पालघर के ज़ख्म भरे नहीं थे कि मुंगेर कर दिया गया है । आतंक का धर्म ना होने की नसीहत देने वालों को मरने को मरने वाले का धर्म-जाति तुरंत दिख जाती है । वरना मुंगेर में आपको भीड़ दिखती ।

नीतीश जी , आपको हमेशा पूरा समर्थन रहा है पर अब सवाल आपसे है । इशरत तो आपकी बेटी हो गयी थी , मुंगेर में मारे गए लोग आपके क्या हैं ? क्यूँ आपका दिल नहीं पसीजा ? जबकि इशरत तो पुलिस मुठभेड़ में मरी थी , मुंगेर में लोग क्या कर रहे थे ? सिर्फ़ माँ दुर्गा की मूर्ति विसर्जन ही तो कर रहे थे ? क्या दोष था उनका ? यही कि उनके त्योहारों के समय चुनाव पड़ गए ? ऐसे मौक़ों पर समन्वय समितियाँ होती हैं बात करके रास्ता निकल सकता था । पर जिस बेरहमी से भक्तों को पीटती पुलिस का विडीओ आया है वो रुला देने वाला है ।

आप क्या चाहते हैं इन मासूमों से ? बस यूँ ही पिटते-मरते रहें ? या आप इस मुग़ालते में हैं कि क्यूँकि मामला हिंदुओं का है तो कोई पार्टी बोलेगी नहीं तो आप जान लें , आपके समर्थक अंध-भक्त नहीं है , कोई नहीं बोलेगा तो हम बोलेंगे । सवाल भी आपसे ही पूछेंगे और जवाब भी आपको देना ही होगा ।

और विरोधियों की साज़िश का बहाना तो बनाइए मत , पुलिस आपकी , IB भी होगी और LIU भी , अगर किसी ने प्लान भी किया है तो भी ज़िम्मेदारी आपकी है क्यूँकि चुनावों के चलते संवेदनशीलता बढ़नी चाहिए ।

जिस माँ की मूर्ति बचाने में इन मासूमों पर जुल्म हुआ है , याद रखिएगा वही माँ महिषासुर मर्दनी इन भक्तों का प्रायश्चित भी करेगी । आपके लिए भला यही होगा की आप अपनी तरफ़ से कोई ऐक्शन लें और जो भी दोषी हो ( बिना उसका धर्म-जाति देखे ) उस पर कार्यवाही करी जाए वो भी शीघ्र !!!

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