कल रात की ही बात है, मन उद्विग्न था संजय राऊत जी की भाषा को लेकर, क्या इसी दिन के लिए शिव सेना का गठन हुआ था, बाला साहब होते तो क्या सोचते? ऐसे तमाम प्रश्न अन्तर्मन मे आंदोलित हो रहे थे तभी अचानक एक तेज़ आभामंडल वाले महापुरुष मेरे समक्ष प्रकट हुए| एक बार को तो दर लगा परंतु उन्हे देखते ही मैं पहचान गया की ये कोई और नहीं बल्कि महाविद्वान परमज्ञानि स्वयं ‘चाणक्य’ जी हैं|काफी देर तक उनसे वार्ता हुई जिससे मेरी सारी जिज्ञासा दूर हुई और पता चला की संजय जी उतने बुरे भी नहीं हैं जितना हम उन्हे समझ रहे हैं| आप सोच रहे होंगे की मैंने भी बॉलीवुड पुड़िया का सेवन कर रखा है लेकिन ऐसा बिलकुल नहीं है (मैं भी रिया की तरह एक मिडिल क्लास व्यक्ति हूँ )| बहरहाल उनसे हुई बातचीत के अंश मैं आपको बता देता हूँ और आप स्वयं निर्णय लें-
मैं – मेरी इस व्यथा का समाधान करें प्रभु
चाणक्य – अवश्य पार्थ, बताओ दुर्दांत काँग्रेस का अंत किसने किया?
मैं – नरेंद्र दामोदर दास मोदी जी ने प्रभु
चाणक्य – गलत जवाब, मनमोहन सिंह जी ने किया काँग्रेस का अंत मणिशंकर अय्यर और सुरजेवाला जैसों की मदद से, क्या समझे?
मैं – तो आपका मतलब है संजय राऊत जी जानबूझकर अपनी छवि पाताललोक मे ले जा रहे हैं क्योंकि उनकी छवि सीधे शिव सेना से जुड़ी है?
चाणक्य – कौन शिव सेना पार्थ? वो तो उसी दिन खत्म हो गयी जिस दिन बालासहब के सपनों को कुचलकर नन्हें पैंगविन सोनिया अंटोनिओ माइनो की शरण मे जा बैठे, अब तो ये सेना बस कुछ गुंडों का समूह है जो इटालियन माफिया के इशारों पर काम करता है|
मैं – लेकिन अगर ऐसी बात है प्रभु तो संजय जी एक असली शिव सैनिक होने के नाते जनता को क्यों नहीं बता देते, क्यों उद्धव जी के खिलाफ मोर्चा नहीं खोल देते?
चाणक्य – “इफ लाइफ मेक्स यू संजय देन डोंट बी संजय झा, बी संजय राऊत”, संजय झा ने कुछ ऐसी ही मूर्खता की थी, अगले दिन क्या हुआ सबको पता है| पुत्रमोह मे इंसान अंधा ही नहीं, बेहरा भी हो जाता है| अगर इस साम्राज्य का अंत करना है तो अंदर रहकर ही संभव है और बुद्धिमान संजय राऊत जी कुछ ऐसा ही कर रहे हैं|
मैं – बात तो आपकी सही है प्रभु, मैं भी इसी दुविधा मे था की संजय राऊत जी को ये क्या हो गया है, इतने तो मूर्ख नहीं है वो, आखिर कुछ तो कारण होगा| अब जाकर समझ आया की जिस प्रकार मनमोहन जी ने चुपचाप काँग्रेस की ले ली उसी प्रकार संजय राऊत जी शिव सेना की ले रहे हैं, वो भी कह के! हजरात हजरात टाइप
चाणक्य – चीज़ें हमेशा वैसी नहीं होती जैसी दिखती हैं वत्स,संजय जी ट्रोजन हॉर्स हैं और समस्त भारतवासियों को उनके इस बलिदान को व्यर्थ मे नहीं जाने देना चाहिए
मैं – लेकिन इस हॉर्स का मालिक कौन है प्रभु, किसने इसे ट्रेन और डेप्लोय किया है?
चाणक्य – (मुस्कराते हुए) इस काल खंड मे भी एक नेता है जिसे आज का चाणक्य कहते हैं, क्या समझे?
मैं – समझ गया प्रभु, इशारा काफी है लेकिन जो भी हो संजय राऊत जी को कंगना को हराम** नहीं कहना चाहिए था, ये तो नारी का अपमान है, इसका राजनीति से क्या लेना देना?
चाणक्य – बताता हूँ लेकिन पहले खिड़की से बाहर देखो, बाहर जेसीबी खड़ा है, बीएमसी वाले आए हैं तुम्हारा घर गिराने, पहले अपना घर बचा लो फिर बात करते हैं|
मेरे पैरों तले जमीन खिसक गयी थी, दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा और अचानक जय महाराष्ट्र, जय शिवाजी, जय मुंबा देवी चिल्लाते हुए मैं बिस्तर मे उठा गया| अब जान मे जान आयी, ये सब एक सपना था लेकिन वो हराम** वाले सवाल का जवाब न मिल पाने से मैं थोड़ा निराश भी था|
थोड़ी देर बाद यूं ही बगल से अपना मोबाइल उठाया और टिवीटर स्क्रोल करने लगा, थोड़ा नीचे एक संजय राऊत जी का विडियो दिखा जिसमे वो हराम** का मतलब ‘Naughty’ बता रहे थे| अब धीरे धीरे मुझे सब खेल समझ मे आने लगा, राजनीति शायद इसे ही कहते हैं| सच मे जितना सोचा था संजय राऊत जी उससे भी कहीं बड़े हराम** निकले, उनकी बुद्धिमत्ता और कार्यशैली को बारंबार प्रणाम| वो भारत माता के एक सच्चे सपूत हैं और उनका बलिदान अब मैं जिंदगी भर नहीं भूलूँगा| जय हिन्द, जय भारत, जय महाराष्ट्र|
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