जम्मू-कश्मीर में Land Jihad पर शाह-मोदी का तगड़ा वार, रोशनी एक्ट हुआ अवैध घोषित
जो जमीन खरीद चुके हैं उनसे भी वापस ली जाएगी जमीन
जो जमीन खरीद चुके हैं उनसे भी वापस ली जाएगी जमीन
इन दिनों जम्मू-कश्मीर का वर्तमान प्रशासन फुल एक्शन मोड में है। जम्मू-कश्मीर के भूमि कानून में व्यापक बदलाव करने के बाद अब जम्मू-कश्मीर में जमीन कब्जा के जरिये जिहाद को बढ़ावा देने वाले रोशनी एक्ट को न केवल निरस्त किया गया है, बल्कि एक्ट के तहत की गई अब तक की सभी कार्रवाई को रद्द करने का आदेश जारी किया गया है। इसके साथ ही इस एक्ट के तहत जितनी भी जमीन आवंटित की गई है, उसे वापिस लेने के लिए केंद्र सरकार की ओर से प्रशासन को छह महीने का समय भी दिया गया। बता दें कि उच्च न्यायालय द्वारा जम्मू-कश्मीर के चर्चित रोशनी एक्ट को पहले ही असंवैधानिक करार दिया जा चुका है।
न्यूज रिपोर्ट्स के अनुसार, हाल ही में जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश के स्थानीय प्रशासन ने Jammu and Kashmir State Land (Vesting of Ownership to the Occupants) Act, 2001 यानि रोशनी एक्ट को उप राज्यपाल मनोज सिंह की स्वीकृति से निरस्त कर दिया है। राज्य के राजस्व विभाग द्वारा जारी बयान के अनुसार, “अब ये आदेश दिया जाता है कि रोशनी एक्ट के अंतर्गत हुई सभी गतिविधियां तत्काल प्रभाव से निरस्त की जाती हैं”।
इसका अर्थ क्या है? रोशनी एक्ट के अंतर्गत जो भी जमीन जम्मू-कश्मीर प्रांत में आवंटित की गई थी, उसे तत्काल प्रभाव से केंद्र शासन पुनः अपने नियंत्रण में लेगी। इसके लिए प्रशासन को छह महीने का समय दिया गया है। यह निर्णय न केवल जम्मू-कश्मीर की राजनीति में एक नया सवेरा लाएगी, बल्कि वर्षों से क्षेत्रीय ठेकेदारों द्वारा व्याप्त वर्चस्व को भी तोड़ेगी।
परंतु रोशनी एक्ट में ऐसा भी क्या था, जिसके निरस्त होने को एक क्रांतिकारी निर्णय माना जा रहा है? जिस प्रकार से अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर के भारत में सम्पूर्ण विलय के आड़े आ रहा था, ठीक उसी प्रकार से रोशनी एक्ट जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद और आतंकवाद को बढ़ावा देने में लगा हुआ था। भारत का कोई भी नागरिक जम्मू-कश्मीर में न जमीन खरीद सकता था और न ही बस सकता था, लेकिन रोशनी एक्ट के अंतर्गत चाहे पड़ोसी देश पाकिस्तान हो, या फिर रोहिंग्या घुसपैठिए हो, उन्हें बेरोकटोक जमीन आवंटित की जा रही थी।
इस अधिनियम के अंतर्गत जम्मू-कश्मीर में सरकारी ज़मीन पर जो भी अवैध कब्जा करता है, उसे ही उस क्षेत्र का वास्तविक स्वामी भी बना दिया जाता। यही नहीं, राज्य में इस्लामिक कट्टरपंथियों की पहुंच जम्मू क्षेत्र तक बढ़ाने के लिए सरकारी स्तर पर वर्षों तक धांधलेबाजी की जाती रही। इससे न सिर्फ देश के राजकोष को नुकसान पहुंचा, अपितु धर्म के आधार पर लोगों को ज़मीन अवैध रूप से पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस की सरकारों द्वारा आवंटित की जाती रही।
जब कठुआ मामला विवादों के घेरे में आया, तभी जम्मू के गुज्जर और बकरवाल समुदाय ने भी इस एक्ट के विरोध में अपनी आवाज़ उठानी शुरू कर दी, क्योंकि पीडीपी सरकार ने रोशनी एक्ट के जरिये रोहिंग्या घुसपैठियों को अवैध रूप से बसाना शुरू कर दिया था। अंतत: 2018 में राष्ट्रपति शासन लगने के उपरांत इस कपटी अधिनियम को निरस्त कर किया गया।
रोशनी एक्ट से एक तरह से ‘जमीन जिहाद’ को बढ़ावा मिलता था, जिसके बारे में जी न्यूज के वरिष्ठ पत्रकार सुधीर चौधरी ने अपनी एक रिपोर्ट में प्रकाश भी डाला था। अपने डीएनए शो में सुधीर चौधरी ने जम्मू-कश्मीर में आबादी के जरिये जम्मू क्षेत्र के इस्लामीकरण के नापाक प्रयास को उजागर किया। सुधीर चौधरी ने अपनी रिपोर्ट में कहा, “रोशनी एक्ट एक बहुत बड़ा घोटाला था जिसमें अवैध कब्जा करने वालों को बेशकीमती ज़मीनें कौड़ियों के भाव बेच दी गयी थीं। फिलहाल ये मामला जम्मू-कश्मीर के हाई कोर्ट में लंबित है परंतु ये एक बहुत बड़ी साजिश थी। आरोपों की माने तो हिन्दू बहुल जम्मू में अवैध कब्जे वाली सरकारी ज़मीन का मालिक केवल एक ‘धर्म विशेष’ के लोगों को बनाया गया।”
ऐसे में रोशनी एक्ट के पूर्णतया निरस्त होने से न केवल जम्मू-कश्मीर के नागरिकों को वास्तव में विकास के पथ पर बढ़ने का अवसर मिलेगा, बल्कि दशकों से जम्मू-कश्मीर की भूमि संबंधित गतिविधियों पर चले आ रहे अब्दुल्ला मुफ्ती गठजोड़ और अलगाववादियों का एकाधिकार भी खत्म होगा, जिससे निःसंदेह आतंकियों के मंसूबों पर जबरदस्त पानी फिरेगा।
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1 Comment
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Ispar modi me Kya Kiya iska Sara credit ankur Mishra ko jata hai jinhone ye case court me Lada aur roshni act ko nirast karaya