कोरोना महामारी संक्रमण का दूसरा काल शहरों के अलावा अब गांवों में भी पैर पसार रहा है। शहरों में जिन लक्षणों को लेकर कोरोना जांच हो रही हैं, वे लक्षण अब गांवों में भी लोगों में दिखाई दे रहे हैं। गांव के डॉक्टरों के पास लोगों का जमावड़ा लगा हुआ है लेकिन ग्रामीण में अभी भी जिस पैमाने पर स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध होनी चाहिए थी उसमें अभी समय लग सकता है .

जब कोरोना की पहली लहर ने 2020 में भारत में दस्तक दी थी तब ग्रामीण इलाकों में कोरोना के मामले नहीं के बराबर थे , लेकिन इस बार हालात ज्यादा गंभीर है, दरअसल उत्तर प्रदेश के बागपत जिले से जो खबर सामने आयी है वो बेहद चौकाने वाले हैं, बागपत के एक गांव में 28 दिन के अंदर 34 लोगों की मौत के मामले से हड़कंप मच गया है, एक के बाद एक हो रही मौतों को लेकर गांवों में दहशत का माहौल है. ये मामला बागपत के बङौत के लूम्ब गांव का है, स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ग्राम प्रधान ने मृतकों के नामों की सूची जारी की है। जिसमें ये दावा किया जा रही है ये मौतें 18 अप्रैल से 15 मई के बीच हुई हैं। मृतकों में कुछ लोग बुखार से पीड़ित थे तो कुछ को सर्दी-खांसी और जुकाम थी। प्रधान ने इन ग्रामीणों की मौत कैसे और क्यों हुई, इसकी जांच की मांग की है। प्रधान ने यह सूची स्वास्थ्य विभाग को भी भेजी है। इसके बाद गांव में हेल्थ टीम ने कुछ लोगों के सैंपल लिए हैं।

वहीं दिल्ली के बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा ने दावा किया है कि इस गांव के कुछ लोग दिल्ली बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन में भी शामिल हुए थे, प्रवेश वर्मा ने अपने ट्वीट में लिखा, बागपत बङौत के लूम्ब गांव में पिछले 28 दिन में 34 लोगों की मौत हुई हैं। इसी गांव के कई लोग किसान आंदोलन में शामिल हुए और गांव तक कोरोना संक्रमण लेकर वापस लौटे और काल में समा गए। फिर भी टिकैत भोले भाले किसानों की मौत के बाद भी आंदोलन को जारी रखे हुए है।

दरअसल दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन में पंजाब, हरियाणा और यूपी से बड़ी तादाद में टिकैट ने किसानों को बरगला कर अपना उल्लू सीधा करने के लिए आंदोलन में शामिल होने के लिए बुलाया था, जिसकी वजह से जैसे-जैसे किसान अपने घरों को लौटने लगे तो उनके साथ कोरोना का संक्रमण भी गांव तक पहुंचने लगा,  कुछ दिनों पहले हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि किसान आंदोलन की वजह से हरियाणा के कई गांवों में कोरोना बुरी तरह से फैल गया है और हॉटस्पॉट बन गया है?’ यहां तक कि पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी टिकैट से नाराज होकर कहा था कि, देखों मैंने लॉकडाउन लगवाया है और ये आंदोलन कर रहे हैं यहां पर! 

तो जाहिर है जिस तरह से राकेश टिकैट ने कोरोना महामारी के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का माखौल उड़ाते हुए अलग-अलग जगहों पर सरकार के खिलाफ किसानों की भीड़ इकट्ठा कर के सभा की तो कहीं सड़कों पर हुजूम के साथ बिना मास्क लगाए इफ्तार पार्टी में दावतें उड़ाते दिखे उससे न सिर्फ कोरोना के मामले बढ़े बल्कि ये भी साफ पता चलता है कि आपको किसान भाईयों से अपने देश के कोई प्यार नहीं है बल्कि आप तो अन्नदाताओं के बहाने अपना सियासी उल्लू सीधा करने में जुटे हुए हैं . राकेश टिकैट ने कुछ दिनों पहले NEWS 24 के एक कार्यक्रम में कहा था कि ‘’हमारे आंदोलन से कोरोना नहीं फैल रहा,  सरकार कोरोना से फेल होने के बाद अब बहानेबाजी में लगी हुई है.’’

इस पर आपसे जवाब तो जरुर मांगा जाएगा. अरे टिकैट साहब अभी जिस तरह के देश में हालात हैं उसका फायदा उठाने से बाज आ जाइये.क्योंकि किसान न तो तीनों कृषि कानूनों की अच्छाई समझ पा रहे हैं और न ही इस पर हो रही राजनीति की गहराई तक पहुंच सके हैं। वैसे एक सवाल आखिर में राकेश टिकैट आपसे जरुर है कि क्या कोरोना को गांव-गांव तक फैलाना आपकी कोई चाल तो नहीं ?

DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.