ईरान की सड़कों पर हिजाब का विरोध उग्र रूप लेता जा रहा है. महिलाएं हिजाब को न सिर्फ आग के हवाले कर रही है बल्कि एक स्वर में पुलिस के खिलाफ नारे लगा रही है. वजह सारी दुनिया को पता है कि कैसे पुलिस की पिटाई से 22 साल की महसा अमीनी की मौत हो गई थी कसूर सिर्फ इतना कि उसने ठीक से हिजाब नहीं पहना था।

लेकिन सवाल ये कि ईरान की 22 साल की महसा अमीनी को लेकर भारत का हिजाब प्रेमी गैंग क्यों खामोश है. इसी हिजाब की हिमायती मुस्कान को तो कट्टरपंथियों ने सिर आंखों पर बिठाते हुए मुस्लिम लड़कियों का रोल मॉडल बना दिया था. ऐसे में जाहिर तौर पर भारत के हिजाब गैंग की चहीती मुस्कान पर चर्चा जरुरी है. क्योंकि कर्नाटक में जब मुस्लिम छात्राओं को स्कूल में हिजाब पहनकर आने से रोका गया तो उसके बाद हुए हंगामे में पुरुषों की एक बड़ी तादाद मुस्लिम लड़कियों की हमदर्द बनकर उभरी थी, जो ईरान में हिजाब ना पहनने पर मार दी गई महसा को लेकर खामोश है.

जो इस्लामिक कट्टरपंथी मुस्कान का साथ देते हुए भारत में हंगामा कर रहे थे उन्होंने महसा की मौत पर एक शब्द बोलना भी मुनासिब नहीं समझा. दरअसल कट्टरपंथ का उद्देश्य ही है महिलाओं को हिजाब के नाम पर धार्मिक चादर में लपेटकर घर की चाहरदीवारी में कैद करना. इसीलिए मुस्कान उनके लिए पोस्टर गर्ल बन गई जबकि ईरान की महसा अमिनी खतरा. मुस्कान को लेकर जो लोग ‘फ्रीडम ऑफ चॉइस’ की बात कर रहे थे उन्होंने महसा अमीनी की मौत से मुंह मोड़ लिया है. इतना ही नहीं भारत में कुछ ऐसी घटिया मानसिकता वाले लोग भी हैं जो ये कह रहे हैं कि ईरान में महसा ने हिजाब न पहनकर गलती की, और अपने कर्मों की सजा भुगती है.

दरअसल इस्लामिक कट्टरपंथियों के लिए मुस्कान जैसी लड़कियां हमेशा हथियार रहेंगी, लेकिन चिंता और डर की बात ये है कि भारत में कट्टरपंथियों से उन लड़कियों को कौन बचाएगा जो अपनी मर्जी से अपना पहनावा पहनना चाहती हैं,जो हिजाब के अंदर घुटने के बजाय खुली हवा में सांस लेकर अपनी शर्तों के साथ जिंदगी जीना चाहती है..!

 

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