दिव्या आज बालकनी में बैठी थी। मौसम कुछ ज्यादा ही खुशनुमा दिख रहा था । अदरक वाली चाय के साथ मौसम में एक अजब ही तरह की खुमारी थी
इधर दिव्या ने चाय की चुस्की ली ही थी कि यकायक एंबुलेंस की आवाज उसके कानों में सुनाई दी !
पुष्पा आंटी के बड़े लड़के को अस्पताल ले जाया जा रहा था । दिव्या सिहर गई थी। जिस कंडीशन में उसे ले जाया जा रहा था दिव्या का अतीत उसके सामने अचानक आ खड़ा था। अतीत दिव्या को उस चौखट पर ले जा चुका था जहां उसे बहुत ही अधिक मान सम्मान और प्यार मिलता था कभी ! वह था उसका सपनों का घर mentor /दोस्त “मधु आंटी” का घर । आंटी के आगे मां दूजे नंबर पर थी । आंटी आपसे बात करके मैं तो पूरी रिचार्ज हो जाती हूँ। इतनी सारी मन की बातें तो मैं अपनी मम्मी से भी नहीं कर पाती । आपके हाथ का गाजर का हलवा, कचोरी, चाट, पकौड़ी Auntie your cooking skills are too good . आपके उठने बैठने का सलीका , कैसे बोलना है मैं आपकी सभी आदतों की कायल हूं । भगवान ने तो आपको बनाया ही मेरे लिए है। दिव्या को लगता था उसे जिंदगी में कितने अच्छे लोग मिले हैं। दिव्या जब कॉलेज गई तो तृप्ति उसकी दोस्त बनी। मधु आंटी तृप्ति की मम्मी थी। तृप्ति के मुंबई और फिर यूएस जाने के बाद जैसे दिव्या ही उस घर की बेटी बन गई। कितना खुश था वह दिन जिस दिन दिव्या अपनी पीएचडी थीसिस कंप्लीट कर कर आंटी के घर अपनी मम्मी के साथ मिठाई देने गई थी। वहां पर मधु आंटी ने अचानक से पूछ लिया कोई रिश्ता देखा दिव्या के लिए। इस पर दिव्या की मम्मी बोली अरे कहां दिव्या को कोई लड़का पसंद ही नहीं आता। इसे शादी में कोई इंटरेस्ट नहीं है बस आगे पढ़ना चाहती हैं। आप ही समझाइए ना इसे। कोई आप जैसे लोग हो तो जरूर बताना शायद मान जाए ये। दिव्या रसोई में चाय के कप रखने गई तब मधु आंटी ने उसे प्यार से देखते हुए कहा। देखो बेटा यह बात मैंने अभी किसी से भी नहीं कि कहीं अगर तुम्हारा मन हो तो मैं तुम ही अपने घर बहू बना कर ले आऊं।
दिव्या ये सुन कर सन्न रह गई उसे खुद भी नहीं पता था कि मन के किसी कोने में वह भी यही चाहती थी। वो जैसे होता है ना बॉलीवुड की फिल्मों में किसी को बिना देखे बिना जाने बस उनकी बातें सुनकर ही उनसे प्यार हो जाता है। कुछ ऐसा ही हुआ था दिव्या के साथ। उसे खुद भी नहीं पता था कि वह उस घर में हमेशा आना चाहती थी हमेशा। जब आंटी के घर से एक्टिवा पर जा रही थी तो उसकी आंखों में एक ऐसे प्यार की खुमारी थी और एक ऐसा नशा था कि जैसे बिना मांगे ही दुआ कुबूल हो गई हो। घर आकर मम्मी पापा को बताया पापा थोड़े परेशान तो हुए क्योंकि इंटर कास्ट मैरिज थी पर बेटी की खुशी के आगे कुछ कह नहीं पाए। एक बार सोच ले वो कहां और हम कहां। दिव्या तो जैसे सातवें आसमान पर थी। रिश्ता पक्का हुआ दिव्या की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। खरीदारी के लिए दिव्या, दिव्या की मम्मी और उसकी मधु आंटी साथ निकलते। हां तैयार है ना चलते हैं अर्जुन गेट पर। एक ही शहर में मायका और ससुराल होने के फायदे थे। पूरे दिन खरीदारी फिर चाट पकौड़ी कभी गरमा गरम जलेबी और ऐसे शादी की पूरी तैयारी हुई ।
इसी बीच दिव्या की बात हुई ऋषभ से एक या दो बार ही हुई। जबकी arrange मैरिज में अमूमन लोग घंटो बातें करते है,पर उसकी बात ऋषभ से कभी भी 10 या 20 सेकंड से ज्यादा बात नहीं हुई!। दिव्या को बताया गया था, अरे दिव्या, इंटेलेक्चुअल हैं ना वो (ऋषभ ) बस पढ़ाई में ही ध्यान रहता है अब तू शादी करके आ जाएगी ना तब उसे घर-घृस्ति का पता चलेगा , अब तेरी जिम्मेदारी है ऋषभ। दिव्या शरमा जाती। उसे तो जैसे अपने किस्मत पर विस्वास ही नहीं होता था, ईश्वर इतना मेहरबान हो सकता हैं मुझ पर। गुमान हो भी क्यों ना वह आईआईटी से पासआउट, एनटीएससी मैथ्स, साइंस ओलंपियाड, ईएसआई ऐसा कौन सा एग्जाम था जो ऋषभ ने टॉप position से पास ना किया हो। बिना देखे बिना जाने सिर्फ शब्दों से सुना प्यार शायद ऐसा ही होता होगा। शायद ऐसे ही होते होंगे इंटेलेक्चुअल्स। इंसान जो चाहे उसे मिल जाए इनफेक्ट, उसकी जरूरत से ज्यादा मिल जाए तो उसके पीछे की सच्चाई को भूल जाता है। पर दिव्या इतनी खुश थी कि वह अपनी सबसे प्यारी आंटी के घर बहू बनने जा रही है और जिससे वह सिर्फ खयालों में मिलती थी उसे वाकई में शादी करके मिलने वाली है. इतनी खुश थी, वो कि उसे दबे पांव आने वाले तूफान का अहसास ही नहीं हुआ। शादी से 2 दिन पहले दिव्या ऋषभ से मिली क्योंकि वह जस्ट अभी चेन्नई से आया था उसे उसके चेहरे पर कोई शादी की चमक दिखाई ही नहीं दी। बरहाल शादी हुई दिव्या इतनी खुश थी कि फोटोग्राफ्स कह रहे थे अरे मैडम थोड़ा सर को भी बोलिए ना कि मुस्कुराए। शादी की पहेली रात ऋषभ ने ना कोई तोहफा दिया ना कोई रोमांटिक बात की “थका होगा शायद” दिव्या ने सोचा । हनीमून के लिए उदयपुर गए। ऋषभ ने ही चुना था डेस्टिनेशन । तृप्ति की तरफ से भैया भाभी को तोहफा ( हनीमून पैकेज )था शादी का। उदयपुर में दिव्या को समझ ही नहीं आया कि ऋषभ कि अगर पास से भी कोई गुजर जाता था तो बहुत डिस्टर्ब हो जाता। दिव्या के पास आने पर भी वह बहुत अजीब सा बिहेव करता। Breakfast टेबल पर सैंडविच खाते हुए दिव्या ने आखिर हिम्मत करके पूछ लिया आर यऊ ओके। Are you gay। ऋषभ सहम गया और हिचकता हुए बोला नहीं कुछ नहीं मुझे बस थोड़ी टच सेंसटिविटी है। उसे लगा कि वह अपनी प्यारी नई नवेली दुल्हन को नाराज कर रहा है। बोला चलो घूमते हैं मूवी देखते हैं और डिनर भी बाहर करेंगे। पहली बार दिव्या को ऋषभ के छूने का एहसास हुआ वह सारा दिन उसके साथ बाहों में बाहें डाल कर घूमता रहा। पर जैसे पति पत्नी के संबंध की बारी आती तो उस पर विराम था।
ऋषभ ने बताया कि वह लड़की से प्यार करता था दिव्या को लगा शायद इसी वजह से रिश्ता नहीं बन पा रहा पर उसे क्या पता था कि यह विराम बहुत लंबा जाएगा।
हनीमून के लगभग 8 दिन बाद जब वह वापस से चेन्नई गया दिव्या को लगा कि अब ना उसकी जिंदगी में साज है ना ही कोई श्रृंगार। बस है तो विकल और व्याकुल सी ज़िंदगी दिव्या बहुत रोई। ऋषभ ने जाते ही अपना फोन स्विच ऑफ कर लिया। कुछ दिन बाद उसका फोन अपने आप ही आया जब दिव्या ने सवाल किया तो बोला कि मैं तुमसे बिछड़ने का दर्द सह नहीं पाया। मैं तुम्हारे साथ ही रहना चाहता हूं. तुम से बिछड़ कर मैं नहीं रह पाऊंगा यह सब सुनकर दिव्या काफी भावुक हो गयी। कुछ दिनो की बाद दिव्या की हैदराबाद जॉब लग गई और वह बहुत खुश हो गई कि अब ऋषभ से वो सिर्फ एक रात की दूरी पर थे। वो अब हर वीकएंड मिल सकेंगे। दिव्या ने ऋषभ को बहुत चहकहते हुए कहा, अब आपको मेरे बिना जीने की जरूरत नही। We will meet often. पर उससे ऋषभ की आवाज़ में कोई एक्ससिटेमेंट नहीं मह्सूस हुय।
ऋषभ कभी दिव्या से हैदराबाद मिलने नहीं आया हमेशा दिव्या ही ऋषभ से मिलने गई चेन्नई दो तीन बार। पूछने पर वही नपातुला जवाब मैं Ph.D. कर रहा हूं दिव्या कोई खेल नहीं है समझा करो यार मेरी बॉडी Stress नहीं ले सकती । दिव्ता जैसे हर रूप में हर तरह से ऋषभ का प्यार करना चाहती थी। उसे अपने रिश्ते के पूरे होने का इंतजार था।
एक दिन दिव्या खाना खाकर लेटे ही थी कि अचानक से ऋषभ की मम्मी का फोन आया। वैसे वो कभी दिव्या को फोन करती नहीं थी उनकी आवाज में एक अजीब तरह की घबराहट थी। अरे बेटा तुम्हें कोई ऋषभ का मैसेज आया क्या । क्यों क्या हुआ दिव्या ने घबराइए हुए आवज में पूछा। दिव्या अपने फोन पर आये उस मैसेज को देखकर सिहर गयी मैसेज कुछ इस तरह था प्लीज सेंड डिवोर्स पेपर्स मैं इस शादी को नहीं मानता और यही मैसेज दिव्या की मम्मी के फोन पर भी था।
दिव्या के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई ऐसा कब सोचा था उसने, ऐसा कैसे किसी शादी में हो सकता है वह भी जस्ट 2 महीनों में। दिव्या को कुछ समझ नहीं आ रहा था उसका शक अब धीरे-धीरे यकीन में बदल रहा था। कहीं ऋषभ को कोई साइकोलॉजिकल प्रॉब्लम तो नहीं।
काश हिंदुस्तानी लड़कियों को प्यार के साथ-साथ अक्ल का इस्तेमाल करना भी सिखाया होता, ख़ास कर जिस परविश से दिव्या थी । शादी की वो सात फेरे लड़कियों को किस तरह की मानसिकता में जकड देते है। ये सब हमारी दकियानूसी सोच का नतीजा था, जिसके चलते हम अपने लड़कियों को पालते है। की वो सही फैसला सही समय पर करना भूल जातें है। दिव्य सारी गलतियों को नजरअंदाज करते हुए इस रिश्ते को चलाने के लिए जैसे प्रतिज्ञाबद्ध हो गई थी। और इस दुनिया में उसका साथ दे या ना दे पर उसकी दोस्त उसकी हमराज़, उसकी मेंटर, उसके सास/ मधु आंटी उसका जरूर साथ देंगे।
अरे दिव्या बेटा तू तो जानती है ना ऋषभ कितना सेंसिटिव है उसके प्रोजेक्ट में कुछ प्रॉब्लम हो गई है उसकी थेसिस को लेकर उसके अपने एडवाइजर से कुछ प्रॉब्लम है चल रही है इसलिए तुझे stress में आकर मैसेज कर दिया होगा तू तो जानती है वह कितना शाय है तुझसे कितना प्यार करता है। अब तू बीवी है ना तो अभी सारा stress तुझ पर ही निकल रहा है पर दिव्या यह समझ ही नहीं पा रही थी किस तरह का स्ट्रेस है जिसे को शेयर करने के बजाय अपनी ही नई नवेली दुल्हन से रिश्ता तोड़ना चाहता था। सच से अनभिज्ञ दिव्या ।
कुछ दिनों बाद दिव्या को पता चला कि ऋषभ को आईआईटी से निकाल दिया। ऋषभ घर पर ही था दिव्या ऋषभ से मिलने घर आए। दिव्या उसकी शक्ल देखकर हैरान रह गई। खाना भी नहीं खा पा रहा था ठीक से, शर्ट के बटन भी ठीक से बंद नहीं हो पा रही थी उससे। क्या था ये सब। जब ऋषभ कमरे से बाहर गया तो दिव्या नेउसकी की दवाइयां चेक कि जो वह हर रोज रात को लेता था।
क्या खाते हो तुम हर रोज रात को यह किस चीज की दवाई है ऋषभ बोला यह एंटी एलर्जिक मेडिसिन है I I am allergic to dust। दिव्या ने जब मेडिसिंस को चेक किया तो उसके होश उड़ गए। What ये medicines to paranoid schizophrenia or bipolar disorder ke patient को दी जातें हें। थोड़ी देर तक तो दिव्या समझ ही नहीं पाई कि हुआ क्या। क्या उसे शादी में धोखा दिया गया है हुआ तो यही था पर दिव्या मानने को तैयार नहीं थी कि उसकी प्यारी मधु आंटी उसके साथ ऐसा भी कर सकते हैं। वह इतनी आहत हुई थी उसकी पूछने की हिम्मत भी नहीं हुई क्यों mumma आपने मेरे साथ ऐसा क्यों किया आपने एक दफा मुझे कहा तो होता देखो बेटा हम मिलकर इलाज करेंगे इसका।
समझ नहीं पा रही थी कि वह 15 साल पुराना प्यार वह सिर्फ एक नाटक था वह धोखा था या फिर दिव्या कोई शादी में उतारने का एक पूरा प्लान था।क्या वह अपने बेटे के लिए सिर्फ ऐसी लड़की तलाश कर रही थी जो दबकर रह सके कोई सवाल ना करें। या फिर उन्हें एक trophy बहू चाहिए थी। इसीलिए इतनी धूमधाम से शादी की थी ताकि लीपापोती हो सके इतने सारे सवालों ने दिव्या को जकड़ लिया था। उससे कुछ नहीं सूझ रहा था।
इंसान को जब इतना धोखा मिलता है तो समझ नहीं पाता कि वह करे तो क्या करें और ऐसा ही कुछ दिव्या के साथ हुआ। आखिर दिव्या ने ये सब कुछ अपनी मम्मी को बताया। कोई बात नहीं दिव्य बेटा कर लेंगे हम मैनेज थोड़ा बीमार है क्या हुआ तेरे प्यार और लाड से ठीक हो जाएगा। शादी की है बेटा तूने। वही तो दिव्या भी सोच रहे थे कि शादी की थी उससे।उसके बारे में तो सब पता था मधु आंटी को, अंकल को, तृप्ति को और तो और ऋषभ को भी पर उसे कुछ क्यों नहीं बताया गया क्या चुपचाप आंख मूंदकर बड़ों के दिखाए रास्ते पर चलने की इतनी बड़ी सजा होती है।
जब दिव्या ने अपनी सास से पूछा तो वही नपे तुले जवाब आए देखो दिव्या तुम्हारे ऊपर किसी का कोई प्रेशर नहीं था शादी के लिए तो मना कर सकती थी तुम पहले से जानती थी कि ऋषभ किसी से ज्यादा बात नहीं करता। अरे पर बात ना करने में और एक दिमाग की बीमारी होने में बहुत फर्क है। ऐसे जवाब सुनकर दिव्या का मन और छलनी और आहत हो गया।वह तो सब जानती थी कि आज तक किस लड़के ने दिव्या को क्या कहा, उन्हें तो यह तो पता था कि दिव्या का आज तक कभी कोई बॉयफ्रेंड नहीं रहा उसकी जो भी उम्मीद होगी सिर्फ अपने ही पति से होंगी। दिव्या को अच्छी तरह समझ में आ चुका था। She has been tricked in this marriage। पर दिव्या, ऋषभ के साथ जिंदगी बिताने को तैयार थी कोई नहीं मम्मी बस ऋषभ ठीक हो जाए I will go for adoption नहीं चाहिए मुझे बच्चे वच्चे ।
दिव्या की मम्मी ने कहा तू पागल हो गई है कैसे बताएं कि अपनी जिंदगी उसके साथ।
दिव्या ने किसी की परवाह ना करते हुए ऋषभ को लेकर USA आ गई उसने अप्लाई किया था स्कॉलरशिप के लिए, मिल भी गई थी उसे उसकी अच्छे यूनिवर्सिटी में।
और यहां पर जो हुआ दिव्या ने कभी अपने सपने में भी नहीं सोचा था ऋषभ की बीमारी से तो वह जूझ ही रही थी कि अचानक ऋषभ ने दवाई लेना भी बंद कर दिया और उसे पता भी ना चला और फिर ऐसा तूफान आया. की वो सब तबाह कर की ले गया. ऋषभ की बेहेवियर में बदलाव आने लगा , दिव्या नए जॉब , नए जगह में एडजस्ट हो रहे थी। उससे ये बदलाव महसूस ही नहीं हुआ।
आखिर सब कुछ तो करना पड़ता था उसे जॉब, रेंट, ग्रोसरीज। और 1 दिन ऋषभ अचानक गायब हो गया दिव्या ने परेशान होकर तृप्ति को फोन किया वो भी यूएसए रहते थी। हेलो हेलो तृप्ति, ऋषभ पता नहीं कहां चला गया है तुम प्लीज आ जाओ प्लीज। आखिर तृप्ति एकदम आने को राजी हो गई दिव्या को उस वक्त कुछ लगा कि क्या-क्या शायद उसकी बचपन की दोस्ती को भी सब पता था ऋषभ के बारे में पर .यह सब सोचने का टाइम नहीं था उसके पास। आखिर दिव्या की दुआएं रंग लाई और उस रात ऋषभ वापस आ गया वह जो उसकी हालत थी दिव्या के रोंगटे खड़े हो गए।बिखरे बाल और उसका बेहिसाब बोलना फटे हुए होंठ उस पूरी रात कोई भी नहीं सोया सुबह-सुबह ऋषभ को इमरजेंसी के psychiatry ward में एडमिट किया। कितना मुश्किल था उससे भी ज्यादा ऋषभ के allegation दिव्या पर। वह जानती थी कि ऋषभ बीमार है पर प्यार किया हुआ दिल चोट बहुत आसानी से ले जाता है
इतना ज्यादा करैक्टर assassinations’ क्या क्या नहीं कहा उसने दिव्या को। इमरजेंसी वार्ड में एडमिट करने के बाद तृप्ति ने दिव्या से कॉफ़ी पीने को कहा पर उसने शायद सुना नहीं. पर वह तृप्ति के साथ बिना कुछ कहे चल दी ।
कॉफी सिप लेते हुए तृप्ति ने कहा क्या तुम साथ रहना चाहती हो भैया के तृप्ति की नजर नीचे थी। मतलब दिव्या ने कहा। मतलब यह कि वह बहुत पीछे बिछड़ गया है तृप्ति कि आवाज में दर्द था। Just leave him Divya. दिव्या एक नई जिंदगी जियो। Just leave him. यह कहकर तृप्ति कॉफी हाउस से चली गई।वह तो चली गई पर उसकी आवाज दिव्या के कानों में गूंजती रहे।
सबको पता था उसकी बीमारी के बारे में, पर किसी ने उससे नहीं बताया, एक धोखा और एक टूटे हुए रिश्ते का जख्म दिल में लिए। दिव्या रोज ऋषभ से मिलने जाती हॉस्पिटल में और रोज सबके सामने बेइज्जत होती .
पर धीरे-धीरे ऋषभ ठीक हो रहा था एक शाम दिव्या को ऋषभ से मिलकर ऐसा लगा कि बस अब सब ठीक हो गया है । दिव्या को लगा कि ऋषभ को आज तक कभी का प्रॉपर मेडिकल ट्रीटमेंट नहीं मिला जो उसे यहां यूएस में मिल रहा था ।
कैसे मां बाप अपने बच्चे की बीमारी को छुपा सकते हैं और वो भी पढ़े लिखे उसकी समझ से बाहर था। Even doctors were convinced to release him after 2 days or so. फिर एक दिन रात को दिव्या के मोबाइल पर हॉस्पिटल से फोन आया हेलो दिव्या आप कैसे हो। ऋषभ आप कैसे हैं। दिव्या थोड़ी हैरान थी। अच्छा यह बताइए आपके साथ अभी घर पर कौन है are you with your boyfriend?
बस यह सुनकर दिव्या सुन रह गई और फिर से उसका बनाया हुआ घरौंदा टूट गया हमेशा के लिए, ऋषभ को हॉस्पिटल से छुट्टी मिलते ही तृप्ति भी आ गई थी और वह ऋषभ को लेकर इंडिया जा रही थी हमेशा के लिए और किचन में दिव्या तृप्ति से गले मिलते हुए कहा “ अच्छा सफर था यहां तक का कभी फिर मिलेंगे।
ऋषभ जा रहा था हमेशा के लिए उसने दिव्या की तरफ देखना भी गवारा ना समझा, कितना रोई, कितना चिल्लाई दिव्या । At least rishbh just shake hand with me. I’m glad we survived for so many years. I wish you all the best. Maine Pyar Kiya tha tumse. पर यह सब दिव्या कह ना सके यह सब उसके मन में ही रह गया।
हालांकि दिव्या उस रिश्ते से हमेशा के लिए निकल आयी थी। पर जब उसने एंबुलेंस को देखा तो वह याद जब ऋषभ उसे छोड़कर जा रहा था फिर से हरी हो गई और उसके साथ ना जाने उस सेपरेशन का दर्द जिसमें उसकी मां समान सास ने दिव्या पर चालाक और ना जाने क्या-क्या allegation लगाए. Rishbh mental state is bad because of you. My son is perfect. तुम्हें साथ निभाना नहीं आया। दिव्या मन में मुस्कुराए , और सोचने लगे , हां शायद बिना जाने बिना समझे आंखें मूंदकर किसी के दिखाए रास्ते पर चल लेने का नतीजा यही होता है। with such a grace you have come out of this relationship, commendable divya. सिर्फ दिव्या को यही सुनने को मिला अपने दोस्तों से। उसके दोस्तों ने उसे उसकी विजय यात्रा की बधाई दी ।
शायद यही अंत था उसके प्यार और समपर्ण का। दिव्या को कभी अचनाक से मधु आंटी की साथ बताये हुए वो दिन याद आ जातें । काश ये शादी होते ही ना। प्यार रहता हमेशा ऐसे ही । वो और आंटी, गाजर का हलवा, कचोरी और वो डेर सारे बाते।
एक ठंडी हवा के झोंके ने दिव्या को जगाया, वो उस खुले आसमान और सच्चाई को अदरक की चाय के साथ घोल कर पीने लगी, लेकिन दिव्या अब उन्मुक्त है उसकी अपनी जमीं है और अपना आसमां है।।।।।
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