ठरकीनरेश चिचा नेहरू द्वारा कश्मीर समस्या का असली कारण था ?रासनीति का हावी हो जाना राजनीति पर?

१४ अगस्त १९४८ को जनरल शेर जंग थापा ने पाकिस्तानी सेना के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया जिस कारण गिलगित और कारगिल के बीच का विशाल स्कर्दू क्षेत्र पाकिस्तान के कब्जे में चला गया । जनरल

थापा ने केवल २५० सैनिकों के बल पर छ मास से भी अधिक काल तक पाकिस्तानी सेना का सामना किया किन्तु सैन्य मुख्यालय ने उनकी सहायता करने से इनकार कर दिया । सन्दर्भ =
Meera Khanna, (2015) “In a State of Violent Peace: Voices from the Kashmir Valley”. प्रकाशक =

HarperCollins Publishers. ISBN 9789351364832.

शेष सभी मोर्चों पर कमान जनरल करियप्पा के हाथों में थी,स्कर्दू के सिवा सभी मोर्चों पर जनरल करियप्पा के नेतृत्व में भारतीय सेना आगे बढ़ने लगी थी । मजे की बात है कि १९४८ के नवम्बर तक भारत और पाकिस्तान दोनों की सेनाओं के सुप्रीम कमाण्डर थे फील्ड मार्शल Claude Auchinleck,क्योंकि नेहरू को भारतीय जनरलों पर भरोसा नहीं था । फील्ड मार्शल Claude Auchinleck ने हाथों में दो सेनायें थीं जो आपस में लड़ रहीं थीं,क्योंकि उनकी पाकिस्तानी सेना कश्मीर को अवैध आक्रमण द्वारा हथियाने में लगी थी किन्तु फील्ड मार्शल

Claude Auchinleck तथा नेहरू के अनगिनत आदेशों को काटकर जनरल करियप्पा पूरे कश्मीर को स्वतन्त्र कराने में जुट गये थे!

जब भारत स्वतन्त्र हुआ तो 15 August 1947 को सेनाध्यक्ष बने Lockhart जो उस पद के योग्य नहीं थे, योग्य बनाने के लिए उनको १ सितम्बर १९४८ को जनरल के पद की प्रोन्नति दी गयी किन्तु १ जुलाई १९४५ के बैक−डेट से !१ अक्टूबर १९४८ तक वे सेनाध्यक्ष थे,उनके सेवानिवृत होने पर भी जनरल करियप्पा को सेनाध्यक्ष बनने से रोकने के लिये ब्रिटिश अफसर Rob Lockhart को भारतीय सेना का सेनाध्यक्ष बनाया गया,युद्धरत जनरल करियप्पा की पीठ में चाकू भोंकने के लिये । बाद में जब Rob Lockhart ब्रिटेन वापस लौटे तो उनको मेजर−जनरल के पद की प्रोन्नति मिली किन्तु भारत में वे जनरल के ऑनररी पद पर थे जो छीना नहीं गया । स्पष्ट है कि भारतीयों को सेनाध्यक्ष बनने से रोकने के लिये अंग्रेजों और नेहरू ने कितने अवैध

तिकड़म किये!

इन भारत−विरोधी प्रधानमन्त्री और कमाण्डरों के आदेशों की अवहेलना करके जनरल करियप्पा कश्मीर मोर्चे पर लगातार आगे बढ़ते रहे,किन्तु उनको भी केन्द्र से सहायता नहीं दी गयी । फिर भी वे पाकिस्तानियों को पीछे धकेलते रहे तो खिसियाकर संयुक्त राष्ट्र संघ में युद्धविराम का प्रस्ताव १३ अगस्त १९४८ को डाला गया । एक दिन के बाद स्कर्दू में भारतीय जनरत थापा को आत्मसमर्पण करना पड़ा!जब स्कर्दू में २५० भारतीय सैनिक कई गुणा अधिक पाकिस्तानियों से लड़ रहे थे और दिल्ली से सहायता की गुहार लगा रहे थे तो नेहरू युद्धविराम का प्रस्ताव के लिये बेचैन थे ।

नेहरू की इस हरकत के कई कारण थे जिसपर बहुत से लोग लिख चुके हैं,किन्तु सबसे महत्वपूर्ण कारण पर आजतक किसी ने प्रकाश नहीं डाला ।

नेहरू के अवैध पुत्र K.K.Dominic (Arun Nehru) का जन्मदिन है ३० मई १९४९ — https://t.co/3NiKpJkon8

२७३ दिनों तक गर्भ रहता है । अतः गर्भाधान की तारीख थी ३० अगस्त १९४८ । यही वह समय था जब संयुक्त राष्ट्र संघ में रखने के लिये युद्धविराम का प्रस्ताव तैयार कराया जा रहा था । यही वह समय था जब जनरल करियप्पा और जनरल थापा सैन्य मुख्यालय से सहायता माँगने की असफल चेष्टा कर रहे थे ।

यही वह समय था जब नेहरू गर्भाधान में अतिव्यस्त थे,लड़ाई−झगड़े की बातों से उनकी “शान्तिप्रिय” करतूतों में खलल पड़ता था । । यही वह समय था जब रासनीति हावी हो गयी राजनीति पर । फल आजतक कश्मीर और पूरा भारत भुगत रहा है ।

उस रासनीति से जो निकला उसे भी अनाथालय में डाल दिया!जिस देश के

प्रधानमन्त्री का पुत्र अनाथ हो उस देश के आम नागरिकों की क्या दशा होगी?
इन तथ्यों का प्रचार करें,प्रमाणों के साथ । अपनी ओर से आरोप न लगायें तथ्यों को स्वयं बोलने दें ।

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