वैसे तो मैंने यहाँ कभी कुछ लिखा नहीं फेसबुक पर कई वर्षों से लिख रहा हूँ , और हजारों की सँख्या में लोगो का प्यार भी मिला है , आज यहाँ इच्छा इसलिए भी हुई ताकि मैं अपनी बात एक वृहद स्तर पर जाकर विस्तृत रूप से कह सकूँ और Kreately ऐसा ही शानदार माध्यम है ,
ज्यादा गहराइयों में नही जाऊँगा , पर शुरू से शुरुआत करूँगा ताकि समझ मे आ सके कांग्रेस ने अपनी अदूरदर्शिता , झूठे आदर्शों की भाषणबाजी करके राष्ट्र का किस स्तर पर नुकसान किया है और केवल राष्ट्र का ही नहीं अपितु ख़ुद का भी किया है , कांग्रेस पार्टी शुरू से ही ऐसी डाली रही है जिसने खुद पर ही आरी चलाई है पर दुःख इस बात का है कि इस वृक्ष रूपी राष्ट्र की कोई भी डाल गिरे नुकसान हमेशा राष्ट्र का होता है देश का होता है ,
जिन्ना को कौन जानता था , मुम्बई में रहने वाला एक दुबली पतली काया का व्यक्ति जिसने खुद इस्लाम का एक नियम फॉलो नहीं किया उसके सामने कांग्रेस झुक गई , जिन्ना को एक बड़ा नेता बनाने में , उभरने देने में जितना कांग्रेस का हाँथ था उतना शायद ही किसी का रहा हो , मैं यह नहीं कह रहा की कांग्रेस जिन्ना की आइड्योलॉजी को मानती थी , मैं ये कह रहा हूँ कांग्रेस ही थी जो जिन्ना के वैचारिक उन्माद का सामना नहीं कर सकी थी , ऐसा इसलिए हुआ था क्योंकि कांग्रेस जरूरत से ज्यादा राजनैतिक रूप से आदर्शों की पिपिहिरी बजाती फिरती थी ,
आप सोचिए नेहरू जी कश्मीर मुद्दे को UN क्यों ले गए ? जब महाराजा हरि सिंह जी ने इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन पर हस्ताक्षर कर दिए थे और कबीलाई वेश में पाकिस्तानी सेना ने कश्मीर हड़पने के लिए युद्ध छेड़ ही दिया था तो नेहरू जी आज की LOC पर भारतीय सेना को रोककर UN में गुहार लगाने क्यों चले गए ?
आज उसी की देन है सम्पूर्ण क्षेत्र ही विवादित है , आज किसान आंदोलन के समय कुछ लोग खालिस्तान का नारा लगा रहे तो कुछ बातें याद आती हैं , इसी भिंडरावाले को किसी और ने नही इंदिरा जी ने ही अपने राजनैतिक फायदों के लिए इस्तेमाल किया था , रामचन्द्र गुहा अपनी किताब में लिखते हैं यही भिंडरावाले भारत के प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी से मिलने जब दिल्ली आता था तो हथियारों के साथ आता था , तब इंदिरा जी ने ऐसी मूक सहमति क्यों दी ?
साँप का फन कांग्रेस कुचलना जानती नही या चाहती नही ?
और इन सर्पों ने क्या कांग्रेस को नुकसान नहीं पहुंचाया ? चाहे वो नेहरू रहे हो चाहे इंदिरा जी या फिर राजीव , सबने इसकी क़ीमत अपनी जान देकर चुकाई ,
आज जब कांग्रेस के पास सत्ता नही है तो सत्ता के लिए कांग्रेस फिर इन्ही सर्पों की शरण मे है
चाहे वह ANTI CAA प्रोटेस्ट के नाम पर देश मे अराजकता और भय का माहौल पैदा करना हो या कृषि बिल के बहाने खालिस्तानियों के साथ मैदान में उतरना हो , कांग्रेस ने कहीं भी सत्ता के सुख के लिए राष्ट्र को ऊपर नहीं रखा , आज़ादी के पहले से ही इनकी यही पॉलिसी है , नेहरू जी के समय के डिफेंस मिनिस्टर तो पाकिस्तान को भाई मानते थे और हथियारो की खरीद पर रोक लगा दी थी यह कहते हुए की हमारा कोई दुश्मन ही नही है , बाद में 1962 में क्या हुआ हम सब जानते हैं ।
कभी खोखले आदर्शों की राह पर
कभी सत्ता की लालसा के लिए राष्ट्रहित को कुर्बान कर
कांग्रेस यह समझ ले इससे सबसे अधिक नुकसान देश को तो है ही उससे अधिक खुद कांग्रेस को है , और मजे की बात यह है
कांग्रेस को पता भी नही है उनके पैर हवा में है जमीन खिसक चुकी है ।।
———- Shivendra shukla
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