‘गौरी लंकेश प्रकरण : सत्य और दिखावा’ विषय पर ऑनलाइन विशेष संवाद !

साम्यवादी विचारों के नक्सलवादियों ने भारत में अब तक 14 हजार नागरिकों, पुलिसकर्मियों, विधायक, मंत्री इत्यादि की निर्मम हत्या की हैं । पूरे विश्‍व में कम्युनिस्टों ने 10 करोड से अधिक हत्याएं की हैं । इस विषय में कोई भी नहीं बोलता । मैसूरु में आबिद पाशा की टोली ने 8 हिन्दू कार्यकर्ताओं की हत्या की । इस विषय में भी कोई नहीं बोलता; परंतु जिस गौरी लंकेश को मृत्यु के पहले कोई पहचानता ही नहीं था । जिसने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, भाजपा, साथ ही हिन्दू धर्म के विषय में अत्यंत भडकाऊ लेखन किया है; उसका महिमामंडन किया जा रहा है । जैसे हमारे देश में गांधी हत्या के उपरांत केवल चार आधुनिकतावादियों की ही हत्या हुई है, ऐसा दिखावा कर उसे विवादों में घसीटा जा रहा है । अन्य हत्याओं के विषय में ये आधुनिकतावादी क्यों कुछ नहीं बोलते, ऐसा प्रश्‍न हिन्दू विधिज्ञ परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिवक्ता वीरेंद्र इचलकरंजीकर ने किया । वे हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से ‘गौरी लंकेश प्रकरण सत्य और दिखावा’ विषय पर आयोजित ऑनलाइन विशेष संवाद में बोल रहे थे ।

       इस समय हिन्दुत्वनिष्ठ कार्यकर्ता श्री. एस. भास्करन् ने कहा कि गौरी लंकेश के पहले भारत में 2013 से 2017 की कालावधि में 23 पत्रकारों और 7 सूचना अधिकार कार्यकर्ताओं  की हत्या हुई है; परंतु उनके विषय में कोई भी क्यों कुछ नहीं बोलता ? गौरी लंकेश की हत्या के तीन दिन पहले कर्नाटक के गृहमंत्री को हटाकर उनके स्थान पर दूसरा गृहमंत्री नियुक्त किया गया । तदुपरांत हिन्दुओं की जांच की शृंखला आरंभ हो गई । यह कोई षड्यंत्र तो नहीं, यह देखना चाहिए । 25 हिन्दुत्वनिष्ठ कार्यकर्ताओं की हत्या होने पर भी कर्नाटक की तत्कालीन कांग्रेस सरकार को गौरी लंकेश की हत्या महत्त्वपूर्ण क्यों लगी, ऐसा प्रश्‍न भी उन्होंने पूछा ।

      संवाद में सनातन संस्था की श्रीमती लक्ष्मी पै ने कहा कि गौरी लंकेश के नक्सलवादियों से अत्यधिक घनिष्ठ संबंध थे । कुछ नक्सलवादियों का आत्मसमर्पण करवाने के लिए गौरी लंकेश को नक्सलवादियों ने हत्या की धमकियां दी थी । गौरी के भाई इंद्रजीत लंकेश ने नक्सलवादियों द्वारा हत्या किए जाने की संभावना व्यक्त की थी; परंतु उस दृष्टि से पुलिस ने जांच नहीं की ।

रमेश शिंदे,राष्ट्रीय प्रवक्ता, हिन्दू जनजागृति समिति

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