मुगल शासकों की सच्चाई की इस कड़ी में आज ये मेरा तीसरा आलेख हैं ।

हमारे देश में मुगल काल के दो कालों को स्वर्ण का कहा जाता हैं –

  1. अकबर का शाशन काल
  2. शाहजंहा का शासन काल

जब मैंने इनके बारे में पढ़ना शुरू किया तो मुझे तो इनका शासन काल किसी भी दृष्टि में स्वर्ण काल नही दिखाई दिया । हाँ हो सकता हैं इनके स्वर्ण काल को तथाकथिक इतिहासकार और वामपंथियों ने इस्लाम के अनुयायियों की संख्या बढ़ने के आधार पर तय किया होगा ये बात अलग हैं कि ये संख्या बल पूर्वक और प्रताड़ित करके बढ़ाई गई थी । हिन्दू ललनाओं का बलात्कार करके बढ़ाई गई थी । हिन्दू मंदिरों और हिन्दू बस्तियों को आग के हवाले करके बढ़ाई गई थी ।
शायद इसीलिए इनके काल को स्वर्ण काल कहा जाता हैं ।

हमारे देश मे एक ऐसी इमारत हैं जिसे प्यार की निशानी माना जाता हैं । जी हाँ आपने सही समझा ताजमहल और आज हम इसी के निर्माता शाहजंहा की बात करेंगे , लेकिन आज ये पुरातात्विक तथ्यों से साबित हो चुका हैं कि लाल किला , ताजमहल , और जामा मस्जिद जैसी इमारतें प्राचीन गौरवशाली एतिहासिक इमारतें हैं ।

यह भी साबित हो चुका हैं कि ताजमहल मुमताज की कब्र ना होकर एक हिन्दू शिव मंदिर था , जिसका नाम तेजोमहाल मंदिर था । ये मुमताज की याद में बनवाया हुआ स्मारक नही हैं । आगे आने वाले तथ्यों के आधार पर आप स्वयं तय कीजिए कि क्या शाहजंहा किसी से बेइंतहा प्यार कर सकता हैं ?

शाहजहां कोई उदार शासक नही था । वह भी अपने पूर्वजों की भांति ही खून बहाने वाला शासक था। वह भी अपने ही बलात्कारी पूर्वजों की भांति ही एक बलात्कारी ही था ।

उसने भी अपने पूर्वजों की भांति ही सन 1633 में आदेश दिया कि बनारस और उसके साम्राज्य में स्तिथ सभी मंदिरों का विध्वंस कर दिया जाए ।

शाहजहां के बारे में लेखक श्री के एस लाल ने अपनी किताब the legany of muslim rule in india में लिखा हैं कि

” शाहजहां खून बहाने में और अत्याचार करने में विषय मे तैमूर लंग को अपना आदर्श मानता था और इसलिए ही उसने अपना नाम तैमूर द्वितीय रख लिया था “

जाहिर सी बात हैं जिसका प्रेरणा स्त्रोत एक खूनी दरिंदा तैमूर था तो उसने अपने शासन काल मे तैमूर बनने में कसर भी नही छोड़ी होगी । उसकी बर्बरता का एक उदाहरण इतिहासकार डॉ आर सी मजूमदार ने सन 1632 की एक घटना का वर्णन किया हैं ।

जब शाहजहां कश्मीर से वापस दिल्ली लौट रहा था तब उसे रास्ते में बताया गया कि कुछ ऐसे लोग हैं जिन्होंने पहले हिन्दू से इस्लाम मे दीक्षित हुए और उसके बाद फिर से वापस उन्होंने अपना पहले वाला हिन्दू धर्म अंगीकार कर लिया । तब शाहजहां ने उनके साथ ऐसी बर्बरता की थी कि जिसे मैं आपको मजूमदार के शब्दों में ही आपके सामने रखता हूँ

” तब इस्लाम स्वीकार कर लेने और मृत्यु में से एक को चुन लेने का उनके सामने विकल्प रखा गया । जब उन सभी मे से जिन्होंने दोबारा इस्लाम धर्म स्वीकार करने से मना कर दिया तो उनका वध कर दिया गया और लगभग 400 से 500 महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया । “

शर्म आती हैं मुझे ऐसे शासक के काल को स्वर्ण काल कहते हुए क्योकि जिसने अपने शासन के 30 साल में कुल 48 लड़ाइयां सिर्फ हिन्दुओ को मुसलमान बनाने और मंदिरों के विध्वंस करने के लिए लड़ी हो । जिसकी आंखों के सामने हजारों की संख्या में हिन्दू महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया हो ।

लेकीन हम ठहरे बेशर्म हिन्दू जिन्हें इस दुनिया मे सच्चा महोब्बत करने वाला सिर्फ शाहजहां दिखाई देता हैं । अरे मूर्खों तुम उस परम्परा से आते हो जिंसमे माता सीता के लिए समुद्र पर पुल बांधकर रावण से युद्ध करने के लिए प्रभु श्री राम श्री लंका जाते हैं । अगर अपने बच्चो को प्यार की निशानी ही दिखानी हैं तो कभी रामसेतु लेकर जाइये और बताइए कि कैसे भगवान श्री राम ने इसे बनवाया था । लेकिन जब इन सेकुलरों के सामने इस प्रकार की बाते की जाती हैं तो उन्हें हम देश को बांटने वाले और देश का माहौल बिगाड़ने वाले जान पड़ते हैं , लेकिन वे भूल जाते हैं ये देश कभी भी हिन्दुओ के कारण नही बंटा हैं , ये देश बंटा हैं तो सिर्फ इस्लाम के कारण ।

अपनी भावनाओं पर काबू नही रख पाने के कारण मैं अपने मूल विषय को छोड़कर दूसरे विषय की चला गया हूँ । इस विषय पर किसी दिन लिखूंगा एक लम्बा लेख । अभी वापस फिर से अपने मूल विषय पर आता हूँ ।

शाहजहां को मुमताज से बेइंतहा प्यार करने वाला बताने वालों ये अब आपको तय करना हैं कि क्या वह सच मे ऐसा था ?

इस्लाम के अनुयायियों का सिर्फ एक ही मकसद होता हैं अपनी जनसंख्या बढ़ाना और काफिरों ( मुस्लिम अनुयायियों को छोड़कर सभी ) का खून बहाना । फिर इससे कैसे शाहजहां दूर रह सकता था । शाहजहां के दादा अकबर के हरम में 5000 औरतें थे ये सब शाहजहां को विरासत में मिली थी और इसने इस हरम में वृद्धि करते हुए इसमें महिलाओं की संख्या को 6000 से भी ज्यादा कर लिया था । इसके बारे में अकबर द ग्रेट मुगल में लेखक वी स्मिथ लिखते हैं की

” इंसान के रूप में शाहजहां एक नीच और पथ भ्रष्ट व्यक्ति था । उसके बाबा अकबर के हरम में 5000 महिलाएं अधिकांश हिन्दू थी और अकबर की मृत्यु के बाद जहांगीर को यह विरासत में मिली और उसने इसे 6000 तक बढ़ाया फिर शाहजहां ने इसमें और वृद्धि की । उसने हिन्दू महिलाओं की छंटनी शुरू की और बूढ़ी हो चुकी हिन्दू महिलाओं को भगा दिया और अन्य हिन्दू परिवारों से बलात नवयुवतियां लाकर उस हरम में भरा गया । “

शायद अभी भी सेकुलर हिन्दुओ को यह एक महोब्बत का फरिश्ता लगता हो इसलिए मैं आपके सामने एक ऐसे लेखक के शब्द आपके सामने रखता हूँ जिसने उस काल मे 8 साल मुगल दरबार मे नौकरी की थी । जिसके शब्द पढ़कर सम्भवतः आपकी आत्मा चीत्कार उठेगी और शायद फिर कभी आप शाहजहां को मुमताज से बेइंतहा महोब्बत करने वाला नही कहेंगे और अपने बच्चो को भगवान श्री राम और माता सीता के प्रेम के बारे में बताना ज्यादा मुनासिब समझेंगे ।

प्रसिद्ध फ्रांसीसी पर्यटक लेखक बर्नियर ने अपनी किताब बर्नियर की भारत यात्रा में लिखा हैं कि

“जहाँआरा , शाहजहां की जीवित संतानों में से पहली संतान थी । जिसका जन्म सन 1614 में हुआ था । यह अत्यंत रुपवती और , प्रसन्नवदना और अपने वालिद शाहजहां की सबसे लाडली और प्यारी बेटी थी । लोगो को खबर थी कि पिता और पुत्री के बीच शारीरिक संबंध हैं । यह खबर एक दम सत्य थी और जब यह बात मौलवियों तक पहुंची तो उन्होंने तुरंत फतवा जारी करते हुए कहा कि ” बादशाह का उसी वृक्ष के फल (जहाँआरा ) का आनंद लेना ( शारीरिक संबंध बनाना ) जिसको उसने स्वयं लगाया हैं , अनुचित और अन्यथा नही हैं । बादशाह को उसका भोग करने का पूरा अधिकार हैं ।”

सरल शब्दो मे इसे समझे तो बादशाह ने ही पुत्री को जन्म दिया है तो उस पर उसका पूरा अधिकार हैं क्योकि वह उसी के वृक्ष का फल हैं तो जब बादशाह ने पेड लगाया हैं तो उस पर आने वाले फल खाने का भी पूरा अधिकार सिर्फ बादशाह का हैं ।

जिस व्यक्ति ने स्वयं की बेटी के साथ सम्बन्ध बनाने से परहेज नही किया तो आप सोच सकते हैं कि क्या उसने मुमताज से महोब्बत की होगी ? क्या वह एक महोब्बत का प्रतीक बनवा सकता हैं ? क्या उसने आपकी बहन बेटियों का शील भंग नही किया होगा अपने शासन काल मे ?

जिस व्यक्ति ने सिर्फ और सिर्फ खून बहाना और बलात्कार करना सीखा हो , जिसका आदर्श एक वहशी दरिंदा हो तो कैसे आप उसके शासन काल को स्वर्ण युग मान सकते हैं ?

अब ये आपको तय करना हैं कि आप किस दिशा में जा रहे हैं ?

आप क्या अपने बच्चो को पढा रहे हैं और बता रहे हैं ?

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