लोंगो ने बोला कि बाबरी ज़िंदा है, क्या ऐसा है? यह प्रश्न कल बहुत घूमा लोंगो के दिमाग में जिसने-जिसने भी इन शब्दों को कही से सुना| यह सोंच आई कहाँ से? इस सोंच कि उपज वाले व्यक्ति कि सोंच क्या होगी और जो इस सोंच को आगे बढ़ा रहा है उस समूह कि मानसिकता में क्या विकृति चल रही होगी यह भी गंभीर प्रश्न है| कुछ लोगों ने सोंच ही रखा है कि कैसे कुछ ऐसा कहा जाए कि लोगों कि नज़रों में हम बने रहे हैं और मेरी बात ज्यादा से ज्यादा लोंगो तक पहुंचे जिससे मेरे जैसे विकृत मानसिकता के लोग मुझसे और जुड़े| जिनसे उन जैसी असुर शक्तियां एक साथ हो पाए|
भड़काऊ वक्तव्य देने वाले पहले व्यक्ति
नाम- शफीकुर्रहमान बर्क
समाजवाद एक आर्थिक-सामाजिक दर्शन है। समाजवादी व्यवस्था में धन-सम्पत्ति का स्वामित्व और वितरण समाज के नियन्त्रण के अधीन रहते हैं। आर्थिक, सामाजिक और वैचारिक प्रत्यय के तौर पर समाजवाद निजी सम्पत्ति पर आधारित अधिकारों का विरोध करता है। इसी विचारधारा से आने वाले समाजवादी पार्टी (एसपी) के सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने कहा है कि, “अयोध्या में बाबरी मस्जिद थी, है और हमेशा रहेगी। नरेंद्र मोदी सरकार ने ताकत के बलबूते संग-ए-बुनियाद (नींव) रख ली और कोर्ट से भी अपने पक्ष में फैसला करा लिया। ‘संग-ए-बुनियाद रखना, जम्हूरियत का कत्ल करना है। इस जम्हूरी मुल्क में यह जो अमल हो रहा है, उन्होंने शायद इसपर कभी गौर नहीं किया कि हम जो कुछ भी यहां कर रहे हैं, वह किस बुनियाद पर कर रहे हैं। खैर, ठीक है। उनकी सरकार है, उन्होंने ताकत के बलबूते पर संग-ए-बुनियाद रख दी। अदालत से भी अपने पक्ष में फैसला करा लिया।यह कानूनी इंसाफ नहीं है बल्कि हमारे साथ बहुत बड़ी नाइंसाफी हुई है लेकिन हमने सब्र से काम लिया है। आज भी हम अल्लाह के भरोसे पर यह उम्मीद करते हैं कि इंशाअल्लाह यह जगह हमेशा मस्जिद थी, मस्जिद है और मस्जिद ही रहेगी। इसको कोई मिटा नहीं सकता है।”
भड़काऊ वक्तव्य देने वाले दूसरे व्यक्ति
नाम- असदुद्दीन ओवैसी
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन या एआईएमआईएम (हिंदी अनुवादः अखिल भारतीय मुस्लिम संघ) जो पार्टी ही केवल मुस्लिमों के लिए बनी है वो धर्म निरपेक्षता पढ़ा रहे हैं सनातन धर्मियों को, जिस सनातन धर्म का हज़ारों साल का इतिहास ही धर्म निरपेक्षता पर टिका हो| उस पार्टी के हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट में लिखा था, ‘बाबरी मस्जिद थी, है और रहेगी इंशाअल्लाह।’
भड़काऊ वक्तव्य देने वाले तीसरे व्यक्ति
नाम- सीताराम येचुरी
जिस पार्टी को कम्युनिस्ट की वास्तविक विचारधारा में तरलता लेकर भारत की पार्टी का गढन करना पड़ा ऐसी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया के महासचिव सीताराम येचुरी जिनके खुद के नाम में सीता माता और राजा राम विराजमान हैं उनको रामलला मंदिर का भूमि पूजन अच्छा नहीं लगा उन्होंने कहा, “पूजन ने बाबरी मस्जिद के विनाश के लिए पूर्वव्यापी वैधता प्रदान की। सर्वोच्च फैसले ने इसे ‘कानून का उल्लंघन’ के रूप में वर्णित किया और उन लोगों को दंडित करने का बोला है जिन्होंने इस कृत्य को अंजाम दिया। ऐसी किसी भी सजा से पहले निर्माण शुरू हो गया है। यह समारोह पक्षपातपूर्ण, राजनीतिक उद्देश्यों के लिए लोगों की धार्मिक भावनाओं का नग्न शोषण है और भारतीय संविधान के अक्षर और भावना का उल्लंघन करता है। राज्यपाल और यूपी के सीएम की मौजूदगी में मंदिर निर्माण का भारतीय गणतंत्र के धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक चरित्र की उपेक्षा है”
भड़काऊ वक्तव्य देने वाले चौथे व्यक्ति
नाम- डी. राजा
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय सचिव डी. राजा (दोरीसामी राजा) ने कहा कि, “यह स्पष्ट हो गया है कि यह आरएसएस है जो वर्तमान सरकार को नियंत्रित कर रहा है। प्रधान मंत्री और यूपी के मुख्यमंत्री ने एक तरह से किसी धर्म को आधिकारिक दर्जा दिया है। इसका हमारे गणतंत्र और उसके भविष्य पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा।”
भड़काऊ वक्तव्य देने वाले पांचवे व्यक्ति
नाम- मौलाना वली रहमानी
मौलाना मस्जिद में नमाज पढ़ाने वालों को कहते है, और मस्जिद में नमाज पढ़ाने के कारण उन्हें मौलाना कहते है लेकिन ऐसा जरूरी नहीं के वह अपने आप में सिर्फ मौलाना ही हो।समाज के प्रति उनकी ये जिम्मेदारी होती है के लोगो को सही रास्ता दिखाना और गलत रास्ते से रोकना| ऐसे ही एक मौलाना है, आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना वली रहमानी जिन्होंने कहा: “जैसा कि सुप्रीम कोर्ट हमारे देश में न्याय का सर्वोच्च स्थान है, हमारे पास फैसले को स्वीकार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। हालांकि, हम निश्चित रूप से कहेंगे कि यह एक अन्यायपूर्ण और अनुचित निर्णय था।यह बताना ज़रूरी है कि हिंदुत्व के तत्वों द्वारा किया गया यह पूरा आंदोलन उत्पीड़न, ज़बरदस्ती, डराने-धमकाने, गबन करने, सूदखोरी और मारपीट पर आधारित था। यह एक विशुद्ध रूप से राजनीतिक आंदोलन था जिसका धर्म या धार्मिक शिक्षाओं से कोई संबंध नहीं था। ”
भड़काऊ वक्तव्य देने वाली संस्था
नाम- आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड
आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा, “आज जब बाबरी मस्जिद स्थल पर एक मंदिर की आधारशिला रखी जा रही है, तो आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को इस बात को दोहराने की जरूरत है कि शरीयत के अनुसार, जहां मस्जिद एक बार आती है, वह अनंत काल तक मस्जिद बनी रहती है। इसलिए, बाबरी मस्जिद कल एक मस्जिद थी, आज भी है और ईश्वर की इच्छा सी मस्जिद रहेगी। किसी मस्जिद में मूर्तियों को रखने से, वहां पूजा शुरू करना या लंबे समय तक वहां पर करे जाने वाले नमाज को रोकना, मस्जिद की स्थिति को बदलना नहीं है।”
भड़काऊ वक्तव्य देने वाला प्रिंट मीडिया
नाम- द टेलीग्राफ
टेलीग्राफ ने कहा, “जो पुस्तक ‘हम, भारत के लोगों’ से शुरू होती है, वह ईश्वर है जो विफल हो गया है”। अखबार ने कहा कि “राजा और ऋषि गणतंत्र में अलग नहीं हैं क्योंकि मोदी ने इस कार्यक्रम में भाग लिया और पूरे भारत को “राम-माय” घोषित किया, या राम के साथ दमन किया।”
भड़काऊ वक्तव्य देने वाला देश
नाम- पाकिस्तान विदेश मंत्रालय
जिस देश का नाम ही इस्लाम से शुरू होता हो और जिस देश कि मुस्लिम आबादी भारत के मुस्लिम आबादी से कम हो ऐसे इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ पाकिस्तान ने भारत कि न्याय व्यवस्था पर ऊँगली उठाते हुए कहा कि, “भारतीय सर्वोच्च न्यायालय के गलत निर्णय ने मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया, न केवल न्याय पर विश्वास की जीत को बल्कि आज के भारत में बढ़ते हुए बहुसंख्यकवाद समाज को भी प्रतिबिंबित किया, जहां अल्पसंख्यक, विशेष रूप से मुस्लिम और उनके पूजा स्थल पर हमले तेजी से बढ़ रहे हैं,”
ऊपर दिए हुए जितने लोंगो ने अपनी गहरी संवेदना जो प्रकट कि है बाबरी मस्जिद के लिए तो उन्हें यह जरूर पता होना चाहिए कि बाबरी एक आक्रांता था जिसके पूर्वज और वो खुद लूटपाट और लोंगो को मौत के घात उतारते हुए एक डाकू कि तरह भारत में घूम रहा था| यहां के लोग दूसरे देशों में वसुधैव कुटुंबकम का प्रचार प्रसार करने गए थे पर बाबर के वंशज और पूर्वज दोनों ने देश को केवल और केवल लूटा है| बाबर ने अमानुषिक ढंग से तथा क्रूरतापूर्वक हिन्दुओं का नरसंहार ही नहीं किया, बल्कि अनेक हिन्दू मंदिरों को भी नष्ट किया।
इतिहासकारों के अनुसार 1528 में बाबर के सेनापति मीर बकी ने अयोध्या में राम मंदिर तोड़कर बाबरी मस्जिद बनवाई थी। मंदिर तोड़ते वक्त कई हिन्दू उसकी रक्षा में शहीद हो गए थे। मीर बाकी ने इसका नाम बाबरी मस्जिद रखा क्यों कि यह मस्जिद बाबर कि देख रेख में ही बनी। कहते हैं वहां पर हिन्दुओं और मुस्लिम के बीच संघर्ष हुआ और मंदिर कि स्थापना हुई लेकिन बाद में फिर से मस्जिद बना दी गई| मस्जिद में रामलला का प्रकाट्य होना यह दर्शाता है कि वहा पर मंदिर ही था| वहा पर मिले अवशेषों के अनुसार पुरातत्व विदों ने मंदिर होने का प्रमाण दिया| बहुत से प्रमाणों के आधार पर भारत कि सर्वोच्च न्यालय ने सत्य को सत्य बोला और रामलला को गर्भ गृह में स्थापित करने का मार्ग प्रशष्त हुआ|
कुछ लोंगो के भड़काऊं बयान देना कि बाबरी अभी ज़िंदा है , मस्जिद एक बार बन जाती है तो हमेशा रहती है, संविधान के अक्षरों और संविधान प्रतिज्ञा को तोड़ दिया, उनके केवल मानसिक विछिप्तता को दर्शाता है|
सनातन धर्म कि हमेशा संस्कृति रही है
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः । सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःखभाग्भवेत् ॥
Reference
https://navbharattimes.indiatimes.com
https://www.newindianexpress.com/
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