिया को सुंघा दिया लोग | 

“22 बड़े लीडरान” ने , यानी कांग्रेस में अभी भी 22 लोग खुद को लीडर भी समझते हैं और बड़े भी ,ये अलग बात है की खुद पार्टी अब अपने आपको बड़ा नहीं समझ पा रही है |और अगर 22 जन अभी भी बहुत बड़े वाले …हैं कांग्रेस पार्टी में , तो इतने दिन क्या कर रहे थे ,पार्टी को सेनेटाइज़ करने की बजाय भीतरी कोरोना को लगातार फैला रहे थे ,हायं |

भूरी काकी और बौड़म बौआ ,दोनों को ही भक्क से ,भुक्क से चुभ गया | भूरी काकी “जाओ मैं रूठ गई ” वाले मोड में आ गईं और अपना पहले भी कई बार ऐसे मौकों पर आगे सरका देने वाली , वो अपने वी आर एस ले लेने का हुल देने वाली फाइल फिर से आलमारी से निकाल कर बाहर टेबल पर धार दी |

आज पूरा दिन , सुबह से लेकर शाम तक भाई जी ,शाम तक ,गहन घनघोर मंथन चला | चुन चुन के ऊ जो 22 बड़े वाले थे ,सबको क़तर कतर के छोटा किये युवराज आज | एक तो यहां यू ट्यूब का सब्सक्राइबर बढ़ाने की टेंशन अलग चल रही है , राजमाता भूरी मायनो पहले ही बहुत नासाज तबियत में चल रही हैं , ऐसे समय समय में खुल्लम खुल्ला चिट्टी लिखने वाले ,जाओ आज से सबको भजप्पा घोषित किया जाता है | 

बस बैठक के बीच ही , जो जूतम पैजार , अरे ट्विट्टर वाली जी , जो हुई है आज , कि गुलाम तक आजाद होने को तड़प उठे , बहुत बड्डे वाले वकील चचा ने तो ट्वीट करने के बाद , ये कहते हुए उसे मिटा भी दिया | हमको खुद निजी रूप से युवराज कहे हैं , हमको सीरियसली बिलकुल न लिया जाए | जब दुनिया नहीं लेती , तो फिर कुछ लोग क्यों इस तरह का स्टंट करते हैं | बाद में काका ने ट्वीट को डिलीट कर दिया और लोगों ने बीच में घुस कर बहुत रिट्वीट कर दी इनकी | बाई गॉड अब तक बज रहे हैं 

इस पूरी भाग दौड़ का एक ऐसा परिणाम निकला जो यदि नहीं निकलता तो शायद मारे हैरानी के खुद कोरोना भी खुदकुशी कर लेता | बहुत सारे विचार विमर्श मंथन कार्यशाला और लंबी चुनाव प्रक्रिया के बाद जाकर ये निर्णय लिया गया कि रहेंगी चौधरी तो भूरी काकी ही , बस इस सरनेम का क्या कैसे यूज़ करना है आगे , अब पार्टी इसी महान विषय पर चिंतन करेगी | 

चलते चलते युवराज ने सन्देश दिया है कि , वे अपने वाइल्ड वीडियो आगे भी ऐसे ही दुनिया के सामने लाते रहेंगे ताकि पूरी दुनिया को सब कुछ ठीक ठीक खुल्ला खुल्ला पता चल जाए | और ये भी कहा की , पार्टी में न सही , नोट पर अभी बराबर आते छापते रहेंगे गाँधी बाबा | 

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