राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ , विश्व का सबसे बड़ा , (और हो भी क्यूँ न , जब माँ भारती के सपूत सारी तत्पर मुद्रा में हो जाएं तो ) , संगठन जो आर्यावर्त की आत्मा से जुड़े भारत भू के सपूतों का समर्पण है | यह कभी भी अपने सद्कार्य को कह कर बताने की अपेक्षा उसे मूर्त रूप देकर , संचालन कर ,नियंत्रण कर , बिना थके , बिना रुके अगले विषय के लिए कार्ययोजना बनाने लगता है |
सिविल अनुशासन व नागरिक संस्कारों की दुनिया की सबसे बेहतरीन पाठशाला राष्ट्रीय स्वयंसेवक संस्था की सबसे प्रभावी , सबसे सक्रिय , सबसे प्राथमिक स्तर का गठन “शाखा प्रणाली ” होती है | प्रातः कालीन , सांध्यकालीन , विद्यार्थी वर्ग आदि अलग अलग नाम और समय से ,किन्तु एक उद्देश्य को लेकर संचालित की जाने वाले ये शाखाएं आसपास के नागरिक क्षेत्र के लिए मानो एक आश्वासन सरीखा है कि , विशवास रखो , राम जी सब ठीक कर देंगे |
कुल 1घंटे के समय के सबसे बेहतरीन संयोजन में ४५ मिनट की शारीरिक क्रियाएं ,सभी आयु वर्गों को ध्यान में रख कर तय किये गए योग , आभ्यास व व्यायाम तथा खेल आदि भी |
वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए कम से कम आत्मरक्षार्थ योग्य शारीरिक क्षमता तथा हिम्मत का होना सबसे जरूरी बात है | ये भी एक वजह है जो बहुत से देशों ने अपने सभी नागरिकों के लिए सैनिक शिक्षा अनुशासन व प्रशिक्षण को समझना सीखना अनिवार्य कर रखा है | समय पड़ने पर पूरा देश फ़ौज में तब्दील हो जाता है |
भारत के स्कूलों में बच्चों में सैनिक जीवटता, जुझारूपन व् मजबूती लाने के उद्देश्य से चलने वाले NCC/Scouts/NSS आदि परापत से भी कम जान पड़ते हैं | ऐसे में RSS ही अकेला वो संगठन है जो अपनी विशिष्ट वर्दी (गणवेश) ,परम पवित्र भगवा ध्वज ,अपने विशिष्ट उत्सवों ,और भारत को परम वैभव के शिखर तक ले जाने का संकल्प लिए निरंतर लीन रहता है |
45 मिनट के पहले कालांश में फौजी परेड , कदमताल , सञ्चालन ,योग , आसन , कबड्डी ,खो खो , जैसे जैसे खेल की सैकड़ों शारीरिक क्रियाएं | किसी शाखा को संचालित करते हुए और स्वयंसेवकों का सैनिकों के सामान अनुशासित प्रदर्शन, देखने वाले तक हत्प्रभ व चमत्कृत रह जाते हैं |
अगले 15 मिनट मानसिक चर्चा वाला समय | संकृत श्लोक सा सस्वर पाठ , गीत , नीति वचन , प्रेरक व बोध कथाएं तथा ताज़ा घटनाक्रम पर विचार सम्प्रेषण , स्थानीय कल्याण से जुड़े विषयों पर चर्चा आदि से ओतप्रोत ये 15 मिनट स्वयंसेवक गण को पूरे दिन के सबसे बेहतरीन 15 मिनट की सफूर्ति व सकारात्मकता दे देते हैं |
और भी सुनिए ,शाखा में तबला , नगाड़ा , दुन्दुभी , बांसुरी शंख आदि वादों को बजाने की निपुणता के साथ ही दंड (लाठी ) , छुरिका (चाक़ू ) , तलवार , भाला आदि के संचालन में दक्षता दिलवाने में भी शाखाओं का प्रशिक्षण अद्वितीय है , इसकी तुलना किसी से की ही नहीं जा सकती |
RSS की लगती शाखाओं में से किसी को लगते हुए ,उसका संचालन होते हुए ,देख कर , देश के लिए अपना सर्वस्व समर्पित करने वाले स्वयंसेवकों से ये सब महसूस करके देखना चाहिए |
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