अपने शत्रुओं को पहचान लेना भी एक उपलब्धि है।
यह उपलब्धि भारत ने लगभग दस वर्षों में ही प्राप्त कर ली, यह कोई छोटी बात नहीं है।
आज से दस वर्ष पहले तक 99.9999% लोग अनभिज्ञ थे और इसे बकवास समझते थे, कि जब हम किसी के शत्रु नहीं है तो भला हमारा भी कोई शत्रु क्यों होगा।
इस अज्ञान और खुशफहमी का कारण हमारी शिक्षा, मीडिया और गाँधी बाबा की अहिंसा भी है।
सोशल मीडिया के कारण अब काफी कुहरा छंट चुका है।
अपराधी का मजहब नहीं होता या शांतिदूत जैसी बातें अब मजाक लगती है।
मात्र दस वर्ष पहले जो कथ्य और दावे, खुले मंच से ताल ठोककर किये जाते थे कि ये तो हमारे सगे भाई हैं, उन्हीं बातों की धज्जियां उड़ चुकी है।
लवजिहाद को नकारने वालों के स्वयं के परिवार से #चीजें गायब हो रही है।
तो….. मतलब परिवर्तन तो हुआ है।
बहुत परिवर्तन हुआ है।
स्वयं को नंगे होते देख, इन लोगों ने खुलेआम युद्ध छेड दिया है।
हाँ…. यह खुली चुनौती है।
सड़क पर चलती बहिन बेटी को खींचकर ले जाना और असफल होने पर गोली मार देना!!
यही तो खुली लड़ाई होती है!!
अब जितना जल्दी यह समझ जाएंगे कि यह युद्ध है, उतना जल्दी प्रतिकार भी सीख पाएंगे।
99.999% लोग जानते ही नहीं कि हमले का प्रतिकार कैसे करना है।
वे तो बस, दो चार शीर्ष राजनेताओं को गाली देकर, और एक पार्टी, जिसके बारे में वे समझते हैं कि वह हमारी रक्षा के लिए नियुक्त है, को पुकार कर त्राहि माम्,,, के उद्घोष को ही सुरक्षा उपाय समझते हैं!!
भोले हैं वे।
अज्ञानी हैं।
यह तीसरी बडी भूल है कि जीवन के इस छोटे से रहस्य को नहीं जानते कि हमलावर से सुरक्षित कैसे रहना है?
ये तीन सोपान हैं, 1.शत्रु की पहचान, 2.हमला हो चुका है, यह बोध और 3.प्रतिकार…..
जिनमें अभी केवल एक पार किया है।
दो बाकी है।
हो जाएगा।
यह भी हो जाएगा।
चिल्ल-पौ मचाना कमजोरी का संकेत है। फलाने राजनेता कहाँ गये, ऐसा हाय हाय करना अर्थात स्त्रैण रुदन है।
पुरूष हो, अपना पुरुषार्थ पहचानो।
मर्दानगी केवल बेडरूम में ही दिखाने की चीज नहीं है।
अपनी स्त्रियों, बहिन बेटी की सुरक्षा करना और उनके अपमान का प्रतिशोध लेना, यही तो पुरुषार्थ है।
जब तक सरकार, प्रशासन, मोबाइल के भरोसे रहोगे, आपकी यह कमजोरी उन्हें बहुत सुविधाजनक लगती है।
कुछ वर्गों में हाथोंहाथ हिसाब होता है।
यही ठीक है। यही पहले तक था। जब से एजुकेशन, केरियर, कॉलोनी, और मीडिया को सच माना, तब से कमजोर पड़ गए।
जो जितना सिटिजन, वह उतना ही नपुंसक, स्त्रैण और आसान शिकार!!
नहीं जानते, तो सीखो।
करना तुम्हीं को है।
कापुरुषता इधर है, तो दूसरे को भला क्या दोष दें।
थोड़ा सा समय अभी भी है, बाकी दोनों स्टेप चढ़ जाओ।
चढ़ जाओ, अच्छा रहेगा!!

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