राम ने कहा कि राम के काम में राम तो जाएगा. छोटे ने कहा कि राम जहां जाएगा, वहां लक्ष्मण भी जाएगा
बंगाल के बलिदानी युवा राम और शरद कोठारी का बचपन मध्य प्रदेश के बैतूल में बीता था। उन्होंने भारत भारती आवासीय विद्यालय जामठी से अपनी 5वीं तक की शिक्षा प्राप्त की थी। रामकुमार कोठारी बड़े थे, तो वे 1973 में यहां आए और शरद छोटे थे, तो उनका एडमिशन 1974 में यहां हुआ। पिताजी हीरालाल कोठारी और माता सुमित्रा देवी के दोनों भाइयों में एक साल का फर्क था और वे हमेशा साथ-साथ ही रहते थे, दोनों भाई कक्षा पांचवीं पास करके वापस कोलकाता चले गए थे। राष्ट्रभक्ति की भावना उनमें बचपन से कूट-कूटकर भरी थी, ऐसे में जल्दी ही उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से नाता जोड़ लिया, उस समय कारसेवा के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अधिकारियों ने यह नियम बनाया था कि एक परिवार से एक व्यक्ति ही कारसेवा में जाएगा. अगर कोठारी भाइयों ने ये बात मानी होती, तो उनमें से एक आज जीवित होता, लेकिन उनकी जिद के आगे परिवार को झुकना पड़ा।
जिस समय अयोध्या में उनकी मौत हुई, उस समय राम 22 साल के और शरद 20 साल के थे. पूर्णिमा शरद से एक साल छोटी हैं।
जब 1990 में अयोध्या का राम मंदिर आंदोलन हुआ तो राम और शरद ने भी विहिप के कारसेवकों की ही तरह अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण कारसेवा का फैसला किया। अयोध्या जाने से लोगों को रोकने के लिए पुलिस प्रशासन ने ट्रेन और बस सेवाएं रोक दी थीं, अयोध्या आकर राम और शरद कोठारी रुक गए, आगे का रास्ता तय करने के लिए उन्होंने टैक्सी पकड़ी वो आजमगढ़ के फूलपुर कस्बे तक आ गए थे यहां से आगे का रास्ता बंद था तो दोनों भाई पैदल ही अयोध्या की ओर निकल गए। उन्होंने 200 किलोमीटर का सफर पैदल ही तय किया। 25 अक्टूबर को फूलपुर से चले राम और शरद कोठारी 30 अक्टूबर की सुबह अयोध्या पहुंचे.
अयोध्या में कर्फ्यू लगा था शहर में यूपी पीएसी के करीब 30 हजार जवान तैनात किए गए थे कारसेवकों के जत्थे ने विवादित परिसर के पास की पुलिस बैरिकेडिंग तोड़ दी थी। करीब 5 हजार कारसेवक विवादित परिसर में घुस गए इसी बीच शरद कोठारी जी पुलिस को चकमा देेते हुए बाबरी मस्जिद की गुबंद पर चढ़ गये उनके पीछे-पीछे रामकुमार कोठारी भी गुबंद पर पहुंच गये । 30 अक्टूबर ,1990 बाबरी मस्जिद पर भगवा झंडा फहराने की जो तस्वीरें मीडिया में आईं, उनमें राम कोठारी गुंबद के सबसे ऊपर हाथ में भगवा झंडा थामे खड़े थे और शरद कोठारी उनके बगल में खड़े थे।
2 नवंबर को भारी गोलाबारी के बीच राम कोठारी को गोली मार दी गई अपने भाई को बचाने आए शरद कोठारी को भी गोली मार दी गई कहा जाता है की हजारों की संख्या में कारसेवकों को गोली मार दी गई थी और उनकी लाशों को जमीन में दफना दिया गया था उनका अंतिम संस्कार इसलिए नहीं होने दिया गया क्योंकि इससे आंकड़े देने पड़ते।सोशल मीडिया पर उपलब्ध तथ्य इस बात की तरफ इशारा करते हैं पुलिस के वेश में सत्ता पर स्थापित पार्टी के कार्यकर्ताओं ने गोलियां चलाई और तलवारों से हाथ काट दिए निहत्थे कारसेवकों के
पुलिस ने दोनों के शव परिवार को सौंपने से मना कर दिया था, हीरालाल में इतनी भी हिम्मत नहीं बची थी कि वो अपने बेटों का शव देख पाएं। राम कुमार और शरद के बड़े भाई ने सरयू के घाट पर 4 नवंबर को दोनों भाइयों का अंतिम संस्कार किए। अंतिम संस्कार में लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा था,दोनों भाइयों के लिए अमर रहे के नारे गूंज रहे थे ।
इस बीच कोठारी बंधुओं की मौत के एक महीने बाद दिसंबर के पहले हफ्ते में परिवार को एक चिट्ठी मिली. दोनों भाइयों ने अपनी बहन को लिखा था कि ‘तुम चिंता मत करना. तुम्हारी शादी से पहले हम घर वापस लौट आएंगे
राम मंदिर के लिए अपने प्राणों को न्योछावर करने वाले कोठारी बंधुओं के बलिदान को सम्मान देते हुए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने अयोध्या में सड़कें उनके नाम करने का फैसला किया है, इसकी घोषणा डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या ने की।
बंगाल में योगी जी ने कहा की जो सपना कोठारी भाइयों के साथ पूरे देश ने देखा था, राम मंदिर निर्माण के सपने को मोदी जी पूरा कर रहे हैं माननीय योगी जी ने सभी से उनके बलिदान को याद करने का आग्रह किया और कहा कोठारी बंधुओं का एक स्मारक आज भी अयोध्या में है।
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