श्रीसत्‌शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाल एवं श्रीचित्‌शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीलजी ने स्वीकार किया पुरस्कार

पेरिस 
(फ्रान्स) – अखिल मानवजाति के कल्याण के लिए निरंतर प्रयासरतसाधना से संबंधित दिशादर्शन कर संपूर्ण संसार के साधकों का जीवन आनंदमय बनानेवालेविज्ञानयुग में सरल भाषा में अध्यात्म का प्रसार कर समाज का दिशादर्शन करनेवाले सनातन संस्था के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉजयंत आठवलेजी को जून 2024 को फ्रान्स के सीनेट में (संसद में) ‘भारत गौरव पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया । फ्रेंच संसद के उपाध्यक्ष डॉमिनिक थिओफिलमेहंदीपुर बालाजी ट्रस्ट के श्री नरेश पुरी महाराज, ‘संस्कृति युवा संस्था’ के अध्यक्ष पंसुरेश मिश्रा एवं फ्रेंच संसद सदस्य फ्रेडरिक बुवेल के करकमलों से भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता के वैश्विक प्रसार के लिए किए गए अद्वितीय योगदान के लिए उन्हें यह पुरस्कार दिया गया । सच्चिदानंद परब्रह्म डॉजयंत आठवलेजी की ओर से उनकी आध्यात्मिक उत्तराधिकारिणी श्रीसत्शक्ति (श्रीमतीबिंदा सिंगबाल एवं श्रीचित्‌शक्ति (श्रीमतीअंजली गाडगील जी ने यह पुरस्कार स्वीकार किया । ‘संस्कृति युवा संस्था’ ने इस पुरस्कार के लिए सच्चिदानंद परब्रह्म डॉजयंत आठवलेजी का चयन किया था ।
      इस अवसर पर ‘संस्कृति युवा संस्था’ के अध्यक्ष पंडित सुरेश मिश्रा ने कहा किसच्चिदानंद परब्रह्म डॉआठवलेजी द्वारा भारतीय संस्कृति के लिए किया गया योगदान अद्वितीय है । उनके नेतृत्व में सनातन संस्था ने अनेक सामाजिक एवं सांस्कृतिक उपक्रमों द्वारा समाज में जागरूकता तथा सकारात्मक परिवर्तन किए हैं ।

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉजयंत आठवलेजी ने अखिल मानवजाति के कल्याणार्थ किए हुए दिव्य कार्य का सम्मान !

     यह पुरस्कार स्वीकार करने के उपरांत श्रीसत्‌शक्ति (श्रीमतीबिंदा नीलेश सिंगबाल जी ने कहासच्चिदानंद परब्रह्म डॉजयंत आठवलेजी को फ्रान्स के सीनेट में ‘भारत गौरव पुरस्कार’ से सम्मानित करने के लिए सनातन संस्था ‘संस्कृति युवा संस्था’ एवं संस्था के अध्यक्ष पंसुरेश मिश्राजी के प्रति कृतज्ञ है । सच्चिदानंद परब्रह्म डॉआठवलेजी के समान उच्च स्तर के संत इस पुरस्कार एवं सम्मान से परे पहुंच चुके हैंतथापि उनका यह सम्मान उनके द्वारा अखिल मानवजाति के कल्याणार्थ किए गए दिव्य अध्यात्मकार्य का सम्मान है । यह सम्मान सच्चिदानंद परब्रह्म डॉआठवलेजी द्वारा अध्यात्मशास्त्र से संबंधित किए हुए अलौकिक शोधकार्य एवं ग्रंथलेखन तथा अखिल मानवजाति को शीघ्र आध्यात्मिक उन्नति करने के लिए दिए हुए साधना मार्ग ‘गुरुकृपायोग’ का ही एक प्रकार से गौरव हुआ हैऐसा हम मानते हैं ।’

श्री. चेतन राजहंस, प्रवक्ता, सनातन संस्था,

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