बॉलीवुड अभिनेत्री करीना कपूर खान के दिन काफी बुरे चल रहे हैं। जबसे मोहतरमा ने कठुआ कांड में हिन्दू विरोधी पोस्टर उठाया था, तभी से ही उनकी छवि को गहरा धक्का लगा है। अभी हाल ही में करीना कपूर खान को आयुष मंत्रालय द्वारा किसी अभियान से जोड़ा गया था, लेकिन उनके आयुष मंत्रालय के अभियान से जुड़ते ही सोशल मीडिया पर ऐसा बवाल मचा कि केंद्र सरकार को करीना कपूर खान से नाता तोड़ना ही पड़ा।

हाल ही में केंद्र सरकार के आयुष मंत्रालय की ओर से ये कथित तौर पर घोषणा हुई कि करीना कपूर उनके कोविड रोधी अभियान के ब्रांड एम्बेसडर के तौर पर जोड़ा गया है। इस पर दो कारणों से काफी बवाल मचा हुआ है। एक तो करीना कपूर खान घोर वामपंथी एक्ट्रेस है, जो कठुआ कांड पर अपने हिन्दू विरोधी बयानों और अपने पक्ष के लिए काफी विवादों के घेरे में आ गईं हैं।

इसके अलावा अभी हाल ही में करीना कपूर खान से संबंधित खबर ये भी आई कि किसी फिल्म में देवी सीता के रोल के लिए जब उनसे बात की गई, तो उन्हें रोल तो स्वीकार लिया, पर उसके एवज में 12 करोड़ रुपये की मोटी रकम मांगी। करीना कपूर खान की जीवन शैली और उनके हिन्दू विरोधी स्वभाव को देखते हुए सोशल मीडिया पर लोग उबल पड़े और उन्होंने केंद्र सरकार से यह फैसला वापस लेने को कहा, जो केंद्र सरकार ने वापस ले लिया है।
The Frustrated Indian
@FrustIndian
Aayush Ministry has taken down the tweet. Begum Khan has lost the job.

Congratulations RW warriors for yet another victory. We are on a roll.

And dear ministers of PM Modi, it’s the Babus and the intermediaries who are hellbent on maligning your image. Find and fire them!
The Frustrated Indian
@FrustIndian
Replying to @moayush @KareenaK_FC and 4 others
हालांकि, जब केंद्र सरकार ने ये फैसला वापस लिया, तो एक और बात सामने आई। ऐसे मामलों में अकसर आवश्यक नहीं है कि गलती जानबूझकर सरकार की ओर से ही हुई हो। ये बात सर्वविदित है कि हमारे केंद्र सरकार में कुछ मंत्री ऐसे हैं, जो जाने अनजाने शत्रु का ही काम आसान करते हैं। लेकिन अधिकतर मामलों में ऐसा भी होता है कि उक्त मंत्रालय के अपने विचारधारा को लेकर एकदम सजग है, लेकिन कबाब में हड्डी बनते हैं उन्ही के मंत्रालय के नौकरशाह, जिनकी विचारधारा आवश्यक नहीं है कि उन्हीं से मेल खाए। ऐसे में केंद्र सरकार के लिए ये आवश्यक है कि वे तत्काल प्रभाव से अपने नौकरशाही को दुरुस्त करें और ऐसे प्रशासकों से भरें, जो राष्ट्रसेवा के प्रति निष्ठावान हो, न कि स्वसेवा के प्रति।

DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.