देश की स्वतंत्रता के लिए किए गए कार्यों में लोकमान्य तिलक जी का स्थान अग्रणी है। उनके इन्हीं कार्यों के कारण लोकमान्य तिलक को सेल्यूलर जेल (काला पानी) भेजा गया था। उन्होंने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन को पूरे देश में फैलाया और अंग्रेजों ने उन्हें ‘भारतीय अशांति का जनक’ कहा था। लोकमान्य उपाधि प्राप्त ध्येयवादी व्यक्तित्व की 1 अगस्त के दिन पुण्यतिथि मनाई जाती है ।

स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए दिए गए उच्च बलिदान के बावजूद भी रत्नागिरी शहर में (महाराष्ट्र) तिलक लेन में उनका जन्म स्थान जीर्ण-शीर्ण अवस्था में था। पुरातत्व विभाग को इसके जीर्णोद्धार के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए और लोकमान्य तिलक के जन्मस्थान को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया जाना चाहिए, ऐसी मांग हिंदू जनजागृति समिति ने रत्नागिरी में एक पत्रकार परिषद ले  कर स्मारक के दु:स्थिति को उजागर करके की । कुछ स्थानीय नागरिको ने भी स्मारक की दु:स्थिति प्रसिद्ध माध्यमों द्वारा समाज के सामने रखी । उसके बाद स्थानीय लोकप्रतिनिधि ने स्मारक दुरुस्ती के लिए निधि मंजूर करवा लिया । वर्तमान स्थिति में स्मारक के दुरुस्ती का काम पुरातत्व खाते की तरफ से शुरू हुआ है, लेकिन अभी भी पूरा नहीं हुआ है ।

बहुत समय रही स्मारक की दुरावस्था और पुरातत्व खाते की लापरवाही l

   इस जन्मस्थान की छत की टाइलें टूटी हुई थी और दीवारों पर काई उग आई थी । दीवारों में जगह-जगह दरारें थी। पुरातत्व विभाग द्वारा प्रदर्शित बोर्ड जंग खा चुका था तथा उस पर लिखी बातें अस्पष्ट थी। देश भर से सैकड़ों पर्यटक और छात्र इस जगह को देखने आते हैं। वे इस जगह के बारे में अधिक जानकारी के लिए ब्रोशर मांगते हैं, लेकिन स्मारक पर ऐसा कोई ब्रोशर उपलब्ध नही था। लोकमान्य तिलक पर एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाकर यहां आने वाले दर्शकों को दिखाई जानी चाहिए थी या उनके द्वारा लिखी गई पुस्तकों को यहां रखा जाना चाहिए था, लेकिन स्मारक यानी उनके जन्मस्थान पर इन सब चीजों का अभाव था।

लोकमान्य तिलक के स्मारक की उपेक्षा को देखते हुए, जैसा कि उन्होंने अपेक्षा की थी, ‘स्वराज्य’ को ‘सुराज्य’ बनने की आवश्यकता है।

दुर्भाग्यवश, राजनीतिक नेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों के बंगलों का नियमित रूप से नवीनीकरण किया जाता है, लेकिन लोकमान्य तिलक के जन्मस्थान के मामले में लापरवाही बरती गई। जिन महान राष्ट्रीय नेताओं ने इस देश की स्वतंत्रता के लिए अपना सब कुछ बलिदान कर दिया, फिर भी उनके स्मारक की ऐसी बुरी स्थिति उनके द्वारा किए गए महान कार्य का अपमान है। 

जिस नेता ने हमें स्वराज्य शब्द दिया, जिसने स्वराज्य की नींव रखी, वह सभी के लिए प्रेरणास्रोत होना चाहिए और इससे जिले, राज्य और देश की प्रगति में मदद मिलेगी। सरकार को इसके लिए उचित कदम उठाने की आवश्यकता है। स्मारक के दुरुस्ती का काम जल्द से जल्द पूरा होना चाहिए l अगर हमारे देश में 1 दिन में 100 किलोमीटर की पक्की सड़क बनने का रिकॉर्ड हो सकता है तो लोकमान्य तिलक जैसे राष्ट्र पुरुष के स्मारक के दुरुस्ती के काम में देरी क्यों हो रही है ?

श्री. रमेश शिंदे, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हिंदू जनजागृति समिति

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