जिसको गांधी हीरो लगते हो, उसके एक गाल पर तमाचा मारकर टेस्ट जरूर लेना चाहिए…!!

अगर दूसरा गाल आगे करे तो समझो गांधीवादी है, ओर पलट कर जवाब दे तो समझना गोडसे का भाई है..!!

गांधी गांधी सब करे, गांधी बने ना कोय!!
गाल पर जब थप्पड़ पड़े तो तुरंत गोडसे होय..!!

मैं बिलकुल भी यह नहीं कह रहा हूं और न ही सहमत हूं की जाके किसी को थप्पड़ मार दो बस एक उदाहरण पेश किया है और कोई किसी को थप्पड़ लगायेगा उसका जिम्मेदार वह खुद होगा।

बहुत दुखद है आज समाज में नफरत की राजनीति इस कदर हावी है लोगों में सहिष्णुता गायब होता जा रहा है लोग बात बात पर प्रतिकार करने लगते हैं।
थप्पड़ का जवाब थप्पड़ तो नहीं हो सकता।
करमचंद गांधी जी कहते थे बुरा मत देखो, ना सुनो और ना बोलो, मैं उस वक्त होता तो कहता गांधी जी से तीन बन्दर की जगह एक ऐसा बन्दर रखिए जो यह बोले बुरा मत करो।
जब कोई बुरा करता ही नहीं तो ना कोई देखता ना ही उसकी चर्चा होती और ना ही कोई सुनता।

जो गांधी को अपना आदर्श मानते हैं वो अक्सर उनके तस्वीर को हाथ में लेकर शहर जलाते देखे गए हैं ।
इसके प्रमाण मौजूद हैं।
नाम लेना उचित नहीं पर अंबेडकर जी और गांधी जी के तस्वीर को रख कर कई बार एक जैसे विचारधारा के लोग हिंसा करते देखे गए हैं जिनके साक्ष्य मौजूद हैं।

गांधी जी हत्या के बाद गांधी जी के समर्थकों द्वारा महाराष्ट्र में ब्राह्मण नरसंहार क्या उचित ठहराया जा सकता है? उस वक्त कांग्रेस ही देश को चला रहे थे तो उनकी भूमिका पर प्रश्न क्यों ना हों।
क्या गांधी जी ने यह कहा था कि अहिंसा करो।

गांधी जी और अंबेडकर जी तो कभी अपनी जिन्दगी में किसी को एक अपशब्द भी नहीं कहे होंगे ना ही किसी को एक थप्पड़ मारा होगा।

शाहीन बाग के नाम पर उनके तस्वीर का उपयोग करके जो हिन्दू देवी देवताओं पर टिप्पणी की गई बहुत ही निंदनीय है। कांग्रेस पार्टी का समर्थन भी समझ से परे है।

जन जन की बात।
अमित कुमार के साथ।

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