आखिरकार कल प्रियंका गांधी हाथरस पहुँच कर , पीड़िता के परिवार को गले लगाकर , मन मे उठ रहे समुद्री जज्बातों को शान्त कर ही लिया । अब कम से कम जी तो ना टूटेगा, मितली तो नही आ पावेगी । इस मिलाप से उस दिवंगत की माँ को अलौकिक सतुष्टि मिली है, सारा दुःख-दर्द मिट चुका है , ये प्रियंका गांधी को पूर्ण विश्वास है। जो काम मीडिया , वर्तमान सरकार नही कर पायी , वह काम एक शीर्षक गीत गाकर प्रियंका गाँधी ने चुटकी में कर दिखाया -“पुछो ना कैसे मैंने रैन बिताई “! और पीडिता की माँ फूट फूट कर रोई l

जब प्रियंका यह गीत अलाप रही थी, गले मे गले मिलकर गा रही थी तो मरहूम मन्ना डे भी गायकी सुनकर चौंक पड़े थे । मेरी कभी कभार साहित्यिक लोगों से भेंट हो जाय करती है । वो तो गनीमत है कि मैं और मन्ना डे साब कल रात को अचानक ही राजघाट पर मिल गये । शास्त्री जी के जयंती पर सांस्कृतिक कार्यक्रम में आये हुये थे और उन्हीं के मुख से ये आश्चर्यजनक घटना को मैं जान पाया था । मैंने ट्वीटर पर दौड़ लगाते हुए मिलन – समाहरो की फोटो को देखकर ,और कुछ अतिदुर्लभ प्रशंशकों के कॉमेंट पढ़कर ही यह लेख लिखना प्रारंभ किया है ।

1972 में महाराष्ट्रा के चंद्रपुर जिले में मथुरा नाम की आदिवासी लड़की का दो सिपाहियों ने बलात्कार किया था। इस मामले में उस लड़की के बारे में कहा गया उसे कई लोगों से संबंध बनाने की आदत है ‌ और इसे मानते हुए जिला अदालत ने पुलिस वालों को बरी करने का फैसला सुनाया।

लेकिन महाराष्ट्र हाईकोर्ट ने जिला अदालत के फैसले पर रोक लगाते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया। लेकिन हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था जिससे उन सिपाहियों को कोई सजा नहीं हो पाई थी।

देश में महिलाओं के अधिकार के लिए आंदोलित करने वाला मथुरा रेप केस इतिहास का एक बड़ा रेप केस था।

उस समय महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री स्वर्गीय वसंत राव नायक जी थे और सरकार कांग्रेस की ! उस समय इंदिरा गाँधी यानि आयरन लेडी स्वंय विराजमान थी प्रधानमंत्री की कुर्सी पर l वह तो दुखरा बाँटने नहीं जा सकीं लेकिन मुझे ये यकीन हो गया,कि यदि प्रियंका गाँधी उस काल में प्रधानमंत्री रहतीं तो जरुर दुःख बाँटने के लिए जाती , और इसी तरह से इनके अपने तालियाँ बजाते l ओह , दुःख है की इंदिरा गाँधी से ये चुक हो गया l

खैर, मुझे तो इस मिलाप पर पूर्ण यकीन है कि अब सबकुछ ठीक है लेकिन उत्तरप्रदेश सरकार यानी योगी जी संतुष्टि नही हैं । उन्हें और देश के शिक्षित युवाओं को गायकी, स्वर,आलाप और शेरों -शायरी पर अब यक़ीन नही रहा । योगी जी का मानना है कि शेरों शायरी की दुनियां ठगों की दुनिया है और तुरंत वह मुगलों का उदाहरण दे देते हैं । और देश के युवाओं का मानना है कि गीत-संगीत ,सिनेमा सब बिकाऊ है। मैं यदि इन दोनों पर विश्लेषण करता हूँ तो पता हूँ की दोनों का कथन सत्य है जैसे शराब को कभी पानी के साथ तो कभी सोडा के साथ पी जाना। असर तो नशा ही है । मध्यकालीन भारत मे मुगलों ने हिंदुओं के सिर से पिरामिड भी बनाया और उसी काल मे शायर ज़ौक और ग़ालिब ने शेर सुना सुना कर दरबार मे शहंशाओं का दिल बहलाया । शेर और मुंड पिरामिड साथ साथ बन रहे थे । बात तो योगी जी की सच मालूम हो रहा है । दूसरी तरफ युवाओं का भी कहना सही है क्योंकि हाल ही में शुशांत सिंह राजपूत की मृत्य ने बॉलीवुड में हो रहे ड्रग्स व्यापार को उजागर किया है ।

इसलिए अब योगी जी ने निर्णय लेते हुए यह केस सीबीआई के हवाले कर दिया है । न्यायप्रियों ने इस पहल की प्रशंसा की है और शेरों शायरी और राग अनुराग से पीड़िता परिवार को मन बहलाकर संतुष्ट हो जानेवाले लोग अचानक असंतुष्ट लग रहे हैं। एक को तो यहाँ तक कहते सुना कि-“अब सीबीआई की क्या जरूरत है, सस्पेंड तो कर दिया गया है पुलिसकर्मियों को, यही काफि है । दोषी जेल में हैं ही, फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई करके तत्काल सजा मुकर्रर कर दी जाय “।

मैं इस लेख के माध्यम से कहना चाहता हूँ कि जिस तरह से एक गरीब और अशिक्षित ,असहाय परिवार को सिर्फ राजनीतिक रोटी पकाने के लिए मोहरा बनाकर कांग्रेस ने राग सुनाने की कोशिश किया है उस राग में द्वेष की भावनाओं को विश्व ने सूंघ लिया है । पूरा देश पीड़िता के दुख के घड़ी में उसके साथ खड़ा है , और खड़ा रहेगा भी, क्योंकि यही इस देश की परंपरा है । लेकिन वह गिद्ध जो कभी चाहकर भी हंस नही बन सकते उनको हंस-खाल ओढ़ने की सजा यह देश और इस देश का कानून जरूर देगी । फिलहाल तो प्रत्युत्तर में योगी जी ने भी गीत के ही माध्यम से कह दिया है – आ लग जा गले दिलरुबा … और मैं आज रात रफी साहब से योगी जी के इस गायकी पर राय पूछूंगा ।

_दिशवWrites

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