हे चिरजीवी यज्ञ प्रहरी हे अरुंधति हे पितृस्थल
हे कुंडलिनी हे वेदमान हे भागीरथी हे गंगाजल
जागो भ्रम से अब अभ्युदय, कैलाश तुम्हारी आस में है
कल्पतरु की खोज में आर्यावर्त वनवास में है
आज वह शान्त ग्राम विध्वंस का प्रतिरूप है
कल जिसके हृदय पे चरण रखकर जनेऊ को उतारा था
किस अडिग अचल अभिप्रेरित युवक के घर को हो खोज रहे
उस प्रतापी अश्वारोही स्वरूप को कल तुमने ही मारा था
प्रश्नसज्जित बुद्धिमत्ता दर्शन शाश्त्र वेद गणित
क्षमता के परिचायक है भेद के परिचालक नही
क्षान्ति को कायरता के अनुरुप बताने वाले
वो दिगभ्रमित अधर्मी धर्म के पालक नही
हे मूर्छित लांछित यागनिक वंश हे ब्रह्मपुत्र हे रौद्र अंश
उठो देखो उस शाश्वत के अल्पविराम न बन जाओ
हे दृष्टिहीन ! सहिष्णुता सम वेग हेतु
काल कोष में विलुप्त संग्राम न बन जाओ
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wow, excellent grip on Hindi words, very well written and so rhythmic.