अति आत्ममुग्ध लूट्यन्स पत्रकार और उन्हें चाहने वाले आपको यकीन दिलाना चाहते हैं कि पत्रकार का काम सिर्फ सरकार से सवाल पूछना होता है और यहां सरकार का मतलब सिर्फ BJP की सरकारों से ही है….उनके अलावा सब के सौ खून माफ होते हैं।

पत्रकारिता/Journalism Freedom Of Speech.

सरकार का मतलब दिल्ली,केरल,पश्चिम बंगाल,महाराष्ट्रा या राजस्थान सरकार नही है ये सब इन सेक्युलर पत्रकारो के रडार से बाहर है।

किसी दलित या मुस्लिम को किसी भी कारण से परेशानी होती है या हमला होता है तो पहले पता करो कि हमला BJP शासित राज्य में हुआ या नही फिर पता करो कि हमलावर हिन्दू था या नही, इतनी जानकारी इकट्ठा करने के बाद निर्णय होगा कि मुद्दा उठाना है या नही।

गुजरात मे दलित पीड़ित है तो मोदी की वजह से है और बंगाल में मार कर पेड़ से टंगने वाले दलित की आपसी रंजिश थी, बंगाल में हिन्दू मरे तो मोदी दोषी, राजस्थान में पहलू खान को मारा जाए तो मोदी दोषी, केरल में संघ का कोई मेंबर मारा जाए तो उसके लिए कोई दोषी नही, क्योंकि वो इंसान है ही नही, दिल्ली में डॉक्टर नारंग मरे तो कोई दोषी नही, क्योंकि वो भी इंसान नही और जो इंसान ही नही उसकी क्या जिंदगी और क्या मौत।

रवीश कुमार कहते हैं जो NDTV नही देखता उसको TV नही देखना चाहिए और जो NDTV देखता है वो अपनी टीवी की स्क्रीन मोदी के विरोध में काली करे और नही कर पाए तो रवीश कुमार खुद स्क्रीन काली कर के उन्हें अंधकार का आभास देंगे, एक्सपर्ट हैं इस मामले में इनका मानना हैं, देश का युवा मूर्ख है वो आंदोलन नही कर रहा है और इसकी वजह बताई जाती हैं JIO पर मिलने वाला रोज़ 1 GB डेटा स्मार्टफोन पर, कहते हैं मोदी ने अम्बानी के साथ मिल कर युवाओं को बरगलाने के लिए ही JIO की स्थापना की थी, भाई जनता को ये भी तो बताओ जो और कम्पनियों ने ङेटा के नाम पर लुट मचा रखी थी उस पर कितनी लगाम लगी हैं, शायद नही बताऐंगे क्योंकि ये एजेंङा का हिस्सा नही हैं ना।

नफ़रत फैलाने वाला कन्हैया कुमार आंदोलनकारी है, भारत तेरे टुकड़े होंगे एक ‘कूल’ शब्द है, आर्मी को रेपिस्ट कहना फ़ैशन है, गुजरात मे पटेलों को भड़काने वाले हार्दिक पटेल नवयुवा हैं, उत्तरप्रदेश में दलितों को भड़का कर हनुमान जी की फ़ोटो पर थूकने वाला ‘रावण’ युवाओं के संघर्ष का प्रतीक है, खुद 50000 की जमानत पर घूमने वाला और करोड़ो के इनकम टैक्स छुपाने के दोषी राहुल गांधी दुनिया भर में ‘चौकीदार चोर है’ का गर्धभ गान गाता है।

NSSO का डेटा सही है जिसके अनुसार 5 साल में 1.5 करोड़ रोज़गार छिन गए लेकिन EPFO का डेटा गलत है जिसमे अकेले 2017 में 76 लाख नए रोज़गार पैदा हुए, जो भी मीडिया न्यूट्रल है वो गोदी मीडिया है और जो फ़र्ज़ी और फेक न्यूज़ बना के मोदी सरकार को बदनाम करती है वो सच्ची मीडिया है।

मोदी का facial करोड़ो का, मोदी का मशरूम 70,000 का, मोदी का सूट 15 लाख का, मोदी का योगा वीडियो 30 करोड़ का और ना जाने क्या क्या……ऐसी रिपोर्टिंग करने वाले चाहते हैं कि उन्हें authentic माना जाये, उनकी ही बातें मानी जाए…….और कोई इन लोगो पर सवाल उठा दे तो वो संघी है, वो हिन्दू आतंकवादी है, वो दक्षिणपंथी है, कम्युनल है।

DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.