बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री धर्मांतरित लोगों को पुनः हिन्दू धर्म में लेने का कार्य कर रहे हैं; इसके कारण एक षड्यंत्र के द्वारा पंडित धीरेंद्र शास्त्री की प्रतिमा धूमिल करने का प्रयास किया जा रहा है । केवल पंडित धीरेंद्र शास्त्री ही नहीं, अपितु राष्ट्रीय स्तर पर हिन्दू धर्म तथा हिन्दू धर्म के साधु–संतों को बदनाम करने का एक बहुत बडा षड्यंत्र चलाया जा रहा है । अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के श्याम मानव, वामपंथी तथा कांग्रेस के कुछ लोग हिन्दू धर्म का कार्य बंद कैसे हो; इसके लिए योजनाबद्ध पद्धति से यह षड्यंत्र चला रहे हैं; परंतु यही लोग खुलेआम चमत्कारों के नाम पर धोखे से हिन्दुओं का धर्मांतरण करनेवाले ईसाई मिशनरियों अथवा पादरियों को कभी भी चुनौती देते हुए दिखाई नहीं देते; इसलिए हिन्दू धर्म को बदनाम करनेवालों को रोकने के लिए केंद्र सरकार कठोर कानून बनाएं । नासिक के ‘श्रीकाळाराम मंदिर’ के आचार्य महामंडलेश्वर श्री महंत सुधीरदास महाराज ने यह मांग की है । हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से ‘बागेश्वर धाम (पंडित धीरेंद्र शास्त्री) को लक्ष्य क्यों बनाया जा रहा है ?’ इस विषय पर आयोजित ‘ऑनलाइन’ विशेष संवाद में बोलते हुए उन्होंने उक्त मांग की ।
पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने जब से ईसाई मिशनरियों द्वारा धर्मांतरित किए गए हिन्दुओं की घरवापसी करना आरंभ किया, तब से ‘अंनिस’ने पंडित धीरेंद्र शास्त्री के कार्य का विरोध करना आरंभ किया है । क्या पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने किसी के साथ धोखाधडी अथवा किसी का शोषण किया है ? श्रद्धा अथवा अंधविश्वास का सूत्र प्रत्येक व्यक्ति की श्रद्धा पर निर्भर होता है । किसी भी विश्वविद्यालय की उपाधि न होते हुए भी स्वयं को संमोहन चिकित्सा विशेषज्ञ माननेवाले ‘अंनिस’ के श्याम मानव क्या लोगों से धोखाधडी नहीं कर रहे हैं ? हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे ने यह मत व्यक्त किया ।
‘सुदर्शन न्यूज’ की नागपुर की पत्रकार श्रीमती स्नेहल जोशी ने कहा, ‘पंडित धीरेंद्र शास्त्री के नागपुर के कार्यक्रम की पत्रकार परिषद में मैं पत्रकार के रूप में उपस्थित थी । उस समय पंडित धीरेंद्र शास्त्रीजी ने नागपुर का अपना कार्यक्रम 5 से 11 जनवरी तक होगा, ऐसा घोषित किया था तथा बागेश्वर धाम व्यवस्थापन ने 3 जनवरी को ट्वीट कर इन्हीं तिथियों की घोषणा की थी; परंतु कुछ त्रुटियों के कारण पंडित धीरेंद्र शास्त्री का नागपुर का कार्यक्रम 5 से 13 जनवरी तक होगा, ऐसा घोषित किया गया था । समन्वय के अभाव के कारण तिथियां घोषित करने में त्रुटियां होने का अनुचित लाभ उठाकर अंनिसवालों ने धीरेंद्र शास्त्री अपनी चुनौती का अस्वीकार कर भाग गए, ऐसा दुष्प्रचार कर उन्हें बदनाम किया ।
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