आज भारत किसी भी मामले में दुनिया के किसी भी देश से कम नहीं है , हमने विकास के कई नये आयाम गढ़े हैं. लेकिन आज भी देश में कई ऐसी घटनाएं घट रही है जो हमें अंदर तक झकझोर कर रख देती है जिससे हमारा सिर शर्म से झुक जाता है , हम ये सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि क्या यही है विकास ?

दरअसल राजस्थान के जालौर से एक ऐसी ही झकझोर देने वाली दुखद खबर सामने आयी है. जहां पानी नहीं मिलने से 6 साल की मासूम बच्ची की तड़पकर मौत हो गई. इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद विपक्षी नेताओं ने राज्य की कांग्रेस सरकार पर हमला बोला है। ये बच्ची सिरोही के रायपुर से जालौर के डूंगरी के लिए अपनी बूढ़ी नानी के साथ पैदल ही निकल पड़ी थी .बच्ची की नानी भी बेसुध हालत में मिली .  इन दोनों ने 22 किलोमीटर का सड़क मार्ग छोड़ कर 15 किलोमीटर का एक छोटा रास्ता चुना था, जो बेहद ही वीरान , रेतीला और कांटे वाला था।

दोनों को सफर में कहीं भी पानी नहीं मिला और दूर-दूर तक धूप से बचने के लिए कोई छाव भी नहीं मिली . ये घटना रानीवाड़ा के वीरान रेगिस्तानी क्षेत्र की है। मासूम बच्ची का नाम अंजनी था और उसकी नानी का नाम सुखी देवी. पुलिस ने 9 घंटे बाद सुखी देवी को रेस्क्यू किया, जिसके बाद रानीवाड़ा अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है। ‘दैनिक भास्कर’ की रिपोर्ट की मुताबिक पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से पता चला है कि दोनों को डिहाइड्रेशन हो गया था और अंजलि का बीपी कम होने के कारण उसे हार्ट अटैक आ गया। बुजुर्ग महिला को रेस्क्यू करने में देरी होती तो उनकी भी जान जा सकती थी।

केंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इस घटना के लिए गांधी परिवार पर हमला बोलते हुए कहा कि इसके लिए राजस्थान सरकार ज़िम्मेदार है।

जाहिर है जिस प्रदेश में लोग पानी न होने की वजह से दम तोड़ रहे हो  वहां की सरकार को सत्ता में बने रहने का कोई हक नहीं है. राज्य की गहलोत सरकार को कम से कम सूबे के लोगों को बुनियादी सुविधाएं तो मुहैया करानी चाहिए, या फिर हमेशा सिस्टम का रोना रोते रहेंगे , वैसे क्या इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के लिए भी केंद्र की मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराएंगे ? यहां सवाल तो उठना लाजिमी है , सरकार की नाकामी ने 6 साल की बच्ची के सफर को आखिरी सफर बना दिया,…

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