आज कल किसान आंदोलन के नाम पर जगह जगह प्रदर्शन हो रहे हैं जिसमे अधिकतर पंजाब के लोग हैं।

महेंद्र सिंह टिकैत किसानों के बड़े नेता थे यूपी के और वो इसी कानून को बनाने की मांग 27 वर्ष पूर्व उस वक्त की सरकार से रख चुके थे और जब यह कानून सदन में पारित हुआ तो उसके कुछ महीनो बाद उन्ही के पुत्र राकेश टिकैत द्वारा इस कानून का विरोध किया जा रहा है।

जब यह बिल पारित हुआ उस वक्त राकेश टिकैत को भी इस बिल से कोई परेशानी नही थी पर जबसे कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने किसानों के नाम पर राजनीति करने की योजना बनाई तबसे ऐसे कई नेता और कई गुट किसान आंदोलन के नाम पर लोकतांत्रिक व्यवस्था का मजाक बना रहे हैं।
लोकतंत्र में धरना प्रदर्शन मौलिक अधिकार है पर जनता का सड़क जाम करना और किसी भी शहर को घेर देना कहीं से भी उचित नहीं ठहराया जा सकता।
अगर यह कानून इतना ही खराब है तो भाजपा इस कानून के बाद हर राज्यों के चुनाव में क्यूं इतनी बड़ी जीत हासिल कर रही है। स्पष्ट है यह कानून किसानों के पक्ष में है।
अगर किसी राजनीतिक पार्टी को यह कानून बदलना है तो संसद भवन में या अदालत में चुनौती दें या फिर अपने चुनावी घोषणा पत्र में सामिल करके जनता के बीच जाएं और अगले लोक सभा चुनाव में जनता को फैसला करने दें।
कानून सड़क पर आंदोलन करने से वापस होगा तो लोकतंत्र की सबसे बड़ी हार होगी। ऐसे में कोई भी समूह आंदोलन और धरना करके सरकार को मजबूर करेगी और कानून अपने हिसाब से बनाएगी।

एक देशभक्त लेखक।
अमित कुमार।

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