बताओ किस पत्रकार के लिए कभी ऐसा क्रेज दिखा आज तक? यह भारत माता की जय की आवाज उद्धव ठाकरे की राजनीति की समाप्ति की घोषणा है ठाकरे को यह समझ में नहीं आया कि उसका शिकार कैसे किया गया है जाने किसने ठाकरे का राजनैतिक शोषण किया है जिस व्यक्ति के पीछे जनता खड़ी होती है उसको इतनी आसानी से भुला नहीं सकते अभी अर्णब गोस्वामी बिना चुनाव लड़े बिना किसी पार्टी में गए बड़ा नेता बन गया है आप विचार करो की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए उसने कितनी कीमत चुकाई है और उच्चतम न्यायालय ने उसकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को अक्षुण रखा है और महाराष्ट्र सरकार और महाराष्ट्र हाई कोर्ट को जो नसीहत दी है अगर उनमें शर्म है तो उनको माफी मांगनी चाहिए।
लोकतंत्र में भारत की आस्था अक्षुण्ण थी, है और रहेगी। जेल की काल-कोठरियों और जंज़ीरों के सींखचों में क़ैद कर आप शरीर को बंधक बना सकते हैं, आत्मा को नहीं। तख़्तों-ताजों की दुनिया के ‘बादशाह’ अक्सर यह भूल जाते हैं।
लोकतंत्र में असहमति स्वीकार्य है, पर तानाशाही नहीं। सत्य के निर्भीक स्वरों, इरादों और हौसलों के आगे निरंकुश सत्ता ने सदैव घुटने टेके हैं।
सत्यमेव जयते।
यतो धर्मस्ततो जयः।
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