पिता लालू प्रसाद यादव ,जिन्होंने अपने 15 वर्षों की सत्ता के समाजवादी काल में बिहार को गरीबी ,अशिक्षा , अपराध का पर्याय बना कर छोड़ दिया और प्रदेश को अपना निजी योगदान के रूप में , राज्य के गाय भैंस बैल आदि के लिए खर्च किए जाने वाले चारे तक को खाकर ,गोबर और उपलों से भरपूर परिवार से ,पहले ही जनसँख्या विस्फोट से त्रस्त बिहार में बहार लाने का काम किया |
अब जबकि वो खुद मवेशियों के चारे को खा पचा जाने के आरोप में जेल में बैठे हुए हैं तो उनका नौंवीं फेल पुत्र तेजस्वी यादव , अपने ट्विट्टर हैंडल से इंग्लिश में ट्वीट करते हुए , ट्रैक्टर चला कर अपना किसान प्रेम और कृषि बिल का विरोध जता रहा है |
अब ये भी देखिये और समझिए परचा पढ़ पढ़ के बोलने वाले नौवीं फेल तेजस्वी को ये कृषि कानून कितना समझ में आया है
अरे वाह रे मेरे गोबर के शेर ,दो अक्षर लिखने की अक्ल नहीं ,दो अक्षर पढ़ने की समझ नहीं और तो और दो शब्द कायदे का बोलने का भी शऊर नहीं ,पिताजी ने जो चारा खाकर पूरे बिहार में गोबर ही गोबर कर दिया है अब उस गोबर गैस से चल रहे ट्रेक्टर पर दोनों भाई चढ़ कर कौन सा अश्वमेध यज्ञ करने को निकले हो भैया , ई सब समझ रहे हैं |
इस कोरोना महामारी में सामाजिक दूरी का सबसे जरूरी और अनिवार्य नियम /बचाव की समझ भी नहीं रखने वाले तेजस्वी को अपने इस ट्रैक्टर राइड फन के लिए अब जुर्माना और सज़ा भी हो सकती है , और ये भी पिताजी का हाथ बँटाने जेल जा सकते हैं
भाई जब खुद ही कह और मान रहे हो कि ,गरीब ,किसान ,मजदूर के लिए सत्ता की जरूरत नहीं होती है तो फिर “व्हाय डिस कोलावेरी कोलावेरी डी” | ओह अच्छा अच्छा , सत्ता तो असल में चारा घोटाला ,बाढ़ राहत अनुदान घोटाला करने के लिए चाहिए ,है न
कभी तुम्हारे अब्बू ने मतपेटी से जिन्न निकाले थे अब जनता तुम्हरा तेल निकाल रही है , तो भाई ऐसे ही देखते रहो ,अब बिहार की गद्द्दी को , वो तुमसे दूर दूर और बहुत दूर हो गई है ,बहुत पहले ही
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