मैं हमेशा मानता आया हूं बिहार के भाजपा को राम विलास पासवान और माझी के साथ मिल कर चुनाव में आना चाहिए और नीतीश को अलविदा करना चाहिए। कुछ अन्य दल चुनाव पश्चात् समर्थन कर सकते हैं।
नीतीश को अकेले चुनाव लड़ना पड़ेगा क्यूंकि राजद इनको मुख्यमंत्री के तौर पर नहीं साथ रख सकती है और नीतीश कुर्सी के लिए कुछ भी कर सकते हैं यह पिछले चुनाव में देखा जा चुका है।
नीतीश जी का जनाधार खत्म हो चुका है , प्रदेश ने पहले कांग्रेस, राजद और जदयू के ही मुख्यमंत्री को देखा है इसलिए बदलाव जरूरी है और यह बदलाव सिर्फ भाजपा ला सकती है पर बिहार चुनाव में इनकी कोई रुचि कभी नहीं रही बस राज्यसभा की कुछ सीट मिल जाए इसके लिए जदयू से गठबंधन करते आए हैं बस चुनाव वक्त ताबड़तोड़ रैलियां करते हैं ।
आज का दिन बिहार के भविष्य को तय करेगा।
राज्य आज भी जातिवाद की बेड़ियों में जकड़ा रहेगा या फिर खुद को एक नए ऊर्जा के साथ नई संभावना को जन्म देगा।
फिलहाल ये सब अटकलें है जिनका खुलासा आज या कल तक हो ही जायेगा।
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