हमारे देश के वामपंथी इतिहासकारों ने कोई कमी नहीं छोड़ी थी मुगल शासकों को महान बताने में उनका गुणगान करने में. लेकिन इतिहासकारों ने हमेशा उनकी अय्याशी, उनकी क्रूरता छिपा कर रखी. लेकिन कहते हैं ना सच एक ना एक दिन सामने आ ही जाता है. मुगल शासकों की जिस गंदगी को छिपा कर रखा गया था वो सच धीरे-धीरे सामने आ रहा है.

दरअसल मुगलकाल के कई बादशाह और सुल्तान अपनी भोग विलासिता के लिए अलग-अलग तरीके अपनाते थे. कोई किसी को लड़ाई में हराकर कर उसकी पत्नी या बेटी पर जबरन अधिकार जमाता था तो कोई कोठे पर जाकर अय्याशी करता था, लेकिन मुगलकाल का एक ऐसा भी शासक था जिसने न सिर्फ 13 महिलाओं से शादी की बल्कि अपनी चौदहवीं पत्नी से जन्मी बेटी से ही नाजायज संबंध बनाए. कहा तो ये भी जाता है इस शासक की मौत भी अधिक काम उत्तेजना बढ़ाने वाले पदार्थ के सेवन से हुई.

ताज महल का नाम सुनते ही इसके निर्माण करने करने वाले शाहजहां को दुनिया बड़े सम्मान से याद करती है. लेकिन उसकी अय्याशी और जिद्द ने उसे इस हद तक पहुंचा दिया था की वह अपने सेना के सूबेदारों की पत्नी समेत अपनी सगी बेटी से ही शारीरिक संबंध बनाने लगा था. शाहजहां की 13 पत्नियों के अलावा उसके हरम में 8 हजार औरतें थी जिनके साथ वो अपनी इच्छाओं के मुताबिक़ भोग-विलास करता था. आप यह जानकर हैरान हो जाएंगे कि मुमताज का नाम मुमताज महल था ही नहीं, बल्कि उसका असली नाम ‘अर्जुमंद-बानो-बेगम’ था और तो और जिस शाहजहां और मुमताज के प्यार की इतनी डींगे हांकी जाती है वो शाहजहां की ना तो पहली पत्नी थी ना ही आखिरी। शाहजहां ने मुमताज से पहले भी 3 शादियां कर रखी थी और मुमताज से शादी करने के बाद भी उसका मन नहीं भरा तो उसके बाद भी उस ने 3 शादियां और की, यहां तक कि मुमताज के मरने के एक हफ्ते के अंदर ही उसकी बहन फरजाना से शादी कर ली थी। जिसे उसने रखैल बना कर रखा था. समझने वाली बात ये है कि अगर शाहजहां को मुमताज से इतना ही प्यार था तो मुमताज से शादी के बाद भी शाहजहां ने 3 और शादियां क्यों की? कहा तो ये भी जाता है कि 38 साल की मुमताज की मौत किसी बीमारी से नहीं बल्कि चौदहवें बच्चे को जन्म देने के दौरान बहुत ज्यादा कमजोरी के कारण हुई थी यानी शाहजहां ने उसे बच्चे पैदा करने की मशीन ही नहीं बल्कि फैक्ट्री बनाकर मार डाला.

शाहजहां कामुकता के लिए इतना कुख्यात था कि कई इतिहासकारों ने उसे उसकी अपनी सगी बेटी जहांआरा के साथ संभोग करने का दोषी तक कहा है. इतिहासकार फ्रांसिस वर्नियर ने लिखा है कि शाहजहां और मुमताज महल की बड़ी बेटी जहांआरा बिल्कुल अपनी मां की तरह दिखती थी। इसीलिए मुमताज की मृत्यु के बाद शाहजहां ने अपनी ही बेटी जहांआरा को फंसाकर उसके साथ नाजायज संबंध बनाएं। जहांआरा के लिए शाहजहां इतना पागल था कि उसने उसका निकाह तक नहीं होने दिया. बाप-बेटी के इस प्यार को देखकर जब महल में चर्चा शुरू हुई,तो मुल्ला-मौलवियों की एक बैठक बुलाई गयी जिन्होंने इसे जायज ठहराया. उन्होंने इस पाप को जायज ठहराने के लिए हदीस का उदाहरण देते हुए कहा कि “माली को अपने द्वारा लगाए पेड़ का फल खाने का हक है।”

अकबर ने यह नियम बनाया था की मुगलिया खानदान की बेटियों की शादी नहीं होगी. इसका परिणाम यह होता था की मुग़ल खानदान की लड़कियां छिप-छिपाकर दरबारी, नौकरों के साथ साथ, रिश्तेदार यहां तक की सगे सम्बन्धियों के साथ शारीरिक संबंध बनाने लगी. कहा जाता है कि एकबार जहांआरा जब अपने एक नौकर के साथ पकड़ी थी तो शाहजहां अचानक उसके कमरे में आ धमका जिससे डरकर वह नौकर हरम के तंदूर में छिप गया, शाहजहां ने तंदूर में आग लगवा दी और उसे जिंदा जला दिया.

ये विडंबना है कि भारत के गौरवशाली अतीत को इतिहास के पन्नों में पहले तो जगह ही नहीं मिली, लेकिन अगर किसी जुनूनी भारतीय इतिहासकार ने अक्रांता मुगल शासकों की सच्चाई सामने लाने की कोशिश भी की तो उसे सजा दी गई। उन पन्नों को जला दिया गया या फिर पूरी किताब को ही छिपा दिया गया। स्कूल की किताबों में इतिहास पढ़ाते समय केवल मुग़लों का महिमामंडन ही किया गया है। लंबे समय तक इतिहासकारों ने मुगलों को राष्ट्रनिर्माता के रूप में स्थापित करने का प्रयास किया. लेकिन वामपंथियों ने उनके काले कारनामों को हमेशा छिपा कर रखा.

सौजन्य-सोशल मीडिया

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