अभी इजराइल और हमास के युद्ध की पृष्ठभूमि पर भारत में चल रहे विश्वकप क्रिकेट में पाकिस्तानी क्रिकेटर मोहम्मद रिजवान ने श्रीलंका विरोधी मैच में पाकिस्तान की जीत ‘गाजा’ के मुसलमानों को समर्पित की । क्रिकेट विश्वकप में इस्लाम संबंधी यह प्रचार देखकर खेल में ‘इस्लामिक जिहाद’ का प्रचार थमना चाहिए, वहां केवल खेल ही होना चाहिए’, इस आशय की शिकायत मैंने ‘आई.सी.सी.’ तथा ‘बी.सी.सी.आई.’ में की है । खेल को खेल रहने दें, उसका इस्लामीकरण न करें ! 80 करोड हिन्दुओं की जनसंख्या वाले ऋषि–मुनियों की भारतभूमि पर कोई जिहाद और आतंकवाद की बातें करेगा, तो प्रत्येक हिन्दू उसका कडा विरोध करेगा, ऐसा स्पष्ट प्रतिपादन राजनीतिक विश्लेषक एवं सर्वाेच्च न्यायालय के अधिवक्ता विनीत जिंदल ने किया । वे हिन्दू जनजागृति समिति आयोजित ‘पाकिस्तानी क्रिकेटरों द्वारा जिहाद का समर्थन !’ इस विशेष संवाद में बोल रहे थे ।
अधिवक्ता विनीत जिंदल ने आगे कहा कि केवल क्रिकेट ही नहीं, फुटबॉल, ‘यू.एन.ओ.’ जैसे अंतरराष्ट्रीय व्यासपीठ पर ‘इस्लाम’ ताकतवर और महान है, यह दिखाने का प्रयास कर अन्य धर्मियों में हीनभावना निर्माण करने का प्रयास किया जाता है । पाकिस्तानी खिलाडी क्रिकेट के मैदान में नमाज पढते हैं । जबसे मैंने शिकायत की है, तबसे पिछले 10 दिनों में मुझे पाकिस्तान, तुर्किये आदि देशों से 60 से अधिक धमकी भरे फोन आए हैं । उन्हें समझना होगा कि ‘हमारा विरोध खेल को धार्मिक रंग देने को लेकर है ।’
इस समय हिन्दू जनजागृति समिति के पूर्व तथा पूर्वोत्तर भारत समन्वयक श्री. शंभू गवारे ने कहा कि, वर्ष 1982 से अब 2023 तक पाकिस्तानी क्रिकेटरों ने भारत से क्रिकेट खेलना ‘जिहाद’ से जोड दिया है । श्रीकांत, गांगुली, इरफान पठान जैसे अनेक भारतीय क्रिकेटरों को पाकिस्तान के विरुद्ध खेलते समय आक्रमण, पथराव इत्यादि का सामना करना पडा है । विश्वकप क्रिकेट में जब हैदराबाद में ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगते हैं, तब तो यहां के ‘सेक्युलरवादियों’ को आनंद होता है; परंतु अहमदाबाद में जब ‘जय श्रीराम’ का जयजयकार होता है, तब उन्हें दुःख होता है । पाकिस्तानी क्रिकेटर मैदान में नमाज पढते हैं, ‘अल्ला–हू–अकबर’ के नारे लगाते हैं, गाजा के आतंकवादियों का समर्थन करते हैं, हमारी मांग है कि इस पर ‘आई.सी.सी.’ को कार्रवाई करनी चाहिए तथा जिहाद समर्थकों के खेलना प्रतिबंधित करना चाहिए ।
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