पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को कलकत्ता हाई कोर्ट से तगड़ा झटका लगा है. हाई कोर्ट ने बुधवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर 5 लाख रुपए का जुर्माना लगाया. ममता पर ये जुर्माना उनकी चुनाव याचिका की सुनवाई से जस्टिस कौशिक चंदा की बेंच को हटाने की मांग के बाद लगाया गया है. ममता ने जस्टिस चंदा पर बीजेपी से संबंधों का आरोप लगाया था.

दरअसल ममता बनर्जी ने नंदीग्राम चुनावी नतीजों को चुनौती देते हुए HC  में एक याचिका दाखिल की थी। इसमें उन्‍होंने जस्टिस कौशिक चंदा को सुनवाई से अलग करने की मांग की थी। ममता के वकील का दावा था कि जस्टिस कौशिक चंदा को अक्सर बीजेपी नेताओं के साथ देखा गया है। इस मामले की सुनवाई खुद जस्टिस कौशिक चंदा ने की। उन्‍होंने अपने ऊपर लगे आरोपों को बताते हुए यह जुर्माना लगाया गया है। 24 जून को कोर्ट ने इस याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। जस्टिस कौशिक चंदा की एकल पीठ ने कहा था कि याचिकाकर्ता को अपने फैसले से अलग होने का पूरा अधिकार है और निश्चिंत रहें, मामले का फैसला न्यायिक रूप से किया जाएगा।

ममता के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दलीलें पेश की थी और हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इससे पहले सिंघवी ने कोर्ट में तर्क दिया कि सुनवाई में पक्षपात हो सकता है, क्योंकि जस्टिस चंदा के बीजेपी नेताओं के साथ गहरे संबंध है. इसी याचिका के संबंध में जस्टिस कौशिक चंदा की सिंगल बेंच ने अपना फैसला सुनाया। इससे पहले सीएम ममता बनर्जी ने कलकत्ता HC  के कार्यवाहक चीफ जस्टिस राजेश बिंदल को एक पत्र लिखा था, जिसमें उनसे अपने खिलाफ पूर्वाग्रह से बचने के लिए चुनाव याचिका किसी अन्य जस्टिस को सौंपने का आग्रह किया था। वहीँ बुधवार को हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है. जस्टिस ने कहा कि उनके बारे में कहा गया है कि उनका एक राजनीतिक दल से संबंध है। उन्होंने कहा कि अगर कोई व्यक्ति किसी पार्टी का है, तो ऐसा नहीं है कि वह उस पार्टी पर मुकदमा नहीं करेगा। मुझे नहीं लगता कि इसका कोई कारण हो सकता है। कोई इसका दावा करता है कि तक जज पक्षपातपूर्ण हो सकता है। उन्होंने कहा सिंघवी खुद 2017 में राज्यसभा सदस्य हैं। वह खुद बीजेपी के कार्यक्रम में गए थे। उन्होंने उन्हें ट्वीट किया था।

उन्होंने कहा कि न्याय व्यवस्था को धूमिल करने के लिए ममता बनर्जी को पांच लाख रुपये देने होंगे। यह राशि वकीलों के कोविड फंड में जाएगा। बता दें आपको ये ऐसा पहला मामला नहीं है। सुप्रीम कोर्ट में पहले इंदिरा बनर्जी ने खुद को बंगाल चुनाव बाद हिंसा वाले मामले से और अब नारदा स्टिंग केस से अनिरुद्ध बोस ने खुद को अलग कर लिया था।

DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.