धर्म और संस्कृति का जनमानस से बहुत सूक्ष्म संबंध होता है। इस संस्कृति को लेकर यद्यपि जनमानस जागरूक नहीं है लेकिन हमारी संततियों के गौरवपूर्ण अस्तित्व के लिए इस धर्म और संस्कृति को बचाना और बढ़ाना आवश्यक है। मानस के गौरवान्वित इतिहास के अध्ययन और अन्वेषण के लिए भी।
इस धर्म और संस्कृति की सेवा में अनेकों ढोल पीटते सांस्कृतिक संगठन और गुरु हमें दीखते हैं, लेकिन कुछ मानसपुत्र चुपके से अपनी कर्मशीलता के माध्यम से पीढ़ियों को सांस्कृतिक संजीवनी देते रहते हैं। चाहें तो वो भी नाइन टू फाइव जॉब कर अपने लिए अधिक धनोपार्जन कर लें लेकिन उनका उद्देश्य यही तो नहीं, अपनी पीढ़ियों को धर्म से अवगत कराना भी कम नहीं, बहुत बड़ी बात है, जिसका निर्वहन ऐसे लोग किये जा रहे हैं, बिना किसी से श्रेय लिए हुए।
कोलकाता के निवासी श्री अतुल जी कृष्ण ऐसे ही युवा भजन गायक हैं, जो अपने भजनों के माध्यम से लोगों तक ईश वाणी पहुंचाते हैं – शांत चित्त, मधुर गायन और सौम्य व्यवहार – आप अतुल जी का परिचय पूछें तो ये तीन चीजें ध्यान में अनायास ही आ जाती हैं।
मथुरा के रहने वाले हैं, परिवार के साथ कोलकाता रहते हैं, बैंक की अपनी नौकरी छोड़ धर्म को अनेकों लोगों तक पहुँचाने के उद्देश्य से भजन गायन एवं प्रसार करते हैं। इनके भजनों से उत्साहजनित ऊर्जा मिलती है।
आवाज में कशिश है और भजनों के लिए अपार जुड़ाव रखने वाले अतुल जी अनेकों उत्सवों में पर्यावरण को सात्विक एवं आनंदमय बनाने के लिए जाने जाते हैं। सात्विक तेज आपके प्रखर गायन की पहचान बन चुकी है। पर्यावरण के आध्यात्मिक होने का एक बड़ा फायदा होता है कि नकारात्मक गतिविधियों की संभावना समाप्त हो जाती है। अपराध एवं दुर्गुणों से पूर्ण व्यक्ति ऐसी जगह आ पाता, आ भी जाये तो ठहर नहीं पाता, जिससे अवांछनीय परिस्थितियों की संभावना नगण्य हो जाती है।
शादी समारोहों में अथवा जन्मोत्सवों में यदि अतुल जी जैसे व्यक्तित्व हों तो भजनों का आनंद बरबस ही बिखर जाता है। नवयुवक युवतियों को एक मौका मिलता है, अपनी सांस्कृतिक विरासत – श्रीकृष्ण को जानने, समझने और सुनने का, जिससे पथभ्रष्ट होने की सम्भावना समाप्त होने लगती है।
आप कभी गौर करें तो पाएंगे कि धार्मिक रूप से क्रियात्मक व्यक्ति, मात्र व्यक्ति नहीं रह जाता, व्यक्तित्व बनने के बहुआयाम उसमें खुल जाते हैं। अतुल जी भी एक प्रतिभाशील व्यक्तित्व हैं, ओज तेज से परिपूर्ण आभामंडल लिए, सनातन की सांस्कृतिक पहचान बनने की ओर अग्रसर। हमें जरुरत है, ऐसे परिष्कृत व्यक्तित्वों को जानने की, सुनने की, समझने की, समाज के लिए किये गए उनके अप्रतिम योगदान को प्रणाम करने की, अगली पीढ़ियों के साथ उन्हें जोड़ने की जिससे भयमुक्त वातावरण का निर्माण हो, संस्कार और सभ्यता पनपे और सुखद वातावरण में एक सभ्य समाज का निर्माण हो सके।
अतुल जी और उनके कुछ भजन:-
अतुल जी के यूट्यूब चैनल का लिंक है :- https://www.youtube.com/channel/UC317u4-VLfHBLHPyQ6ESjAw
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