भारतीय राजनीति में नेताओं के विवादित बयान लागातर सुनने को मिलते रहते हैं. लेकिन कुछ मामलों में भाषा की मर्यादा को भूलते हुए कई बार ये लोग इस कदर ओछी बात और घटिया शब्दों का इस्तेमाल करते हैं जिसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. ज्यादातर मामलों में महिला ही निशाने पर होती है चाहे वो कोई आम महिला हो या फिर कोई सियासी चेहरा ही क्यों न हो .
इन दिनों कुछ ऐसे ही शब्दों के इस्तेमाल को लेकर समाजवादी पार्टी की आलोचना हो रही है, जिसमें अखिलेश यादव के करीबी, सपा के डिजिटल कोआर्डिनेटर जिनका नाम मनीष जगन अग्रवाल है उनकी महिलाओं के प्रति सोच और संस्कार को साफ दिखाता है, जिन्हें लिखने के पहले भी हमें सौ दफा सोचना पड़ेगा .
पढ़ा आपने इनकी भाषा ,जाहिर है महिलाओं के प्रति ऐसी भाषा बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. वैसे इससे पहले भी कई बार सपा के बड़े नेताओं ने घटिया बयानबाजी की है .आपको याद होगा आज़म खान ने भी जयाप्रदा को लेकर बेहद गंदी टिपण्णी की थी . राजनीति में किसी पर आरोप-प्रत्यारोप अपनी जगह है लेकिन किसी पर जुबानी हमला करने के लिए बहन बेटियों पर गंदी बातें बोली जाए इसका विरोध जरुरी है .
समाजवादी पार्टी के नेता और संस्कार और इनकी गंदी सोच को लुच्चे लफंगे के बयान से आगे कुछ नहीं कहा जा सकता . जिस समाजवाद और लोहिया जी के संस्कारों पर चलने की बात सपा करती है वो सिर्फ उनके भाषणों में नजर आता है. सच्चाई तो इससे बहुत परे है. हर चुनाव से पहले महिला वोटरों को अपने पाले में करने के लिए जिस तरह से पार्टियां महिला सुरक्षा का मुद्दा उठाती है वो सिर्फ कुछ समय के लिए. ऐसे मामले में खुद अखिलेश यादव को सख्ती दिखाते हुए कार्रवाई करनी चाहिए. ।
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